फ्लाईड्रीम्स पब्लिकेशंस ने किया ‘किताबें ज़रा हटके उत्सव’ का आयोजन

फ्लाईड्रीम्स पब्लिकेशन द्वारा किया गया किताबें ज़रा हटके उत्सव का आयोजन

नई दिल्ली: 11 अक्टूबर को डीयू के सत्यवती कॉलेज में एक दिवसीय ‘किताबें ज़रा हटके उत्सव’ का आयोजन किया गया। आयोजन फ्लाईड्रीम पब्लिकेशन ने किया। इसमें 50 से अधिक लेखक और 1000 से अधिक श्रोता और पाठक पहुँचे। कार्यक्रम की शुरुआत सत्यवती कॉलेज के प्रिंसिपल, प्रो. सुभाष कुमार सिंह , डॉ. तनूजा, डॉ. डेज़ी राज, डॉ. मुनेश यादव एवं नीलम जासूस के सम्पादक सुबोध भारतीय द्वारा दीप प्रज्जवलन करके किया गया।

इसके पश्चात साहित्य से और किताबें जरा हटके थीम के अंतर्गत कई सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें वर्तमान साहित्य की अलग अलग विधाओं पर लेखकों द्वारा न केवल बातचीत की गयी बल्कि कार्यक्रम में आयी नवीन पीढ़ी के प्रश्नों का उत्तर देकर उनका मार्गदर्शन भी किया गया।

पहला सत्र: हिंदी में हॉरर फिक्शन रहा

बाएँ से दायें: सौम्या मोहन शर्मा, परशुराम शर्मा, मनोहन भाटिया, देवेंद्र प्रसाद

इस सत्र में हॉरर विधा पर लिखने वाले लेखक देवेंद्र प्रसाद, मनमोहन भाटिया और दिग्गज लेखक परशुराम शर्मा की बातचीत द ड्रॉइंग हाउस के संस्थापक सौम्या मोहन शर्मा के साथ हुई।

हॉरर में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले लेखक देवेंद्र प्रसाद ने कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म ने बहुत कुछ बदला है, आज के युवाओं को आप सिर्फ पढ़ने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। उनकी किताब ‘कब्रिस्तान वाली चुडैल’ को डेढ़ करोड़ ज्यादा लोग ऑडियो में सुन चुके हैं उनकी यह किताब फिल्म निर्माणधीन हैं। लेखनी में बदलाव को लेकर लेखक मनमोहन भाटिया ने कहा युवाओं म हॉरर पढ़ने का बाद क्रैज़ है, हमें उन्हे इस विधा मे अधिक से अधिक और बेहतरीन कहानियाँ देनी होंगी! आज का समय जेन-ज़ी (gen-z) का समय है, इसमें समय के अनुसार लेखक को भी बदलना होगा। आज के युवाओं को देखते है फ्लाईड्रीम्स पब्लिकेशन की हॉरर किताबें ऑडियो में भी मौजूद है।

80 से 90 के दशक में हिंदी हॉरर में सबसे ज्यादा बिकने वाले लेखकों में शुमार सुप्रसिद्ध लेखक ‘परशुराम शर्मा’ ने कहा कि दरअसल युवा वर्ग ही नहीं बल्कि हर वर्ग शुरू से ही हॉरर कहानियों को पढ़ने मे खूब रुचि लेता रहा है पर इन दिनों प्रकाशकों द्वारा इस विधा पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया गया जो फ्लाईड्रीम्स बहुतायत मे कर नए पाठकों को जोड़ रहा है। पहले सत्र में परशुराम शर्मा के बहुप्रतीक्षित ‘बुलबुल’ हॉरर उपन्यास का कवर विमोचन किया गया। कवर विमोचन पर लेखक परशुराम शर्मा ने कहा ये उनकी लिखी अब तक सभी हॉरर कहानियों से ज्यादा डरावना होने वाला है। यह पुस्तक सीरीज में चलेगी। कहानी में मुख्य पात्र बुलबुल एक ऐसी कैरेक्टर है जो किसी भी घर में जाती है तो उस घर में सारा काम अव्यवस्थित हो जाता है। उन्होंने कहा किताब पढ़िए फिर पता चलेगा 9 साल की बच्ची भी कैसे हॉरर पैदा कर सकती है।

मनमोहन भाटिया ने अपनी नई पुस्तक ‘मिस्टर और मिसेज लाइट’ के बारे में कहा ‘ये पुस्तक जेन ज़ी को केंद्र में रखकर लिखी गयी है। इस पुस्तक का नाम प्रकाश और रोशनी पात्रो से रखा गया है।’

इसी सत्र में फलाईड्रीम्स ने आने वाली हॉरर किताब ‘रूठियाई जंक्शन’ का कवर विमोचन किया। नवीन लेखक गोलूसेन ने पुस्तक की कहानी का जिक्र करते हुए कहा यह दो कैरेक्टर पर आधारित है। इस किताब में आप दुनिया को पेड़ के अंदर देख पाएँगे। सत्र के अंत मे देवेंद्र पाण्डेय की आने वाली हॉरर किताब ‘अरण्य कांड’ पुस्तक का भी विमोचन किया गया जो हॉरर एडवेंचर मे लिखी गई एक बेहतरीन किताब साबित होगी।

