फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन के नये इम्प्रिन्ट फ्लाईविंगस के नये सेट की घोषणा हाल ही में की गयी है। उनके इस सेट में कुल मिलाकर पाँच पुस्तकें पाठकों के समक्ष लाई जा रहीं हैं। यह सभी किताबें हॉरर फांतासी और एडवेंचर श्रेणी की है। हिन्दी साहित्य में फंतासी, हॉरर ऐसी विधाएँ हैं जिनमें काफी कम काम हुआ है। ऐसे में फ्लाईड्रीम्स द्वारा इस विधा की किताबों के लिए एक नये इम्प्रिन्ट फ्लाईविंगस को निकालना सराहनीय पहल है।
फ्लाईविंगस के पहले सेट में जिन किताबों को प्रकाशित किया गया है वह निम्न हैं:
लिक्टर – मोहम्मद आबेदी,अनुवादक: आलोक कुमार
लिक्टर ईरानी उपन्यासकार मोहम्मद आबेदी का उपन्यास है। उपन्यास का अनुवाद लेखक आलोक कुमार द्वारा किया गया है। आपको बताते चले कि आलोक कुमार ने इससे पहले जेम्स हेडली चेज, ज्यूलस वर्न और जॉर्ज मिकडोनाल्ड के उपन्यासों का अनुवाद भी कर चुके हैं। लिक्टर का मूल्य 160 रुपये है। लेखक द्वारा यह जानकारी भी दी गयी है कि पैपरबैक एडिशन में पाठकों को लिक्टर के अलावा एक और लघु-उपन्यास भी पढ़ने को मिलेगा।
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किताब परिचय:
एक दैत्य का पृथ्वी पर आगमन हुआ। जिससे संपूर्ण मानव जाति के अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया। सभी मानवों को उस दैत्य से यह समझौता करना पड़ा कि हर रोज उसके भोजन के लिए एक इंसान की बलि दी जाएगी। बदले में वो दैत्य बाकी मनुष्यों को एक गुफा में चैन से रहने देगा।
समय गुजरता गया और अंत में जब कुछ लोग ही शेष बचे, तब यह प्रश्न सबसे बड़ा था कि आखिर अब किसकी बलि दी जाएगी। कौन पहले जाएगा और कौन बाद में? बलि के लिए किसी का चुनाव कैसे होगा?
इस माहौल में क्या इंसानी मूल्यों और आदर्शों की कोई अहमियत बचेगी?
जैक द क्लाक राइडर – खुशी सैफी
शैवाल- समुद्र का महायोद्धा – क्षमा कुमारी
किताब परिचय:
हर सौ साल के बाद समुद्र के गर्भ से एक हवेली बाहर आती थी जिसे देखने वाला मंत्र-मुग्ध होकर उसके पीछे भागता था और डूब कर मर जाता था। क्या ये कोई मरीचिका थी या सचमुच में ऐसी किसी समुद्री हवेली का अस्तित्व था। जब तन्मय नाम के युवक को भी वह हवेली दिखाई दी वही रहस्यमयी हवेली जिसने उसके सामने समुदी दुनिया के वो राज खोले जिससे बाहरी दुनिया अंजान थी और उसके सामने आई एक समुद्र के एक महायोद्धा शैवाल के अस्तित्व की कहानी जो इस तिलिस्मी हवेली के श्राप का अंत कर सकता था। क्या तन्मय ऐसा कर पाया? या दूसरे लोगों की तरह उसकी भी बलि ले ली समुद्री हवेली ने। कौन था शैवाल और कैसे बना वो समुद्र का महायोद्धा।
11:59 + वो भयानक रात
11:59 और वो भयानक रात लेखक मिथलेश गुप्ता के प्रसिद्ध उपन्यास हैं। इन दोनों उपन्यासों का कॉम्बो आप 180 मूल्य देकर पा सकते हैं।
किताब परिचय: वो भयानक रात
कहते हैं कि भूत प्रेतों पर विश्वास दो तरह के लोग करते हैं। एक वो – जो उन्हें मानते हैं और दूसरे वो – जो उन्हें देख लेते हैं। संग्राम सिंह अपने परिवार के साथ उस भयावह जंगल से निकल रहा था, एक दुर्घटना होती है, पर घायल नदारद था। जब तक कि वो समझ पाता कि वह किस जंजाल में फंस गया है, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। रीढ़ की हड्डी में सिहरन पहुंचा देने वाली एक खौफनाक कहानी।
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किताब परिचय: 11:59
कहते हैं कि एक भयानक दुर्घटना कई जिंदगियां बदल देती है। उस रात हम लोगों के साथ भी वैसा ही कुछ हुआ। घड़ी की बढ़ती सुईयों के साथ जब साक्षात मौत हमारे सिर मंडराने लगी, बचपन से सुने सारे डरावने किस्से हमारी आंखों के सामने घूमने लगे।
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साहित्यिक जानकारी
हार्दिक आभार सर।