सूरज पॉकेट बुक्स द्वारा उनकी नवीन पुस्तकों की घोषणा कर दी गयी है। यह घोषणा उनके फेसबुक पृष्ठ पर की गयी। उनके नवीन सेट में चार पुस्तकों को प्रकाशित किया जा रहा है। जहाँ एक पुस्तक पूर्वप्रकाशित पुस्तक का अगला भाग है और एक्शन एडवेंचर उपन्यास है वहीं एक हिंदी अनुवाद है और बाकी दो खालिस अपराध साहित्य हैं।
सूरज पॉकेट बुक्स के नवीन सेट में जिन पुस्तकों को प्रकाशित किया गया है वो निम्न हैं:
मिस्टर एंड मिसेज धुरंधर

‘मिस्टर एंड मिसेज धुरंधर’ लेखक देवेन्द्र पांडेय की नवीन पुस्तक है। यह एक एक्शन एडवेंचर है जिसकी कहानी उनकी पूर्व प्रकाशित पुस्तक ‘धुरंधर: सनक शिरोमणि‘ के आगे बढ़ती है।
पुस्तक के विषय में:
वह न्याय का रक्षक था, लेकिन अब अपराध की दुनिया का मोहरा बन चुका है। गोकुल—एक ईमानदार अफसर, जिसने अपनी ज़िंदगी अपराध के खात्मे के लिए समर्पित कर दी। लेकिन नियति का खेल देखिए, आज वह उसी शख्स का दामाद है, जिसे मिटाने की उसने कसम खाई थी! गुंजन—उसकी रहस्यमयी पत्नी। एक ऐसा बंधन, जिसे उसने कभी अपनाया नहीं, लेकिन अब वही उसके जमीर और जिगर के बीच एक अंतर्द्वंद्व बन चुकी है। पर असली खेल तो अब शुरू हुआ है। गुंजन की ख़ामोशी में एक ऐसा राज़ दफ्न है, जिसकी परछाइयाँ पूरे ड्रग साम्राज्य को निगल सकती हैं। क्या गोकुल इस मकड़जाल से बाहर निकल पाएगा, या यह खौफनाक साजिश उसे ही लील जाएगी?
पुस्तक लिंक: अमेज़न
डिंपल लॉज

‘डिंपल लॉज’ लेखक विकास सी एस झा द्वारा रचित प्राइवेट डिटेक्टिव अश्विन ग्रोवर शृंखला का तीसरा उपन्यास है।
पुस्तक के विषय में
श्यामल बत्रा, एक नामचीन लेखक, जो अपनी शोहरत के शिखर पर था—लाखों दिलों की धड़कन, एक प्रेरणा। लेकिन एक रात सब कुछ बदल गया। उर्वशी सान्याल, एक ग्लैमरस सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर, के साथ डिंपल लॉज में बिताई गई एक शाम उसकी जिंदगी की सबसे भयानक सुबह में बदल गई क्योंकि अगली सुबह उर्वशी की लाश खुद उर्वशी के ही फ्लैट से बरामद हुई और शक की सूई घूमी सीधा श्यामल बत्रा की ओर। श्यामल बत्रा गिरफ्तार कर लिया गया। पर जल्द ही केस में कुछ ऐसे मोड़ आए जो सबको हैरान कर गए। बत्रा के अलावा बाकी के संभावित संदिग्धों की रहस्यमयी मौतें शुरू गई। क्या श्यामल बत्रा वाकई निर्दोष था? या सब कुछ उसकी ही एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा था? इस कहानी में हर जवाब एक नई पहेली खड़ी करता है। यहाँ हर किरदार कुछ–न–कुछ रहस्य समेटे बैठा है। डिंपल लॉज—एक ऐसा सस्पेंस थ्रिलर जो आपको आखिरी पन्ने तक बाँधे रखेगा और अंत में चौंका देगा क्योंकि – “यहाँ हर मोड़ पर है एक अधूरी सच्चाई… और हर सच्चाई के पीछे है एक राज!”
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पीले कमरे का रहस्य