दूसरा सत्र : हिंदी में साइंस फिक्शन और फैंटेसी की दुनिया

बाएँ से दायें: डॉ मनीष गोरे, समीर गांगुली, अतुल शर्मा, जयंत कुमार

सत्र को सम्पादक जयंत कुमार ने होस्ट किया। सत्र के सवालों का जवाब देते हुए अतिथि लेखक अतुल शर्मा ने कहा आप साइंस फिक्शन में उत्साह में आकर बहुत कुछ लिख सकते हैं लेकिन आपका एडिटर पठनीयता को ही अहमियत देगा। आप जो लिख रहें हैं अगर वह आपको रोमांचित नहीं कर पा रहा है तो वह बोरिंग ही रहेगा। हिंदी पाठकों को हमें साइंस फिक्शन मे कुछ अलग हटकर देना होगा वरना अनुवादित किताबों तक ही उनका पठन इस विधा मे सीमित रहेगा!

दूसरे अतिथि लेखक समीर गांगुली ने कहा विज्ञान कथाओं में जो कल्पना की जाती है बहुत हद तक झूठ भी होती है। अतीत या भविष्य में जाने का जवाब देते हुए कहा मैं भविष्य में जाना चाहूँगा क्योंकि मेरे पास आधुनिक मशीन होगी, तकनीक होगी। कहानी लिखने के लिए नयी पीढ़ी का शामिल होना जरूरी है लेकिन वह शामिल नहीं होना चाहते। एक बार मैंने एक कहानी भेजी थी किसी सम्पादक को उसने उसे पब्लिश नहीं किया, क्योंकि सम्पादक समय से पीछे चल रहे हैं और इसके 2 साल बाद ही वह कहानी काफी प्रसिद्ध हुई। साइंस फिक्शन साइंस स्टोरी में जो फर्क होता है वो है कि हमेशा तर्क पर लिखा जाता है। हमने देखा है लेखक एलियन पर काफी लिख रहें हैं लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं मिला है। दूसरे सत्र में ‘सेवन प्वाइंट सिक्स’, ‘ईना मीना डीका’ का विमोचन किया गया।

विज्ञान प्रगति पत्रिका के संपादक डॉ. मनीष गोरे ने दैनिक जीवन की घटनाओं में विज्ञान का अवलोकन करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया हिंदी में मूल साइंस फिक्शन किताबों का होना बहुत जरूरी क्यों है। उनकी किताब ‘325 साल का आदमी’ फ्लाईड्रीम्स से इन दिनों खूब बिक रही है!

तीसरा सत्र : माईथो फिक्शन और सुपर हीरो की दुनिया

बाएँ से दायें: राम ‘पुजारी’, नृपेंद्र शर्मा, नम्रता सिंह, अभिलाष दत्ता

इस सत्र में अभिलाष दत्ता, नम्रता सिंह और नृपेंद्र शर्मा अतिथि के रूप में उपस्थित थे। जिनसे लेखक और सम्पादक राम पुजारी ने चर्चा की। इसमें हिंदी किताबों में सुपरहीरोज का उदय कैसे हुआ और मिथक और यथार्थ का मेल के बारे में चर्चा हुई। लेखक अभिलाष दत्ता ने बताया कैसे आजकल इस विधा में हिंदी की मूल किताबों को खोजकर पढ़ा जा रहा है, ये लेखन काम इसलिए भी है क्यूँकि ये विधा बहुत मेहनत माँगती है! साथ ही नृपेंद्र शर्मा, जो तिलस्मी उपन्यास लिखने के लिए जाने जाते हैं, ने तिलस्मी उपन्यास और उनमें मौजूद तर्क पर बात की।

चौथा सत्र : किशोर साहित्य

बाएँ से दायें: विकास नैनवाल, प्रांजल सक्सेना, सुमन बाजपेयी, नेहा अरोड़ा, समीर घोषाल

इस सत्र को एक बुक जर्नल के सम्पादक विकास नैनवाल के द्वारा होस्ट किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में सुमन बाजपेयी, नेहा अरोड़ा, प्रांजल सक्सेना और समीर घोषाल मौजूद थे । इस सत्र में नयी पीढ़ी की रुचियों पर चर्चा हुई साथ ही किशोर पाठक के लिए कौन कौन सी चुनौतियाँ है। किशोर आजकल क्या पढ़ रहे हैं किस तरह स्क्रीन से किताब की तरफ उन्हें ले जाया जा सकता है इस पर लेखकों ने अपनी राय दी। आखिर क्यों किशोर साहित्य में मूल हिन्दी मे शृंखला बद्ध किताबों पर ध्यान नहीं दिया गया, जो इन दिनों फ्लाईड्रीम्स समझदारी से कर रहा है, क्योंकि किशोरों के विकास के लिए ये विधा एक जरूरी विधा है, जिससे उनकी कल्पना का विकास मजबूत होता है! सत्र के दौरान कैम्ब्रिज स्कूल से आये छात्रों द्वारा लेखन, साहित्य और लेखन से आजीविका अर्जन करने के ऊपर अपने प्रश्न पूछे गए जिसमें लेखकों ने भरपूर मार्गदर्शन किया।

