कहानी 3/5
आर्टवर्क : 4/5
उपन्यास 1 सितम्बर,2018 के बीच पढ़ी गई
संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या: 48
आईएसबीएन : 9789332414303
श्रृंखला : थ्रिलर हॉरर सस्पेंस
लेखक : तरुण कुमार वाही, पेंसिलर : आदिल खान
चेतन एक मजबूर पिता था। उसके बेटे सुरभ की ज़िन्दगी खतरे में थी। छः महीने पहले ही चेतन की बीवी का स्वर्गवास हो गया था और अब यह मुसीबत उस पर टूट पड़ी थी। सुरभ की दोनों किडनी खराब हो चुकी थी और उसकी जान की रक्षा के लिए चेतन को पच्चीस लाख रुपयों की आवश्यकता थी।
चेतन के पास इतने पैसे नही थे। उसके पास थे केवल शब्द। वह एक स्क्रिप्ट राइटर था जो फिल्मो के लिए स्क्रिप्ट लिखा करता था। अब यह टैलेंट ही उसकी आखिरी उम्मीद था। वो एक ऐसी फिल्म लिखना चाहता था जिससे वो अपने बेटे की जिंदगी बचाने लायक पैसे कमा ले।
यही विचार उसके मन में थे जब वह उस सुनसान बीहड़ इलाके में आया था। यहीं उसके जीवन में आया था वो कलम। फिर उसके जेहन में कहानी आ गई जैसे वो खुद उसे अपने सामने घटित होते देख रहा हो। अब उसे उम्मीद थी कि उसके सुरभ को कुछ नहीं होगा।
क्या थी यह कहानी? क्या चेतन पच्चीस लाख रुपयों का बन्दोबस्त कर पाया? क्या सुरभ बच पाया? आखिर यह कैसा पेन चेतन को मिला था?
इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस कॉमिक को पढ़कर मिलेंगे।
रक्त कथा थ्रिल हॉरर सस्पेंस श्रृंखला की कॉमिक है। यह बहुत दिनों बाद था कि मैं इस श्रृंखला की कॉमिक पढ़ रहा था।
यह कहानी एक मजबूर पिता कि है जिसे हर कदम में धोखा मिलता है। वो केवल अपने बच्चे की ज़िन्दगी बचाना चाहता था लेकिन उसे इनसान की शक्ल में भेड़िये ही मिलते हैं।ये भेड़िये उसके साथ क्या करते हैं और आगे इन भेड़ियों का का हश्र होता है,यही इस कथानक को पढ़ते हुए पाठक को पता चलता है।
कहानी की शुरुआत मार्मिक है। आप शुरू से ही चेतन के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ जाते है और उसके दुःख में अनुभव करते हैं। उसके साथ होने वाली घटनाएं अक्सर आपको आस पास होते मिल जाएँगी। जिनके पास सब कुछ होता है वे लोग अपने रसूख से दूसरे का हक मारते हुए भी नही झिझकते हैं। यही इधर भी होता है। यही चीज आपको चेतन के साथ जोड़ती है। इस कारण चेतन का दुःख पाठक का दुःख बन जाता है और चेतन का बदला पाठक का बदला बन जाता है। एक अच्छी कहानी के यह महत्वपूर्ण होता है कि पाठक किरदारों से खुद को जोड़कर देख सके और इधर यह चीज आसानी से हो जाती है।
हॉरर कहानियों में अक्सर आत्मा खलनायक की तरह दिखाई जाती है लेकिन इधर ऐसा नहीं है। पाठक के तौर पर आप उन आत्माओं द्वारा किये गये कार्यों की सराहना ही करेंगे। इस कहानी में आत्मा मनुष्यों के रूप में रह रहे शैतानों के खिलाफ लड़ती दिखती है।
कहानी में कई सीन अच्छे बने हैं। थिएटर में फिल्म के किरदारों का जीवित होना, फोन से आत्मा का निकलना और व्यक्ति को मार देना इत्यादि। यह सीन मुझे पसंद आये। इसमें थ्रिल और हॉरर तो भरपूर मात्रा में है। हम पेन की कहानी भी पता चलती है लेकिन मेरी समझ में नहीं आया कि पेन में इंसाफ की ताकत कैसे आई। इस पर ज्यादा रौशनी नहीं डाली गई है। अगर डाली होती तो मज़ा आता।
हाँ, कहानी अंत में जल्दी से निपटाई गई मालूम होती है। आखिरी के तीन किरदार काफी सरल तरीके से मरते दर्शाए गये हैं। उनके साथ होने वाली घटनाएं और ज्यादा रोमांचक बनाई जा सकती थीं।
बहरहाल कहानी मुझे पसंद आई और पढ़ी जा सकती है। ऐसा नहीं है कि ऐसी कहानी आपने पढ़ी या देखी नहीं होगी लेकिन फिर पढ़ने में बोरियत नहीं होती है। आप पढ़ना शुरू करते हैं तो पढ़ते ही चले जाते हैं। कॉमिक का आर्टवर्क मुझे पसंद आया। कलरिंग में हल्का धुंधलापन है लेकिन चूँकि यह हॉरर कहानी है माहौल के हिसाब से मुझे पसंद आई।
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