कोलाहल : ड्रेकुला श्रृंखला की आखिरी कड़ी

रेटिंग : 3.25/5
कॉमिक्स 25 नवम्बर 2017 को पढ़ी

संस्करण विवरण :
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : 128
प्रकाशक : राज कॉमिक्स
श्रृंखला : ड्रेकुला #4
ISBN-13: 978-9332410695

बहुत मुश्किलों के बाद नागराज और ध्रुव एक बार फिर ड्रेकुला को शिकस्त देने में कामयाब हो चुके थे। उन्होंने ऐसा इंतजाम कर लिया था कि अमृत पिया हुआ ड्रेकुला भी एक कैद में बंद हो गया था। अब केवल आजाद थी तो उसकी आत्मा। और उसकी आत्मा को तब तक चैन नहीं मिलना था जब तक वो खुद के शरीर को आज़ाद करवाने का उपाय न खोज ले।
आखिर, ड्रेकुला की आत्मा ने आज़ाद होने का क्या उपाय निकाला?
क्या वो उपाय कामयाब हुआ?
आज़ाद होने के बाद आने वाली तबाही को हमारे सुपर हीरोज ने कैसे रोका?
क्या एक बार फिर वो ड्रेकुला को शिकस्त दे पायेंगे या इस बार ड्रेकुला मचाएगा कोलाहल?


आखिर ड्रेकुला श्रृंखला का आखिरी कॉमिक्स पढ़ ही लिया। राज कॉमिक्स में मैंने अब तक जितने कॉमिक्स पढ़े थे उनमे श्रृंखलाबद्ध कॉमिक्स काफी कम थे। मैं अक्सर एकल कॉमिक्स पढने का शौक़ीन रहा हूँ। लेकिन ये श्रृंखला मुझे काफी पसंद आई। अब दूसरी श्रृंखलाओं की तरफ जरूर रुख करूँगा।

ड्रेकुला का अंत पढने के बाद कोलाहल से मेरी अपेक्षाएं काफी बढ़ गयी थी तो इसीलिए मैंने  सीधे इस कॉमिक्स को पढना शुरू नहीं किया। मैं अक्सर ऐसा ही करता हूँ। बिना किसी अपेक्षा के कोई भी किताब पढना पसंद करता हूँ। ऐसा इसलिए भी ठीक रहता है क्योंकि कई बार आप किताब के बहुत अच्छे होने की अपेक्षा करते हैं और वो केवल अच्छी किताब निकलती है तो भी आप उसे उतना एन्जॉय नहीं कर पाते। इसलिए अगर किसी किताब की काफी तारीफ हो रही होती है तो मैं उसे खरीद तो लेता हूँ लेकिन पढता काफी बाद में हूँ ताकि उस सुनी हुई तारीफ से उपजी एक्स्पेक्टेशनस को ख्याल में न लाकर उसे पढ़ सकूँ।

अब इस कॉमिक्स के ऊपर आते हैं तो कोलाहल की कहानी नागराज के अंत के सीधे बाद शुरू होती है। नागराज और ध्रुव आखिरकार ड्रेकुला को हरा चुके हैं। अब ध्रुव वापस महानगर जा चाहता है लेकिन उधर उसका इन्तजार एक मुसीबत कर रही होती है। नागराज न केवल उसे इस मुसीबत के विषय में चेताता है बल्कि इस मुसीबत से लड़ने में उसकी मदद भी करता है। वहीं दूसरी तरफ ड्रेकुला की आत्मा अपने खुद के शरीर को पाने की कोशिश करती है। लेकिन ये इतना आसान नहीं है। उसे खुद काफी जूझना पड़ता है क्योंकि वो अब प्रेतलोक का बादशाह नहीं रहा है। नागराज और ध्रुव किस प्रकार इस नयी मुसीबत का सामना करते हैं ये तो रोमांचक है ही लेकिन ड्रेकुला की अपने राज को पाने की लड़ाई भी कम रोमांचक नहीं है। इस रोमांच को तीन नये सुपर हीरोज की उपस्थिति और बड़ा बना देती है। हाँ, इस कॉमिक्स में नागराज और ध्रुव के इलावा भी तीन और सुपर हीरोज हैं।  उन्हें बहुत ही खूबसूरती से कहानी में बुना गया है। उनके इलावा काफी किरदार इसमें अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं। ये तीन कौन हैं और इनके इलावा और कौन से किरदार इसमें आते हैं?  इसके विषय में आपको अगर जानना है तो कॉमिक्स को पढना होगा। मैं तो कुछ नहीं बताऊँगा।

