प्रोफेसर विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को राष्ट्रीय साहित्य अकादमी सभागार नई दिल्ली में 18 दिसंबर को भारतीय ज्ञानपीठ के द्वारा प्रदान किए जाने वाले प्रतिष्ठित मूर्ति देवी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। जागरण में छपी रिपोर्ट के मुताबिक यह पुरस्कार उन्हें उपराष्ट्रपति एम वैंकैया नायडू के हाथों से मिलेगा।
बताते चलें कि उन्हें यह पुरस्कार मिलने की घोषणा 2019 को ही हो चुकी थी लेकिन कोविड संक्रमण के चलते पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का आयोजन दो वर्ष बाद किया जा रहा है।
प्रो विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को प्रतिष्ठित मूर्तिदेवी पुरस्कार उनकी कृति अस्ति और भवति के लिए प्रदान किया जा रहा है। यह पुस्तक 2014 में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास दिल्ली से प्रकाशित हुई थी। ज्ञात हो हर वर्ष भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा भारतीय संविधान की आठवीं सूची में वर्णित 22 भाषाओं में से किसी भी भाषा में रची किसी कृति के लिए दिया जाता है। पुरस्कार में चार लाख रूपए, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिह्न और वाग्देवी की प्रतिमा दी जाती है।
कौन हैं प्रोफेसर विश्वनाथ तिवारी
प्रोफेसर विश्वनाथ तिवारी प्रख्यात कवि और आलोचक हैं। वह गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्राचार्य रहे हैं। वर्ष 2013 से 2017 तक वह साहित्य अकादमी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह 1978 से हिन्दी साहित्यिक पत्रिका दस्तावेज का सम्पादन भी कर रहे हैं। दस्तावेज के लिए वह सरस्वती सम्मान से सम्मानित किए जा चुके हैं।
अब तक उनके शोध और आलोचना के 12 ग्रंथ, सात कविता संग्रह, चार यात्रा-वृत्तान्त, तीन लेखक संस्मरण और एक साक्षात्कार संकलन प्रकाशित हो चुके हैं।
वहीं अब तक उन्हें साहित्य अकादमी के महत्तर सम्मान, सरस्वती सम्मान, व्यास सम्मान, रूस के पुश्किन सम्मान, शिक्षक श्री सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान, हिन्दी गौरव सम्मान, महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन सम्मान, महादेवी वर्मा गोयनका सम्मान, भारतीय भाषा परिषद के कृति सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (15-12-2021) को चर्चा मंच "रजनी उजलो रंग भरे" (चर्चा अंक-4279) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
प्रविष्टि को चर्चाअंक में शामिल करने हेतु हार्दिक आभार…
शानदार जानकारी ।
विस्तृत और सुंदर।
आभार