फरवरी में ही महाराष्ट्र का दौरा लगा जहाँ मैं एक एसएमपियन मीट में शामिल हुआ। एसएमपियन हम उन लोगों को कहते हैं जो कि श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक साहब के तगड़े फैन हैं। साल में दो बार ये फैन्स आपस में मिलते हैं और एक पार्टी टाइप करते हैं। सुरेन्द्र मोहन पाठक जी ही वो धागा हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले इन लोगों को जोड़ता है और यही कारण है कि यह फैन मीट एसएमपियन मीट कहलाती है। सभी एक जगह मिलते हैं, उस जगह के आस पास के पर्यटक स्थल घूमते हैं और खूब मजे करते हैं। फैन मीट्स के कुछ वृत्तांत (कानपुर मीट, माउंट आबू मीट) मैं पहले भी अपने ब्लॉग में लिख चुका हूँ। यह वाला भी जल्द ही लिखूँगा।
खैर, इसके अलावा मेरा ज्यादा घूमना नहीं हुआ। इस बार एक हफ्ता घर वालों के साथ भी बिताने का मौका मिला जो कि अच्छा लगा। पढ़ने के हिसाब से देखें तो इस बार मैंने ठीक ठाक ही पढ़ा। ज्यादा नहीं था तो कम भी नहीं था। इस बार निम्न पुस्तकें पढ़ी:
फरवरी में पढ़ी गयी पुस्तकें |
- Life Expectancy – Dean Koontz (उपन्यास)
- उड़न तश्तरी के बंधक (कॉमिक बुक)
- अटैची रहस्य – सत्यजित राय (उपन्यास)
- सबसे बड़ा जेबकतरा – योगेश भौंसले (कहानी)
- कब्र का रहस्य – शुभानन्द (उपन्यास)
- The All bengali Crime Detectives – Suparna Chatterjee (उपन्यास)
- फ्रेंडी (कॉमिक बुक)
- खतरे की खोपड़ी – वेद प्रकाश काम्बोज (उपन्यास )
- Sunday Ride by G W Boileau(कहानी)
- फ्रेंडी 2 (कॉमिक बुक)
सबसे पहला उपन्यास इस महीने जो पढ़ा वो डीन कूँट्ज़ का लाइफ एक्सपेक्टेंसी था। वैसे तो यह उपन्यास पढ़ना मैंने जनवरी में शुरू कर दिया था लेकिन फरवरी की पहली तारीक तक उपन्यास को पढ़ता रहा। यह उपन्यास एक थ्रिलर उपन्यास है लेकिन इसके जिस गुण ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया वह था इस उपन्यास में मौजूद हास्य। उपन्यास की कहानी जिमी टॉक नाम का एक पेस्ट्री शेफ सुना रहा है जो कि प्रकृति से एक मस्त मौला व्यक्ति है। उसका यही मस्त मौलापन उपन्यास की कहानी में भी झलता है और संजीदा से संजीदा परिस्थितियों में भी आप खुद को हँसने से नहीं रोक पाते हैं।
दूसरा उपन्यास सत्यजित राय की फेलूदा श्रृंखला का अटैची रहस्य है। फेलूदा से मिलना हमेशा से ही रोचक रहा है और यही कारण रहा है कि मैं इसके उपन्यास गाहे बगाहे पढ़ता रहता हूँ। यह उपन्यास भी रहस्य और रोमांच का अद्भुत मिश्रण है। जटायू की उपन्यास में मौजूदगी कथानक में हास्य का तड़का लगा देती है जो कि पाठक को एक भरपूर मनोरंजन की गारंटी देता है। उपन्यास काफी पसंद आया।
महीने का तीसरा उपन्यास शुभानन्द जी द्वारा राजन इकबाल रिबॉर्न श्रृंखला का कब्र का रहस्य था। यह उपन्यास मैंने दिल्ली से नागपुर की ट्रैन यात्रा के दौरान पढ़ा था। उपन्यास अच्छा लगा था।