हाँ, कहानी का कमजोर पहलू मुझे इसका अंत लगा। ऐसा लगा उसे जल्दबाजी में लिखा गया था। आखिरी का पैनल भी मुझे अजीब लगा। कहानी में एक बिंदु है कि अतृप्त आत्मायें तब तक मृत्यु लोग में रहती है जब तक उनकी आखिरी इच्छा पूरी न हो जाए और फिर वो निकल पड़ती है परमात्मा से मिलने। लेकिन आखिर में इधर  वो भी नहीं हो पाता है और आत्माओं को नर्क के द्वार में खड़ा कर दिया जाता है। अब लॉजिक ये दिया जाता है कि उनका समय नहीं आया। अब मेरा लॉजिक ये कहता है कि जब समय नहीं आया तो उन्हें शरीर भी नहीं छोड़ना चाहिए था। लेकिन उन्होंने छोड़ा। चलो अब पता चल भी गया कि समय नहीं आया है तो उन्हें वापस आने से कौन रोक सकता है? अब ऐसा न होता तो हमारे हीरो उनसे जूझते रहते लेकिन कुछ तो दिखाना था तो उन्होंने ये दिखाया फिर चूंकि कहानी खत्म नहीं करना चाह रहे होंगे तो ये बिंदु उठाया। यहाँ मुझे लगता है उन्होंने गड़बड़ करी। कहानी खत्म हो रही थी तो उसे खत्म होने देना चाहिए था। अतृप्त इच्छा वाला लॉजिक वैसे ही कमजोर था । क्योंकि जो अतृप्त इच्छा दिखाई वो मुझे इतनी बड़ी नहीं लगी। लेकिन उसपे भी पेच डालकर उन्होंने उसे और कमजोर कर दिया।

इसके इलावा कॉमिक्स के पृष्ठ 50 में एक छोटी सी गलती है।

पृष्ठ 50 में ध्रुव कहता है कि जूम्बी सैनिकों को उस पर हमला करने के लिए भेजा गया है। ये उसे इसलिए पता चला क्योंकि उन्होंने पीली शर्ट और नीली पेंट पहने व्यक्ति पर हमला कर दिया। उस पैनल में जिस व्यक्ति पर हमला हो रहा है उसने नीली पेंट तो पहनी है लेकिन शर्ट उसकी नारंगी है।

आखिर में कुछ कहना है तो यही कहूँगा कि कॉमिक्स मुझे पसंद आया। हाँ, अंत के ऊपर काम करने की जरूरत थी। लेकिन उसके इलावा कॉमिक्स काफी रोमांचक है और शुरू से लेकर अंत तक आपका मनोरजंन करता है। पाठको को एक साथ कई सुपर हीरोज को लड़ते देखने को मिलता है जो कि मेरे हिसाब से एक ट्रीट है।

अगर आपने कॉमिक्स को पढ़ा है तो आप उसके विषय में क्या सोचते हैं?
अगर आपने कोई अच्छी श्रृंखला पढ़ी है (जिसके तीन से अधिक पार्ट्स हैं) तो उसका नाम जरूर बताइयेगा।
अपने कमेंट जरूर दीजियेगा।
अगर आप कॉमिक्स को नहीं पढ़ा तो इसे निम्न लिंक्स से मंगवा सकते हैं:
अमेज़न
राजकॉमिक्स


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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2 Comments on “कोलाहल : ड्रेकुला श्रृंखला की आखिरी कड़ी”

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