‘पीले कमरे का रहस्य’ गैस्टन लेरौक्स द्वारा लिखी क्लासिक अपराध कथा ‘मिस्ट्री ऑफ द येलो रूम’ का हिंदी अनुवाद है। अनुवाद सबुज हालदार द्वारा किया गया है।
पुस्तक के विषय में:
फ्रांस के प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टैंगर्सन की लैबोरेटरी से अटैच्ड पीले कमरे में उनकी एकमात्र बेटी मैथिल्डा स्टैंगर्सन पर जानलेवा हमला होता है। हमले के समय मैथिल्डा पीले कमरे में अकेली थी और वह अंदर से पूरी तरह बंद था। कमरे की एकमात्र खिड़की पर ग्रिल लगा हुआ था और खिड़की के पल्ले भी अंदर से कुंडी से बंद किये हुए थे। किसी के लिए उस कमरे में प्रवेश करना या वहां से बाहर निकलना संभव नहीं था। जाँच के दौरान सबसे पहले मैथिल्डा के प्रेमी रॉबर्ट दारजाक के ऊपर शक जाता है। जबकि कुछ लोगों का ये मानना था कि यह काम ‘बेते द्यु बों दिउ’ कहे जाने वाले किसी राक्षस का था क्योंकि ऐसा काम किसी मानव के लिए संभव नहीं था। क्या पत्रकार जासूस जोसेफ रूलेटाबिल या जासूस फ्रेडरिक लार्सन इस रहस्य को सुलझा पाएंगे ? जानने के लिए पढ़ें सर्वकालिक महान लॉक्ड रूम मिस्ट्री में से एक “द मिस्ट्री ऑफ द येलो रूम” का हिंदी अनुवाद “पीले कमरे का रहस्य”। यह वही किताब है जिसे पढ़कर लॉक्ड रूम मिस्ट्री के जादूगर लेखक जॉन डिक्सन कार ने रहस्य कथाएँ लिखना शुरू की थीं।
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शादी वाली रात

‘शादी वाली रात’ लेखक अनुराग कुमार ‘जीनियस’ की नवीन मर्डर मिस्ट्री है। इससे पूर्व सूरज पॉकेट बुक्स से उनका उपन्यास विनर आया था जो कि पाठकों द्वारा खूब पसंद किया गया था।
पुस्तक के विषय में:
विक्रम पंडित शुभांकर डी के साथ अपने बरसो पुराने कॉलेज टाइम के एक दोस्त की बहन की शादी में गोरखपुर आए थे। रात में सब कुछ ठीक था। चारों तरफ खुशियां ही खुशियां थी। उन दोनों ने भी खूब एन्जॉय किया। पर अगली सुबह दोस्त गायब! ढूंढा तो घर से एक डेढ़ किलोमीटर दूर जंगल में स्थित खंडहर में उसकी लाश मिली। कातिल ने बड़ी बेरहमी से कत्ल किया था। उसके हाथ पैर तक तोड़ डाले थे। सर पर इतने वार किए थे कि सर के आस पास ढेर सारा खून जमा था।
ऐसा लगता था कि कातिल ने चैलेंज किया हो। वह चाहता तो लाश जला सकता था कहीं छुपा सकता था पर उसने ऐसा बिल्कुल नहीं किया था।
अब विक्रम पंडित के कंधों पर अपने दोस्त के कातिल को पकड़ कर सजा दिलाने की भारी जिम्मेदारी आन पड़ी थी। ऐसी सिचुएशन में वह भाग नहीं सकता था क्योंकि उसका उसूल था जंग के मैदान में दुश्मन को और बुरे वक्त में दोस्त को कभी पीठ नहीं दिखाता। अंजाम चाहे कुछ भी हो।
और सबसे बड़ी दिक्कत थी कि विक्रम पंडित के पास इस मिस्ट्री को हल करने के लिए सिर्फ चार दिन थे। और केस ऐसा जटिल कि उसे ईश्वर याद आ गए।
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