नई दिल्ली। 10 सितंबर 2025: साहित्य अकादमी द्वारा आज चंद्रपाल सिंह यादव ‘मयंक’ जन्मशती परिसंवाद का आयोजन किया गया। चंद्रपाल सिंह यादव ‘मयंक’ एक जाने माने कवि थे जिन्होंने बच्चों के लिए कई बाल कविताएँ लिखीं। ‘दूध मलाई’ , ‘पढ़ लिखकर तुम बनो महान’, ‘एक डाल के फूल’ और ‘पढ़ना है जी पढ़ना है’ उनके चर्चित बाल कविता संग्रह थे। कविताओं के अतिरिक्त उन्होंने बच्चों के लिए कहानियाँ (‘खिलाड़ी लड़के’, ‘भूत से भिड़ंत’, ‘चुनौती’, ‘लोमड़ी मौसी ने नैनीताल की सैर की’ इत्यादि), एकांकी , नाटिकाएँ, गीत और यात्रा वृत्तांत भी लिखे। साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित इस परिसंवाद में उनकी रचनाओं के ऊपर चर्चा की गयी।

कार्यक्रम के आरम्भ में सभी का स्वागत करते हुए साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि मयंक जी सच्चे बाल साहित्यकार थे और उन्होंने बच्चों के लिए कुछ अनमोल गीत दिए हैं।
अपने आरंभिक वक्तव्य में क्षमा शर्मा ने उनकी बाल कहानियों पर बोलते हुए कहा कि उनकी कहानियों में वर्तमान समय के सभी संदर्भ अपनी पूरी ईमानदारी से प्रस्तुत किए गए हैं। कहानियों से कहानियों द्वारा दिए जाने वाले संदेश आरोपित न होकर रचना में बुने हुए लगते हैं।
शकुंतला कालरा ने अपने बीज भाषण में चंद्रपाल सिंह यादव ‘मयंक’ के समग्र साहित्य पर प्रकाश डालते हुए विशेष रूप से कविताओं की चर्चा की तथा कहा कि उन्होंने बच्चों को नैतिक रूप से श्रेष्ठ बनाने के लिए अपनी रचनाओं में दया, करुणा, ईमानदारी आदि सद्गुणों का संदेश दिया।
मयंक जी की पुत्री उषा यादव ने अपने पिता के अनेक हृदयस्पर्शी संस्मरण सुनाकर उन्हें याद किया। ओमप्रकाश कश्यप ने मयंक जी की पद्यकथाओं और खंड काव्यों पर अपने आलेख में कहा कि उनमें सहजता है तथा किस्सागोई का उपयोग कमाल का है।
कवि योगेंद्र दत्त शर्मा ने मयंक जी बालकविताओं पर बात करते हुए बताया कि उनकी तमाम कविताएँ समयानुकूल और राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत करने वाली हैं।
सुमन बाजपेयी ने मयंक जी के नाटक, एकांकी और यात्रा वृत्तांतों के संदर्भ में अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि मयंक जी की समस्त रचनाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी तब थीं जब उन्हें लिखा गया था। समाज की अव्यवस्थाओं को समझते हुए उसका निराकरण करना मयंक जी की हर छोटी सी छोटी बात को समझने की पैनी दृष्टि का द्योतक है। मयंक जी की रचनाएँ बहुत सारी कसौटियों पर एक साथ खरी उतरती हैं। वह बिना उपदेश दिए बच्चों को सहज जी वह सिखा देते हैं जो उनके जीवन के लिए अनिवार्य है और भविष्य में उनका मार्गदर्शन करेगा।
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में दिविक रमेश ने कहा कि बाल साहित्य बच्चों का मित्र होता है इसलिए हमें उसमें अपने विचार थोपने की बजाय अपने अनुभवों का साझा करना चाहिए। मयंक जी की रचनाएँ ऐसी हैं। वास्तव में वे सकारात्मक दृष्टि और सोच वाले लेखक थे।

कार्यक्रम में अनेक साहित्यकार रीतारानी पालीवाल, प्रेम जनमेजय, जगदीश व्योम, कमलेश भट्ट कमल, कामना सिंह, श्याम सुशील आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अकादमी के उपसचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने किया।