शब्दगाथा प्रकाशन द्वारा उनका नया सेट रिलीज किया जा चुका है। उनके इस नए सेट तीन उपन्यास प्रकाशित किये गए हैं। इन तीन उपन्यासों में एक नवीन उपन्यास है, एक अनुवाद है और एक बहुचर्चित उपन्यास का पुनः प्रकाशन है।
शब्दगाथा प्रकाशन से प्रकाशित होने वाले वाले नए सेट में निम्न किताबों को पाठकों तक पहुँचाया जा रहा है।
शब्दगाथा प्रकाशन के नए सेट के उपन्यास |
पापी धर्मात्मा
पापी धर्मात्मा जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा द्वारा लिखा गया एक ऐतिहासिक उपन्यास है। काफी समय से आउट ऑफ प्रिन्ट रहे इस उपन्यास को शब्दगाथा प्रकाशन द्वारा वापिस रीप्रिन्ट कराया जा रहा है।
पापी धर्मात्मा’ एक ऐसे नायक कि कथा है जो परिस्थितिवश जासूस से आध्यात्मिक राह पर चलकर योगी बन जाता है। अपने जीवन में वह योगी बनने के उपरान्त क्या करता है, और क्यों करता है, यह देखना पाठक के अंतर्मन की परतों को कुछ इस प्रकार उद्घाटित करता है कि उपन्यास के अंत तक वह अनिवर्चनीय आनंद से संतुष्ट हो उठता है। यह छोटा सा उपन्यास एक जीवन दर्शन दे जाता है।
इस उपन्यास को पढ़कर मानवता का सही अर्थ आप सहज ही जान सकेंगे। राजनीति की दशा और दिशा भी जान सकेंगे। आज के समय में पनप रही व्यग्रता के मध्य यह उपन्यास एक प्रकाश स्तंभ के समान आपकी सोच को सही दिशा दे सकेगा। ये एक अलग किस्म का उपन्यास है। एक समग्र वक्तव्य है।
पुस्तक लिंक: अमेज़न
तफ्तीश
तफ्तीश लेखक जेम्स हेडली चेज के उपन्यास सॉफ्ट सेन्टर का हिन्दी अनुवाद है। उपन्यास का अनुवाद लेखिका सबा खान द्वारा किया गया है जो इससे पहले जेम्स हेडली चेज और ली चाइल्ड के उपन्यासों को हिन्दी में अनूदित कर चुके हैं। इस अनुवाद की खास बात यह है कि यह कॉर्गी संस्करण का हिन्दी अनुवाद है। जेम्स हेडली चेज के कॉर्गी द्वारा प्रकाशित उपन्यास मूल के सबसे ज्यादा नजदीक माने जाते हैं क्योंकि बाकी प्रकाशनों ने इन उपन्यासों के साथ काफी काट छाट की थी।
विश्व प्रसिद्ध अपराध कथा लेखक ‘जेम्स हेडली चेज़’ के फ्रेंक टेरेल सीरीज़ के प्रथम एवं प्रसिद्ध उपन्यास ‘THE SOFT CENTER’ का मूल ‘Corgi Edition’ से अविकल अनुवाद।
तरकीब – आलोक सिंह खलौरी
एक अकेली लड़की बदला लेना चाहती है अपने उस सौतेले बाप से जिसने ना सिर्फ उसके बाप और माँ की हत्या की थी वरन उसके ऊपर भी जुल्म ढाया था और एक अरबपति बाप की इकलौती बेटी को दरबदर भटकने के लिए मजबूर कर दिया था।
एक वकील, जिसे जीने के लिए कोई काम करने की जरूरत ही नहीं थी, मगर अपने बल बूते पर अपनी हैसियत बनाने का वो पुरजोर तमन्नाई था। एक साधारण से केस में हाथ डालने के बाद हालात जिस तेजी से करवट बदले, उसे पता ही नहीं चला।
एक सांसद, माफिया, धन कुबेर व्यापारी, जिसकी ताकत का कोई ओर छोर नहीं। राजनीतिक पैंतरों में सिद्धहस्त सारे दाँव-पेंच अपनाकर सरकार को भी बैक फुट पर ले जाने वाला बाहुबली नेता, जिस पर पलटवार करने के लिए सरकार की ओर से नियुक्त एन०सी०बी० और आई० बी० की संयुक्त टीम के भी पसीने छूट जाते हैं।
साझा मंजिल के लिए अलग-अलग रास्तों पर चले जब कई मुसाफिर एक ही पड़ाव पर आकर मिले, तो उनके सामने एक ही चुनौती थी किस तरह उस माफिया का अंत हो सके। और फिर निकाली गई एक -तरकीब..
पुस्तक लिंक: अमेज़न
पुस्तकों को दिये गए लिंक्स द्वारा ऑर्डर किया जा सकता है।
यह अच्छी खबर है की जनप्रिय ओमप्रकाश शर्मा जी के उपन्यास अब विभिन्न प्रकाशनों से पुन: प्रकाशित हो रहे हैं।।
जी सही कहा। ऐसा होना अच्छा है।