उपन्यास 24 मार्च से 25 मार्च के बीच पढ़ा गया
संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या: 167
प्रकाशक : राजा पॉकेट बुक्स
सीरीज: विमल #2
पहला वाक्य:
आपका नाम वीरप्पा है?
सेंट्रल जैल से भागकर सरदार सुरेन्द्र सिंह सौहेल जब मुम्बई पहुँचा तो उसकी माली हालत बहुत बदतर हो चुकी थी।वो उस दिन को कोसता था जिस दिन औरों की देखा देखी उसने जेल से भागने का फैसला किया था।
फिर उसके ज़िन्दगी में ऐसी घटनायें हुई जिनके तहत उसे मुम्बई से कूच करना पड़ा। वो विमल जिसे खाने के लिए चोरी करने से भी गुरेज था,वह विमल मुम्बई से कातिल बनकर निकला।
मुम्बई से भागकर वो पहुंचा मद्रास।उसके पास एक बहुमूल्य हार था जिसे बेचकर वो नए सिरे से ज़िन्दगी बिताना चाहता था।लेकिन उधर कुछ ऐसा होता कि विमल को एक रॉक शो में चोरी करने के लिये हामी भरनी पड़ती है।
आखिर क्यों विमल को इस चोरी के लिए हामी भरनी पड़ी? क्या वो चोरी में सफल हो पायेगा? क्या गुनाह के दलदल में धँसते उसके कदम रुकेंगे या वो इस दलदल में धँसता चला जायेगा?
दौलत और खून विमल सीरीज का दूसरा उपन्यास है। पहला उपन्यास मौत का खेल है जिसके विषय में आप इधर पढ़ सकते हैं।
मौत का खेल
दौलत और खून घटनाक्रम वहाँ से शुरू होता है जहाँ मौत के खेल का घटनाक्रम समाप्त हुआ था।
विमल का ये किस्सा मुझे बेहद पसंद आया। उपन्यास एक थ्रिलर जिसने शुरू से लेकर अंत तक मनोरंजन किया।इसमें डकैती है, धोखा है,बदला है यानी की हर वो चीज़ है जो एक उपन्यास को एक ही बैठक में पठनीय बनाता है। और इसके इलावा इसमें विमल की वो झलक देखने को मिलती है जो आगे जाकर उसे न भूतो न भविष्यति की उपाधि से नवाजे जाने को सार्थक करेगी।
अगर आपने इस उपन्यास को नहीं पढ़ा है तो आपको इसे ज़रूर पढ़ना चाहिए।अगर आपने उपन्यास पढ़ा है तो आपको ये उपन्यास कैसा लगा ये कमेंट बॉक्स में बताना न भूलियेगा।और अगर आपने ये उपन्यास नहीं पढ़ा तो आप निम्न लिंक से इसे मँगवा सकते हैं:
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