फरवरी में पढ़ा गया चौथा उपन्यास सुपर्णा चटर्जी का द आल बंगाली क्राइम डिटेक्टिव्स है। एबीसीडी क्लबश्रृंखला का यह पहला उपन्यास है। उपन्यास मुझे पसंद आया। उपन्यास के मुख्य किरदार कुछ सेवानिवृत्त बुजुर्ग हैं जो कि एक हीरे की चोरी को सुलझाने का निर्णय लेते हैं। एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार की ज़िंदगी को बेहद खूबसूरती से सुपर्णा जी ने दर्शाया है। मैं इस श्रृंखला के बाकी उपन्यास भी जरूर पढ़ना चाहूँगा।
फरवरी में पढ़ा गया पाँचवा और आखिरी उपन्यास वेद प्रकाश काम्बोज जी द्वारा लिखा गया खतरे की खोपड़ी था। वेद जी का नाम मैंने पहले केवल सुना था। पल्प साहित्य के स्वर्णिम काल में वो अपने चरम पर थे और काफी प्रसिद्ध थे लेकिन मैंने उनकी एक भी कृति आजतक नहीं पढ़ी थी। इस बार पहली बार उन्हें पढ़ा। डेली हंट एप्लीकेशन में उनका एक उपन्यास खरीद कर रखा हुआ था तो सोचा उसे ही पढ़ लूँ। खतरे की खोपड़ी में में हास्य की मात्रा काफी है जिसने मेरा भरपूर मनोरंजन किया। मुझे लगता है उपन्यास में हास्य हो तो पढ़ने का मज़ा काफी बढ़ जाता है। उपन्यास दो अपराधियों हरि ठाकुर और ओमा चौधरी की कहानी है। बीस साल की सजा के बाद जब वो बाहर लौटते हैं तो उनका इरादा यही रहता है कि उन्हें जेल न जाना पड़े लेकिन फिर परिस्थिति कुछ ऐसी बनती है कि एक कत्ल में उनका नाम आ जाता है। उपन्यास शुरुआत में एक थ्रिलर रहता है जो आखिर तक आते आते एक हु डन इट में तब्दील हो जाता है। उपन्यास अच्छा है और इसने मुझे वेद जी के दूसरे उपन्यासों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया है।
तो ये थी वो कृतियाँ जो फरवरी के माह में मैंने पढ़ी। इधर मैंने संक्षिप्त वर्णन ही दिया है। कृतियों के प्रति मेरी विस्तृत राय आप ऊपर सूची में कृतियों के नाम पर क्लिक करके जान सकते हैं।
आपने ऊपर दी गयी कृतियों में कितनों को पढ़ा है? और आपकी इनके प्रति क्या राय है?
आपने फरवरी माह में क्या पढ़ा? अपने द्वारा पढ़े गए उपन्यासों की सूची कमेंट बॉक्स में जरूर दीजियेगा। हो सकता है मुझे पढ़ने के लिए कोई नई कृति दिख जाए।
अब मार्च चल रहा है और मार्च में मैं फिलहाल जॉन मीनी का एक उपन्यास बैड लेडी और संतोष पाठक जी का उपन्यास क़त्ल की पहेली पढ़ रहा हूँ। जहाँ बैड लेडी एक ऐसे बच्चे की कहानी है जिनकी माँ को मल्टीप्ल पर्सनालिटी डिसऑर्डर है। उसकी माँ की जो दूसरी पर्सनालिटी है उसे ही लड़का बैड लेडी कहता है वहीं कत्ल की पहेली विक्रांत गोखले श्रृंखला की एक मर्डर मिस्ट्री। दोनों ही उपन्यास रोचक लग रहे हैं।
आप लोग फिलहाल क्या पढ़ रहे हैं? और मार्च में आगे क्या पढ़ने का इरादा है?
© विकास नैनवाल ‘अंजान’