The reasonable man adapts himself to the world: the unreasonable one persists in trying to adapt the world to himself. Therefore all progress depends on the unreasonable man.
– George Bernard Shaw, Man and Superman
साहित्य की बात, साहित्य से मुलाकात
The reasonable man adapts himself to the world: the unreasonable one persists in trying to adapt the world to himself. Therefore all progress depends on the unreasonable man.
– George Bernard Shaw, Man and Superman
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (14-02-2021) को "प्रणय दिवस का भूत चढ़ा है, यौवन की अँगड़ाई में" (चर्चा अंक-3977) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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"विश्व प्रणय दिवस" की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
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सादर…!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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जी चर्चा अंक में मेरी पोस्ट को शामिल करने का हार्दिक आभार…..