साथ ही इसके बाद लेखिका नेहा अरोड़ा द्वारा समीर गांगुली की पुस्तक एक गुलाबी भैंसा अलग सा का पाठन किया गया जिसने श्रोताओं का मन मोह लिया।

पाँचवाँ सत्र : हिंदी में बाल पॉकेट्स बुक्स की दुनिया

बाएँ से दायें: रूपेश सिंह, योगेश मित्तल

पाँचवें सत्र में योगेश मित्तल अतिथि के रूप में मौजूद थे जिसमें उन्होंने किशोर साहित्य का लेखन पहले और मौजूदा दौर में कैसा है पर चर्चा किया साथ ही हिंदी पाठकों के रुझान पर भी प्रकाश डाला। उनकी आने वाली किताब ‘कॉकरोच के कातिल’ का पोस्टर लॉन्च हुआ, जो बाल पॉकेट शृंखला का एक नया रोमांचक क्रम होने वाला है! सत्र का संचालन लेखक रूपेश सिंह द्वारा किया गया।

छठा सत्र : फ्लाईड्रीम्स कॉमिक्स की चौपाल

बाएँ से दायें: अनमोल दुबे, मिथिलेश गुप्ता, जयंत कुमार, मोहित शर्मा

छठे सत्र में मोहित शर्मा से अनमोल दुबे ने चर्चा की। मोहित ने संदीप मुरारका की लिखित भज्जू श्याम और गुलाबो सपेरा की कहानी को कॉमिक्स के रुप में ढाला है। इस पर चर्चा हुई। साथ ही इनका कवर भी लॉन्च भी किया गया। यह कॉमिक्स आदिवासी समाज के सुप्रसिद्ध लोगों की कहानी कहती है, जिसे लोगों तक पहुँचाना बहुत जरूरी है।

सातवाँ सत्र : किताबें जरा हटके रहा

बाएँ से दायें: अनमोल दुबे, मिथिलेश गुप्ता, जयंत कुमार

इसमें फ्लाईड्रीम्स के चिल्ड्रन विंग्स के मुख्य सम्पादक और लेखक ‘मिथिलेश गुप्ता’ और सम्पादकीय हेड ‘जयंत कुमार’ से बुकवाला के संस्थापक अनमोल दुबे ने चर्चा की। अनमोल ने ज़रा हटके किताबें विषय रखने का अर्थ पूछा। इस पर मिथिलेश ने कहा कि अलग हटके लिखना ही साहित्य को ज़िंदा रख सकता है हिंदी की मूल किताबों मे आप देखेंगे सिर्फ एक जैसी ही विधा मे किताबें लिखकर हिट होने का एक फार्मूला बना हुआ है, हैरी पॉटर की जितनी हिंदी अनुवादित किताबें बिक जाती है मूल हिंदी मे उसका आधा बीकन भी मुश्किल होता नजर आता है, कारण? यही की हम कुछ नया नहीं रच रहे जो उनके कल्पना की दुनिया मे ले जाए। इसलिए हमने किताबें ज़रा हटके को ही अपनी थीम बना लिया है जो हिंदी किताबों की भीड़ मे सबसे अलग कार्य कर रही है। जयंत कुमार ने कहा कि आज के दौर में किताबों का कवर अच्छा होना जरूरी है लेकिन उसके बाद भी फ्लाईड्रीम्स अक्सर उसमें बदलाव करती है। जिस तरह से पाठक हमसे इन विधाओं में और किताबें लाने का आग्रह करते हैं वो बतलाती है की साहित्य की इस दुनिया में अभी हम कितने पीछे चल रहे हैं, इसलिए प्रयोग धर्मी विधाओं में हम खूब कार्य कर रहे हैं! नये लेखकों और पाठकों के लिए “किताबें जरा हटके’ अब वह उम्मीद बन चुका है जिसमें वो अलग-अलग विधाओं में मूल हिंदी की किताबें पढ़ पा रहें हैं।

आठवें और आखिरी सत्र में आशीष द्विवेदी और उनकी टीम ‘द सोल टॉक्स’ ने शानदार कविताओं की प्रस्तुति दी जिसने श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। देश प्रेम, प्रेम और आम जन जीवन से जुड़ी प्रासंगिक कविताओं के साथ साथ कथा वाचन भी किया गया।


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

Author

  • एक बुक जर्नल साहित्य को समर्पित एक वेब पत्रिका है जिसका मकसद साहित्य की सभी विधाओं की रचनाओं का बिना किसी भेद भाव के प्रोत्साहन करना है। यह प्रोत्साहन उनके ऊपर पाठकीय टिप्पणी, उनकी जानकारी इत्यादि साझा कर किया जाता है। आप भी अपने लेख हमें भेज कर इसमें सहयोग दे सकते हैं।

2 Comments on “फ्लाईड्रीम्स पब्लिकेशंस ने किया ‘किताबें ज़रा हटके उत्सव’ का आयोजन”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *