साहित्य विमर्श प्रकाशन द्वारा अपने नए सेट के प्री-ऑर्डर की शुरुआत कर दी गयी है। अपने इस नवीन सेट में वह दो उपन्यास और एक कहानी संग्रह लेकर पाठकों के समक्ष प्रस्तुत हुए हैं।
यह पुस्तकें निम्न हैं:
दानव
दानव इंसान के आस्तिक और नास्तिक होने की तहक़ीक़ात करती है। ये किताब इन सवालों के जवाब ढूँढती है कि वाक़ई क्या ईश्वर है? क्यूँकि किसी मानने वाले से पूछो तो आस्था को सीधी ठेस पहुँचती है, न मानने वाले से पूछो तो वो हँस पड़ता है। सवालों के जवाब दोनों में से कोई नहीं देता। पर तथ्य कुछ तो होगा। वैसे हमें पता होने न होने से उसके अस्तित्व को कोई फर्क नहीं पड़ता। तथ्य कई बार हवाओं की तरह होते हैं। वो हमारे सामने होते हैं, पर हम उन्हें देख नहीं पाते, महसूस ज़रूर कर लेते हैं।
आलोक को अनंत श्री के परिवार ने बचपन से पाला था। आख़िरकार वो अनाथ जो था। उस परिवार की परवरिश को लेकर आलोक कृतज्ञ भाव से इस क़दर लदा रहता कि उस परिवार की सेवा ही उसके लिए सब कुछ हो जाती। उस परवरिश ने उसे सब कुछ दिया भी था- नाम, इज़्ज़त, शोहरत और इन सबसे बढ़कर शिवानी। शिवानी, जो उसे ख़ुद के जान से भी ज़्यादा प्यारी थी। परिस्थितियाँ तब विकट रूप लेती हैं, जब एक साज़िश होती है। चाहे अनचाहे आलोक और शिवानी उस साज़िश का हिस्सा हो जाते हैं। एक दूसरे पे मर मिटने की हद तक प्यार करने वाले आलोक और शिवानी इन बदली परिस्थितियों में एक दूसरे के आमने-सामने हो जाते हैं। आख़िर क्या है वो साज़िश? किसने की? क्या उस साज़िश से आलोक और शिवानी कभी उबर सकेंगे?
पुस्तक विवरण
मोहपाश
मोहपाश लेखक दिलीप कुमार का नया उपन्यास है। अपनी व्यंग्य रचनाओं के लिए सोशल मीडिया में मशहूर दिलीप इस बार एक नारी की कहानी पाठकों के समक्ष लेकर आ रहे हैं।
किताब परिचय
‘मोहपाश’ आपको जीवन के उतार -चढ़ाव के ऐसे अनुभवों से राब्ता करायेगा कि आप हैरान हो जाएँगे। इसमें पाने, हासिल करने की होड़ नहीं है बल्कि जीवन में गुंथे मोह के धागों को आत्मसम्मान के साथ बचाये रहने की जुगत है। नारी की शक्ति सिर्फ उसके शरीर की बनावट तक सीमित नहीं है, बल्कि उसकी सोच में है।
कहते हैं कि पूरी दुनिया की औरतों की कोई जाति नहीं होती है, उनकी सिर्फ एक जाति होती है – औरत। यानी पूरी दुनिया में वो औरत ही रहती है चाहे वो नेपाल की तराई की एक छोटी सी दुकान चलाकर जीवनयापन करने वाली औरत हो या देश की राजधानी दिल्ली में रह रही आधुनकि परिवेश की स्त्री हो, उन सभी की सामाजिक बेड़ियाँ और संघर्ष कमोबेश एक जैसे ही हैं।
भुजाली लेकर पहाड़ों पर भेड़ियों और नरपिशाचों से जूझती स्त्री का संघर्ष, सिख दंगों में उजड़ी दिल्ली में इज्जत से जीवनयापन करने की जद्दोजहद की कहानी कहती है, यह उपन्यास। एक युवती के आत्मसम्मान से जीने की जद्दोजहद और हक की लड़ाई जिसमें उसके सामने सब ऐसे लोग ही हैं जिनसे वो मोहपाश के धागे से जुड़ी है। सभी को एक दूसरे से मोह-नेह का रिश्ता है लेकिन जीवन के कुरुक्षेत्र से सज्ज है ये मोहपाश का चक्रव्यूह। कौन बच कर निकल पाता है – इससे जीत कर या सब कुछ हारकर?
पुस्तक विवरण
पृष्ठ संख्या: 219 | एम आर पी: 199 | ऑफर प्राइस: 139 + डिलिवरी (साहित्य विमर्श), 159+डिलिवरी (अमेज़न) | पुस्तक लिंक: साहित्य विमर्श, अमेज़न
मौत का विलाप एवं अन्य कहानियाँ
मौत का विलाप लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक की कहानियों का संग्रह है। हिंदी अपराध साहित्य में अपना नाम स्थापित करने वाले लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक ने उपन्यास ही नहीं वरन कहानियाँ भी खूब लिखी हैं। उनके द्वारा लिखी 9 अपराध कथाओं को इस संग्रह में संकलित करने का प्रयास किया गया है।
पुस्तक में उनकी निम्न कहानियों को संकलित किया गया है:
मौत का विलाप, घड़ी की गवाही, 57 साल पुराना आदमी, आँख का तारा, मौत का साया, ताश के पत्ते, ट्रेन में लाश, नेकलेस की चोरी, जुर्म का इकबाल
पुस्तक विवरण
तो यह थी साहित्य विमर्श प्रकाशन द्वारा फरवरी माह में लाई गयी नवीन पुस्तकें। इसके साथ ही साहित्य विमर्श प्रकाशन अपने पाठकों के लिए एक और ऑफर लेकर आया है।
अगर आप साहित्य विमर्श प्रकाशन की वेबसाईट से 449 की पुस्तकें खरीद करते हैं तो आपको वह खरीद मुफ़्त में डिलिवर किया जाएगा। इस ऑफर में ऊपर वाली पुस्तकें शामिल हैं। यानि अगर आप पूरा सेट मँगवाते हैं आपको 417 रुपये देने होंगे और साथ में डिलिवरी चार्ज देना होगा। लेकिन अगर आप इस ऑर्डर पर एक और पुस्तक जोड़ते हैं तो चारों पुस्तक आप तक मुफ़्त में डिलिवर कर दी जायेगी।
वही साहित्य विमर्श प्रकाशन की वार्षिक सदस्यता भी आप ले सकते हैं। अभी इस सदस्यता का सब्स्क्रिप्शन मात्र 2499 रुपये है। सदस्यता हासिल करने के बाद आपतक साहित्य विमर्श प्रकाशन द्वारा वर्ष 2022 में प्रकाशित हर एक किताब बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के पहुँचा दी जाएगी।
सदस्यता आप निम्न लिंक पर जाकर ले सकते हैं:
साहित्य विमर्श प्रकाशन – वार्षिक सदस्यता
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