साहित्य विमर्श प्रकाशन द्वारा वर्ष 2022 की नवीन पुस्तकों का प्री ऑर्डर शुरू कर दिया गया है। इस बार साहित्य विमर्श प्रकाशन द्वारा तीन पुस्तकें पाठकों के लिए लेकर आ रही है। इन तीन पुस्तकों में से एक पुस्तक भोजपुरी भाषा की है और बाकी दो पुस्तकें हिंदी भाषा की हैं। साहित्य विमर्श प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तकें निम्न हैं:
कैलंडर पर लटकी तारीखें
‘कैलंडर पर लटकी तारीखें’ लेखिका दिव्या शर्मा का लघु-कथा संग्रह है। इस संग्रह में उनकी 88 लघु-कथाओं को संकलित किया गया है।
किताब परिचय
‘कैलेण्डर पर लटकी हैं तारीखें’
हर तारीख की अपनी एक कथा है।
जो लिखी गई हैं यथार्थ के धरातल पर कल्पनाओं के रंगों को समेट कर। यह रंग हमारे अपने हैं जिनमें शामिल है हमारी पूरी ज़िन्दगी।
जिन्दगी जो समंदर की तरह होती है, वह समंदर दिल की गहरी गुफा में बह रहा है लेकिन “इस नमकीन… समंदर में भी ज्वार-भाटा आते हैं…. तब उस अंधेरी गुफा में ….भी …शोर मचने लगता है ..।”
इसी ज़िन्दगी के उतार चढावों को, इसके सुख और दुःख के रंगों को समेटकर लाया है यह लघुकथा संग्रह जो कहीं-न-कहीं आपको अपने होने का एहसास दिलाएगा।
पुस्तक विवरण
पृष्ठ संख्या: 177 | एमआरपी: 199 | ऑफर प्राइस: 135 (साहित्य विमर्श), 149 (अमेज़न) | पुस्तक लिंक: साहित्य विमर्श | अमेज़न
भोजपुरियत के थाती
‘भोजपुरियत के थाती’ लेखक प्रमोद कुमार तिवारी के 15 भोजपुरी लेखों का संग्रह है। इस संग्रह के लेखों में लेखक ने न केवल भोजपुरी संस्कृति की बात की है बल्कि भोजपुरी भाषा के उन कर्णधारों की बात कर रहे हैं, जिनके बिना भोजपुरी की बात पूरी नहीं हो सकती है। भिखारी ठाकुर से लेकर शैलेन्द्र, गोरखनाथ से लेकर कबीर, गीत, संगीत एवं साहित्य के समायोजन से रची गई इस पुस्तक से भोजपुरी क्षेत्र, उसकी भाषा, उसकी संस्कृति के विस्तार का पता चलता है।
किताब परिचय
भारत के 8वां आ दुनिया के 33 वां सबसे बड़ भाषा भोजपुरी आ ओकरा संस्कृति के बारे में ‘भोजपुरियत के थाती’ किताब बहुत सहज ढंग से बता रहल बिया। कवनो इलाका के संस्कृति सबसे बेसी ओह क्षेत्र के भाषा आ साहित्य में रहेले। प्रमोद कुमार तिवारी भोजपुरियत प अलग से बात करे के जगही पऽ कुछ अइसन लोग के चर्चा कइले बाड़े जिनका के छोड़ के भोजपुरी के बात पूरा ना हो सके। गोरखनाथ, कबीर से ले के भिखारी ठाकुर आ शैलेन्द्र तक के रचना प्रक्रिया के समेटेवाली ई किताब भोजपुरी माटी आ भोजपुरियत के समझे में बहुत मददगार साबित होखी, एह बात के पूरा विश्वास बा। भोजपुरिया समाज अगर नेपाल के तराई से ले के छतीसगढ़ तक मारीशस से ले के सूरीनाम तक अतना बड़ इलाका में फइलल फूलल तऽ एकरा पाछे कुछ खास कारण रहल बा जवना के संकेत एह किताब में मिल रहल बा।
पुस्तक विवरण
पृष्ठ संख्या: 175 | एमआरपी: 199 | ऑफर प्राइस: 121 (साहित्य विमर्श), 149 (अमेज़न) | पुस्तक लिंक: साहित्य विमर्श | अमेज़न
दिल की खिड़की पर टँगा तुर्की
किताब परिचय
अपनी पहली साँस से लेकर अंतिम साँस तक यूँ तो हर कोई अपनी एक नियत जीवन यात्रा से गुजरता है। चाहे वो उतार-चढ़ाव वाली हो, घुमावदार हो या सीधी सपाट। इस मायने में हर इंसान सैलानी ठहरा। लेकिन ताज्जुब ये कि अंतिम पड़ाव तक पहुँच जाने पर भी उनमें से अधिकतर ये जान नहीं पाते कि वो एक सुहाने सफ़र का हिस्सा थे। वे बस चलते चले जाते हैं, ऐसे जैसे चलता रहता है कोल्हू का बैल कोई। इस चलने में तेल तो बनता रहता है, पता पर उनको चलता नहीं, ना ही उनकी देह के काम आ पाता है। दुनिया मगर इन जैसों के काँधों पर बैठ नहीं चलती। अपने धुर विगत इतिहास से लेकर अब तक, वो चलती-बढ़ती रही है उन खोजी-मनमौजी घुमंतु लोगों की बदौलत जो दूर-दूर तक ना जाने किस अनंत की तलाश में अथक रास्ते नापते रहे हैं। हमारे पुरखों की उन यात्राओं से ही हमारी दुनिया का ये वर्तमान नक्शा उजागर हुआ है। मेरी यह यात्रा भी उनके नक्शे-कदम पर चलकर उनकी यात्रा को एक कदम और आगे बढ़ाने की एक कोशिश थी। इस यात्रा वृत्तांत में दुनिया के इसी नक्शे पर ठीक दिल की जगह बसे देश तुर्की का बखान है। मैं उम्मीद करती हूँ ग्लोब का ये अनूठा दिल मेरे दिल की खिड़की में टँगकर विंडचाइम की मीठी ध्वनि की तरह आपका दिल लुभाएगा।
पुस्तक विवरण
पृष्ठ संख्या: 175 | एमआरपी: 199 | ऑफर प्राइस: 135 (साहित्य विमर्श), 149 (अमेज़न) | पुस्तक लिंक: साहित्य विमर्श | अमेज़न
ज्ञात हो साहित्य विमर्श द्वारा यह पुस्तकें 31 जनवरी 2022 से पाठकों को डिस्पैच करनी शुरू कर दी जाएँगी।
Nice information
Thankx 🌹