हिंदी साहित्य में ग्रामीण सरोकारों को उभारने के लिए प्रदान किए जाने वाले ‘इफको साहित्य सम्मान’ और ‘इफको युवा साहित्य सम्मान’ की घोषणा की जा चुकी है। वर्ष 2025 का इफको साहित्य सम्मान मैत्रेयी पुष्पा को और इफको युवा साहित्य सम्मान अंकिता जैन को उनकी कृति ‘ओ रे किसान‘ के लिए प्रदान किया जाएगा।
नयी दिल्ली में वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती चंद्रकांता की अध्यक्षता में सम्पन्न चयन प्रक्रिया में समिति के सम्मानित सदस्यों नासिरा शर्मा, अनंत विजय, यतीन्द्र मिश्र, उत्कर्ष शुक्ल और डॉ. नलिन विकास ने विस्तृत विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया।
मैत्रेयी पुष्पा का साहित्यिक सफर

30 नवम्बर 1944 को अलीगढ़ जिले के सिकुर्रा गाँव में जन्मी मैत्रेयी पुष्पा के जीवन का बड़ा हिस्सा बुंदेलखंड में बीता। झाँसी से एम ए करने के बाद उन्होंने साहित्य की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई। उनकी रचनाओं में गाँव और वहाँ का समाज सजीवता से चित्रित होता आया है। चिन्हार, ललमनियां, गोमा हँसती है, पियरी का सपना उनके प्रमुख कहानी संग्रह हैं। बेतवा बहती रही, इदन्नमम, चाक, झूला नट, अल्मा कबूतरी, अगनपाखी, विज़न, कहीं ईसुरी फाग, त्रिया हठ, गुनाह बेगुनाह, फरिश्ते निकले उनके लिखे उपन्यास हैं। ‘कस्तूरी कुंडल बसै‘, ‘गुड़िया भीतर गुड़िया‘ उनकी आत्मकथाएँ है और ‘वह सफ़ था कि मुकाम था‘ उनके संस्मरणों के पुस्तक है। उन्हें अपने लेखन के कई पुरस्कार जैसे सार्क लिटरेरी अवार्ड, सरोजिनी नायडू पुरस्कार, मंगला प्रसाद पारितोषिक, प्रेमचन्द सम्मान, साहित्यकार सम्मान, वीरसिंह जू देव पुरस्कार, कथाक्रम सम्मान, शाश्वती सम्मान, महात्मा गांधी सम्मान मिल चुके हैं। वह 2015 से 2018 के बीच में हिंदी अकादमी दिल्ली की उपाध्यक्ष भी रही हैं।
अंकिता जैन का साहित्यिक सफर

अंकिता जैन ने कंप्यूटर साइंस में बीटेक करने के बाद एम टेक और फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में शोधकार्य किया है। बतौर शिक्षक कुछ वर्ष कार्य करने के पश्चात वह लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हुई। अंकिता एग्रो मैन्युफैक्चरिंग फर्म ‘वैदिक वाटिका’ की डायरेक्टर हैं एवं ‘जय जंगल फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी’ की फाउंडिंग मेम्बर एवं डायरेक्टर हैं जहाँ वे आदिवासी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के साथ वनोपज पर काम कर रही हैं। लेखन एवं खेती के साथ-साथ अंकिता रशियन स्कल्पचर पेंटिंग की प्रोफेशनल आर्टिस्ट एवं टीचर हैं, जो अब ‘आर्ट एंड अंकिता’ नाम से अपना आर्ट बिज़निस कर रही हैं। वे पेंटिंग्स कमर्शियल ऑर्डर पर तैयार करती हैं एवं अलग-अलग शहरों में स्कल्पचर पेंटिंग की वर्कशॉप लेती हैं।
2017 में आयी ‘ऐसी वैसी औरत‘ उनकी पहली किताब थी जो कि नीलसन बेस्ट सेलर लिस्ट में शुमार हुई। इसके बाद 2018 ‘मैं से माँ तक‘ नाम से उनकी दूसरी पुस्तक आयी और 2023 में कृषकों पर आधारित किताब ‘ओ रे किसान’ आयी है। पुस्तकों के अतिरिक्त अंकित ने रेडियो प्लाटफॉर्म्स और वेब पोर्टल्स के भी लेखन किया है।
यह सम्मान समारोह 30 दिसंबर 2025 को ‘श्रीलाल शुक्ल जन्मशती समारोह’ के अंतर्गत नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा जहाँ विजेताओं को सम्मान किया जाएगा।
श्रीलाल शुक्ल इफ्को साहित्य सम्मान
साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में दिए जाने वाले श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफ्को साहित्य सम्मान की शुरुआत 2011 में हुई थी। श्रीलाल शुक्ल स्मृति सम्मान हर साल उर्वरक क्षेत्र की सहकारी संस्था इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) द्वारा ऐसे हिन्दी लेखक को दिया जाता है जिनकी रचनाओं में भारतीय ग्राम जीवन को दर्शाया जाता है। इस सम्मान को दिए जाने के लिए एक निर्णायक मण्डल का गठन होता है जो कि विजेता का चुनाव करती है। चुनाव करने का एक मात्र पैमाना यह होता है कि रचना भारतीय ग्रामय जीवन का चित्रण करती हो।
इफको साहित्य सम्मान के विजेता को प्रतीक चिन्ह, प्रशस्ति पत्र और 11 लाख रूपये की ईनाम राशि भी दी जाती है।
आपको बताते चलें अभी तक सम्मान विद्यासागर नौटियाल, शेखर जोशी, संजीव, मिथलेश्वर, अष्टभुजा शुक्ला,कमलनाथ त्रिपाठी,रामदेव धुरंधर, रामधारी सिंह दिवाकर, रणेंद्र, शिवमूर्ति, जयनंदन, मधू कांकरिया और चंद्रकिशोर जायसवाल को प्रदान किया जा चुका है।
इफको युवा साहित्य सम्मान के विजेता को एक प्रतीक चिन्ह, एक प्रशस्ति पत्र और ढाई लाख रुपये की राशि प्रदान की जाएगी।
