कॉमिक मार्च 2020 में पढ़ा गया
संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक
पृष्ठ संख्या: 31
प्रकाशक: राज कॉमिक्स
लेखक: हनीफ अजहर, सम्पादक: मनीष गुप्ता, चित्रांकन: नरेश कुमार, जसवंत सिंह कार
श्रृंखला : फ्रेंडी 5
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फ्रेंडी 5 |
अब फ्रेंडी और विशु के बीच कोई नहीं बचा था। फ्रेंडी ने विशु के हर चाहने वाले को ठिकाने लगा दिया था। फ्रेंडी के शरीर में मौजूद जग्गा की आत्मा को पूरा यकीन था कि उसे वो शरीर मिलने ही वाला था जो उसे अमरत्व प्रदान करेगा।
वहीं दूसरी तरफ विशु बेहद डरा हुआ था। वह बाल सुधार ग्रह में कैद था और उसे यही डर सता रहा था कि कहीं फ्रेंडी उधर पहुँचकर अपने इरादों में कामयाब न हो जाए? वह जानता था के फ्रेंडी के लिए वह एक ऐसे मिठाई के सामान था जिसे उसे हाथ बढ़ाकर ले लेना था।
क्या सचमुच जग्गा की आत्मा विशु के शरीर को हथिया लेगी?
क्या विशु उस फ्रेंडी से जूझ पायेगा जिसने इतने वयस्कों को मौत के घाट उतार दिया था?
क्या होगा इस आखिरी टकराव का नतीजा?
इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको फ्रेंडी श्रृंखला के इस आखिरी कॉमिक में पढ़ने को मिलेंगे।
फ्रेंडी 5 फ्रेंडी श्रृंखला का आखिरी कॉमिक बुक है। इस कॉमिक बुक की बात करूँ तो इस कॉमिक बुक में भी बाकि कॉमिकस की तरह एक्शन भरपूर है। आखिर में कहानी में ट्विस्ट लाने की अच्छी कोशिश की गयी है जिसे विशु और फ्रेंडी की लड़ाई रोमांचक बन पड़ी है। कॉमिक में स्वीटी नाम का एक नया किरदार भी शामिल होती है जो कि कहानी आगे बढ़ाने में कारगर साबित होती है।
कहानी अच्छी है लेकिन लेखक ने कई आर्टिस्टिक लिबर्टीज इसमें ली हैं। यह उन्होंने इसलिए भी किया है ताकि कहानी के सभी किरदारों को उनके आखिरी अंत तक पहुँचाया जा सके। जग्गा के पुराने दोस्त भी कॉमिक में आते हैं। वहीँ कहानी का अंत भी वैसी ही एक जगह में होता है जहाँ कहानी की शुरुआत हुई थी। इस तरह से एक चक्र पूरा होते हुए दिखाया गया है। हाँ, लेखक द्वारा ली गयी यह लेखकीय स्वतंत्रता कहानी का कमजोर पहलू भी लग सकती है।
कहानी में सजायाफ्ता मुजरिम ही बाल सुधार ग्रह के वार्डन हैं। अब ऐसा होना मुझे तर्क संगत नहीं लगता है। फिर एक संजोग इसमें भी है कि वह सजा याफ्ता मुजरिम कौन हैं। बाल सुधार ग्रह से कैदी भागते हैं तो कोई उन्हें रोकता नहीं दिखता है जबकि शुरुआत में दो गार्ड उधर तैनात दिखाई देते हैं। यह कुछ ऐसी बातें हैं जिन्हें कहानी आगे बढ़ाने के लिए लेखक ने नजरअंदाज कर दिया है। अगर मैं बचपन में इसे पढ़ता तो शायद यह बातें मुझे दिखती ही नहीं लेकिन अब इस उम्र में पढ़ते हुए यह कहानी में साफ दिखलाई देती हैं।
अगर फ्रेंडी श्रृंखला की बात करूँ तो यह ठीक ठाक श्रृंखला बन पड़ी है। इस श्रृंखला की शुरुआत अच्छी हुई थी। कांसेप्ट अच्छा था। लेकिन बीच के दो भागों को जबरदस्ती खींचा गया लगता है जिसके चलते कहानी में वह कसाव नहीं रहता है जो कि ऐसी कहानियों में चाहिए रहता है। कहानी जबरदस्ती खींचने के कारण कई जगह कहानी कमजोर भी हो जाती है। लेखक उन तत्वों को कहानी बढ़ाने के लिए लाता है और इसको करते हुए वह तर्क को किनारे रख देता है। यही चीजें कहानी की कमजोरी बनती है। उपन्यासों में भी अक्सर ऐसा देखा गया है। अगर आप जबरदस्ती उपन्यास को खींचोगे तो वह बोझिल और कमजोर हो जाता है।
मुझे लगता है कि अगर इस श्रृंखला को तीन भागों में ही समाप्त कर दिया गया रहता तो बेहतर होता। तब पाठक को एक चुस्त कथानक पढ़ने को मिलता और चूँकि कहानी खींचने की जरूरत नहीं होती तो कहानी में लूप होल्स भी इतने नहीं होते।
अंत में यही कहूँगा कि कहानी का आखिरी भाग इसके पहले के दो भागो से थोड़ा बेहतर बन पड़ा है। कॉमिक रोमांच से भरपूर है। आखिर का हिस्सा आपको पाठक के रूप में संतुष्ट करते हैं। श्रृंखला एक बार पढ़ी जा सकती है।
रेटिंग: 2.5/5
अगर आपने इस श्रृंखला को पढ़ा है तो आपको यह कैसी लगी? अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।
फ्रेंडी श्रृंखला के दूसरे कॉमिक के प्रति मेरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित दूसरे कॉमिक के प्रति मेरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
© विकास नैनवाल ‘अंजान’