वरिष्ठ लेखक वेद प्रकाश काम्बोज का 6 नवंबर 2024 को रात 11: 40 पर निधन हो गया। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे और हाल ही में इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हुए थे। वह 85 वर्ष के थे।
वेद प्रकाश काम्बोज हिंदी अपराध साहित्य के सबसे लोकप्रिय साहित्यकारों में से एक थे। विजय-रघुनाथ, सिंघही अल्फ़ानसे को लेकर लिखे गए उपन्यास पाठकों को रहस्य और रोमांच की दुनिया में ले जाकर उनका भरपूर मनोरंजन करते थे।
18 वर्ष की उम्र में हुआ था पहला उपन्यास प्रकाशित
1 दिसम्बर 1939 को दिल्ली के शाहदरा में जन्में वेद प्रकाश काम्बोज की लेखकीय यात्रा मात्र 18 वर्ष की उम्र में उनके उपन्यास ‘कंगूरा‘ के प्रकाशन से शुरू हुई थी। यह उपन्यास 1958 में रंगमहल कार्यालय खारी बावली दिल्ली द्वारा प्रकाशित किया गया था इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
450 से ऊपर उपन्यासों के थे रचयिता
वेद प्रकाश काम्बोज ने 450 से ऊपर उपन्यास लिखे। 60,70 और 80 के दशक में उनकी लोकप्रियता अपने चरम पर थी। वैसे तो वेद प्रकाश काम्बोज विजय रघुनाथ शृंखला के उपन्यासों के लिए जाने जाते थे लेकिन उन्होंने इसके अलावा सामाजिक उपन्यास और ऐतिहासिक उपन्यासों का लेखन भी किया। इसके अतिरिक्त वेद प्रकाश काम्बोज ने कई क्लासिक रचनाओं का हिंदी में अनुवाद भी किया।
लेखक राम ‘पुजारी’ द्वारा उनके लेखकीय जीवन और उनके जीवन जीने के फलसफ़ों को रेखांकित करती पुस्तक काम्बोजनामा: किस्सा किस्सागो का’ 2022 में नीलम जासूस कार्यालय द्वारा प्रकाशन हुआ था जिसे कि वेद प्रकाश काम्बोज के प्रशंसकों ने काफी सराहा था। पुस्तक ने पाठकों को अपने प्रिय लेखक को और करीब से जानने का मौका मुहैया करवाया था।
निरंतर चलता रहा लेखन कार्य
वेद प्रकाश काम्बोज अपने जीवन के अंतिम वर्ष तक लेखन कार्य करते रहे थे। अपने लेखकीय जीवन के उत्तरार्ध में उन्होंने अपराध साहित्य से किनारा कर लिया था और ऐतिहासिक चरित्रों पर लेखन कार्य आरंभ कर दिया था।
हाल ही में उनके द्वारा लिखी पुस्तकें फ़िरंगिया: एक ठगगाथा और मिर्जा गालिब पर लिखी पुस्तक गालिब बदनाम पाठकों के बीच खासी चर्चित हुई थी। इसके अतिरिक्त उनकी पुरानी रचनाओं का नीलम जासूस कार्यालय द्वारा पुनः प्रकाशन भी उनके पाठकों ने काफी सराहा था।