सुरेन्द्र मोहन पाठक, स्रोत: smpathak.com |
सरदार सुरेन्द्र सिंह सोहल किस्मत का मारा एक ऐसा व्यक्ति था जो अपनी बीवी की बेवफाई के चलते जेल की चारदीवारी के पीछे पहुँच गया था। फिर कुछ ऐसी परिस्थितियाँ आन पड़ीं कि वह अपराध की दलदल में फँसता चला गया।
विमल शृंखला लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक के कलम से निकली ऐसी महागाथा जिसे उनके पाठकों ने ना भूतों न भविष्यति का दर्जा दिया है। यह विमल के एक फरार अपराधी से चेंबूर के दाता बनने की कहानी है। एक ऐसे इंसणं की कहानी है जिसकी एक लौती इच्छा चैन की जिंदगी गुजर बसर करना है लेकिन किस्मत उसे अपराध और अपराधियों के सामने खड़ा कर देती है।
विमल शृंखला में अब तक निम्न उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं:
- मौत का खेल
- दौलत और खून
- इश्तिहारी मुजरिम
- पैंसठ लाख की डकैती
- आज क़त्ल होकर रहेगा
- बैंक वन रॉबरी
- मौत का फरमान
- दिन दहाड़े डकैती
- असफल अभियान
- खाली वार
- हार जीत
- विमल का इंसाफ
- मौत का नाच
- खून के आँसू
- जीना यहाँ
- मरना यहाँ
- चेहरे पे चेहरा
- किस्मत का खेल
- पाप की नगरी
- लेख की रेखा
- जहाज का पंछी
- खबरदार शहरी
- मौत का रास्ता
- डार से बिछुड़ा
- मौत के मुँह में
- अल्टीमेटम
- सौ करोड़ की गुल्लक
- छः सर वाला रावण
- हज़ार हाथ
- दमन चक्र
- छह करोड़ का मुर्दा
- जोहर ज्वाला
- चंडाल चौकड़ी
- शेर सवारी
- आग का दरिया
- ज़मीर का कैदी
- कर्म योद्धा
- पलटवार
- चेम्बूर का दाता (पेपरबैक | किंडल)
- लाल निशान (पेपरबैक | किंडल)
- सदा नागरा कूच का ( किंडल)
- जो लड़े दीन के हेत (किंडल)
- कहर (पेपरबैक | किंडल)
- जाके बैरी सम्मुख जीवै (पेपरबैक | किंडल)
- मैं अपराधी जन्म का (पेपरबैक | किंडल)
- गैंग ऑफ फोर (पेपरबैक | किंडल )