मई का महीना गुजरे काफी वक्त हो गया है। जून के भी दस दिन गुजर चुके हैं। कोरोना से हम अभी भी लड़ रहे हैं। कई जगह मुझे देखने को मिल रहा है कि लोग लापरवाह होते जा रहे हैं। इस रवैये को हमे छोड़ना पड़ेगा। सतर्क रहेंगे, चीजों का ध्यान रखेंगे तो ही हम सुरक्षित रह पायेंगे। उम्मीद है आप लोग अपना ख्याल रख रहे होंगे।
बहरहाल, पढ़ने के मामले में मई का महीना भी आम महीनो की तरह ही रहा। इस बार पाँच उपन्यास, दो कहानी संग्रह , एक कॉमिक बुक, एक कहानी, एक लघु-उपन्यास और एक लघु-उपन्यास संग्रह पढ़ा। इस पोस्ट में मैं उन कृतियों के विषय में संक्षिप्त में बात करूँगा।
मई में पढ़ी गयी किताबें |
उपन्यासों से बात शुरू करूँ तो महीने की शुरुआत सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के उपन्यास अँधेरे की चीख से हुई थी। सुनील श्रृंखला का उपन्यास पढ़ना रोचक रहा। काफी दिनों बाद सुनील और रमाकांत से मुलाक़ात हुई। हाँ, यह उपन्यास एर्ल स्टैनली गार्डनर के द केस ऑफ़ स्क्रीमिंग वुमन से प्रभावित था तो अब मूल उपन्यास को पढ़ने की इच्छा जागृत हो गयी है।
इसके बाद एम इकराम फरीदी जी का उपन्यास चैलेंज होटल लिखा। फरीदी जी मुख्यतः अपराध साहित्य लिखते हैं लेकिन इस बार उन्होंने एक परालौकिक उपन्यास लिखा था। अच्छी कोशिश थी। इस उपन्यास को हॉरर की तरह प्रचारित किया गया था। अगर ऐसे प्रचारित न करते तो बेहतर रहता। पाठक बिना अपेक्षाओं के जाता और इस उपन्यास का ज्यादा लुत्फ़ ले पाता। उम्मीद है फरीदी जी परालौकिक गतिविधियों को दर्शाते कथानक आगे भी लिखेंगे।
मई के तीसरे उपन्यास के तौर पर मैंने प्रतापनारायण टंडन जी का लिखा उपन्यास अंधी दुनिया पढ़ा। मेरे लिए यह अलग तरह का उपन्यास था। यह एक दिव्यांग बालिका रीति की कहानी है जिसे बचपन से दिखाई नहीं देता है। उपन्यास उसके पैदा होने से उस वक्त तक के जीवन को दर्शाता है जब उसे अपनी अपंगता का एहसास होना शुरू होता है। यह एक मार्मिक उपन्यास है और इसके खत्म होने पर भी रीति के जीवन में आगे क्या घटित हुआ यह जानने की इच्छा बरकरार रहती है।
इस बार मैंने काफी समय बाद अमित खान जी का कोई उपन्यास पढ़ा। यह उपन्यास कमाण्डर करण सक्सेना श्रिंखला का किस्मत का सुल्तान था। इस उपन्यास में कमाण्डर को भारत के एक पड़ोसी मुल्क मोनारा में मिशन को अंजाम देना होता है। यह काम उसे उधर मौजूद चीनी सेना से बचकर करना होता। मिशन के दौरान चीनी खूफिया अफसर और कमांडर के बीच क्या दाँव पेंच खेले जाते हैं वही इस उपन्यास का कथानक बनता है। उपन्यास की सेटिंग मुझे पसंद आई थी। हाँ, उपन्यास में अगर सम्पादन हुआ होता तो इसकी गुणवत्ता में काफी सुधार किया जा सकता था और उपन्यास काफी बेहतर हो जाता।
मई के महीने का आखिरी उपन्यास लोकेश गुलयानी जी का लिखा बोध था। इसे अगर फंतासी उपन्यास कहूँ तो गलत नहीं होगा। वैसे तो उपन्यास की मुख्य कहानी सिक्किम के छोटे से गाँव में घटित होती है लेकिन इसके चारों और लोकेश जी ने एक नई दुनिया की रचना सी कर दी है। स्वर्ग और नर्क का अलग कांसेप्ट उन्होंने इधर दिया है। देवताओं और राक्षसों की जगह अच्छी और बुरी आत्माओं को उन्होंने दर्शाया है। और कथानक में कई जरूरी प्रश्नों को पिरोया है जिनके उत्तर का बोध पाठकों और किरदारों को अंत में जाकर होता है। यह एक अलग तरह का उपन्यास था जिसे पढ़कर मुझे अच्छा लगा। इस उपन्यास में कई ऐसे किरदार हैं जिनसे या जिनकी दुनिया से मैं दोबारा परिचित जरूर होना चाहूँगा।
मई के महीने में मैंने दो कहानी संग्रह पढ़े थे। पहला कहानी संग्रह नंदिनी कुमार जी का बाकी की बात था और दूसरा H J Cronin का Five Chilling Tales था।
बाकी की बात नंदिनी कुमार जी का पहला कहानी संग्रह है। 15 कहानियों का यह संग्रह कई विषयों को छूता है। यह कहानियाँ स्त्रियों के वह बंधन भी दिखलाती हैं जिनसे स्त्री अक्सर बंधी रहती है। लेकिन इन कहानियों में मौजूद स्त्रियाँ कमजोर नहीं हैं। वो इन बंधनों की घुटन महसूस तो करती हैं, इन्हें तोड़ने से झिझकती भी हैं लेकिन आखिरकार वह इन्हें तोड़ कर आज़ाद हो ही जाती हैं। एक रोचक संग्रह है।
Five Chilling Tales नाम से ही जाहिर है कि यह पाँच कहानियों का एक हॉरर कथा संग्रह है। इसमें जंगलों की चुड़ैल है, एक प्रोफेसर है जिसे टार्चर करना पसंद है, एक परिवार है जिसे खाना बहुत पसंद है,एक एकाकी वैम्पायर है और एक टीचर है जो जर्मनी जाता है तो उसे पता लगता है कि वह दुनिया को बदलने का माध्यम बन चुका है। यह भी एक रोचक संग्रह था। संग्रह की कहानियाँ The Lone Vampire और The Alternative History मुझे पसंद आई। बाकी सब भी रोचक थी लेकिन उन्हें और बेहतर किया जा सकता था।
मई के महीने में मैंने के कॉमिक बुक विचित्रपुर का शैतान पढ़ी। यह आधिरा मोही श्रृंखला का कॉमिक बुक है। मुझे यह भाग पसंद आया। विचित्र पुर का कांसेप्ट पसंद आया। आगे आने वाले भागों का इन्तजार रहेगा।
इस महीने Rob Robson की एक कहानी Harry Walks into the Bar भी पढ़ी। यह कहानी हैरी हॉकिंस श्रृंखला की है। हैरी एक पुलिसवाला है। एक रात को उसके दोस्तों के साथ पीने का प्रोग्राम होता है और वह इस कारण एक बार में जाता है। बार में उसके साथ क्या होता है और वो इससे कैसे निपटता है यह देखना रोचक रहता है। कहानी मुझे पसंद आई। हैरी के प्रति यह उत्सुकता जगाती है। मैं उसके और कारनामे पढ़ना चाहूँगा।
इस महीने उपन्यास,कहानी,कॉमिक के अलावा लघु-उपन्यास भी पढ़े। लघु उपन्यासों में सबसे पहले सत्यजित राय की फेलूदा श्रृंखला की फेलूदा एण्ड कम्पनी पढ़ी। फेलूदा एण्ड कम्पनी में फेलूदा के दो कारनामे ‘बम्बई का दस्यु’ और ‘गोसाईंपुर की सरगर्मी’ पढ़ी। फेलूदा के साथ बम्बई और कलकत्ता के एक गाँव गोसाईं पुर जाने का मौका लगा और साथ में फेलूदा के साथ रहस्यों से पर्दा उठाने में मजा तो आया ही।
मई में ही कृष्णा सोबती जी का लघु उपन्यास तिन पहाड़ पढ़ा। यह उपन्यास तपन और जया के केंद्र में है। दार्जीलिंग जैसी खूबसूरत जगह में बसाए गये इस किताब भाषा भी उतनी ही खूबसूरत है। पठनीयता अंत तक बनी रहती है। किताब मुझे पसंद आई।
तो यह थी मेरी मई के महीने की फेहरिस्त। काफी कुछ पढ़ा। काफी कुछ पढ़ने से रह गया। इन रचनाओं के विषय में मेरे विस्तृत विचार आप निम्न लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं:
- अँधेरे की चीख – सुरेन्द्र मोहन पाठक (उपन्यास)
- बाकी की बात – नंदिनी कुमार (कहानी संग्रह)
- चैलेंज होटल – एम इकराम फरीदी (उपन्यास )
- फेलूदा एंड कंपनी – सत्यजित राय (लघु-उपन्यास संग्रह)
- Five Chilling Tales by H J Cronin (कहानी संग्रह)
- आधिरा मोही: विचित्रपुर का शैतान (कॉमिक बुक)
- अंधी दुनिया – प्रतापनारायण टंडन (उपन्यास)
- किस्मत का सुल्तान – अमित खान (उपन्यास)
- Harry Walks into a Bar – Roy Robson (कहानी)
- बोध – लोकेश गुलयानी (उपन्यास)
- तिन पहाड़ – कृष्णा सोबती (लघु-उपन्यास)
आप लोगों ने मई में क्या क्या पढ़ा? मुझे बताना न भूलियेगा।
© विकास नैनवाल ‘अंजान’
मेरा मई महिना कोई भी पुस्तक पढे बिना गुजर गया
उम्मीद है…. आगे कुछ पढ़ेंगे…