प्रेत अंकल | राज कॉमिक्स | टीकाराम सिप्पी

संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: पैपरबैक (बिग साइज़) | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | पृष्ठ संख्या: 64  | श्रृंखला: प्रेत अंकल #1, थ्रिल हॉरर सस्पेंस | कथा: टीकाराम सिप्पी | चित्र: विनोद कुमार | सुलेख एवं रंगसज्जा: सुनील 

कहानी 

वह एक तूफ़ानी रात थी जब बेबी अपनी जान बचाने के लिए कब्रिस्तान में भाग आई थी। उसके पीछे गुंडे पड़े थे जो कि उसकी जान लेना चाहते थे।

और फिर जंगलों के बीच बेबी का जैकब से सामना हुआ । जैकब जो कि एक प्रेत था। 

आखिर कौन थी बेबी? उसको गुंडे क्यों मारना चाहते थे? जैकब के प्रेत ने बेबी के साथ क्या किया?

किरदार: 

बेबी – एक बच्ची 
गोगा, पेप्सी, हकला और पंजाबी – गुंडे जिनका काम लूटकर माल बटोरना था 
जैकब – एक प्रेतात्मा 
इरी – जैकब का गुरु 
गंजा और टकला – एक प्रेतात्मा 
कपाली – एक जादूगररनी जो कि तंत्र शक्तियों में सिद्धहस्त थी 
खेरू – एक बड़ा गुंडा 

मेरे विचार

प्रेत अंकल राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित प्रेत अंकल श्रृंखला का पहला कॉमिक बुक है। यह कॉमिक बुक राज कॉमिक्स की थ्रिल हॉरर सस्पेंस शृंखला का भी कॉमिक है जिसमें राज कॉमिक्स हॉरर और रोमांचकथाएँ प्रकाशित करते हैं। कॉमिक बुक काफी समय से मेरे पास पड़ा हुआ था तो सोचा इसे पढ़ ही लिया जाए। 
प्रेत शब्द जब हम सुनते हैं तो मन में एक खौफनाक आत्मा का अक्स उभर जाता है। ऐसी आत्मा जो कि मनुष्यों को कष्ट ही पहुँचाती है। लेकिन प्रेत अंकल के माध्यम से राज कॉमिक्स के टीकाराम सिप्पी ने एक अलग ही तरह के प्रेत दुनिया का निर्माण किया है। इस दुनिया में अच्छे प्रेत भी हैं और बुरे प्रेत भी मौजूद हैं। और यह सभी प्रेत इरी की गुफा में रहते हैं जहाँ सदात्माएँ सुख सुविधा से रहते हैं और दुष्ट आत्माओं को कष्ट दिये जाते हैं। यह सभी आत्माएँ इरी के नियंत्रण में हैं और उसे अपने गुरु मानती हैं।  इसी गुफा में रहने वाली एक सदात्मा है जैकब जो कि अपनी ही प्रेत दुनिया में मशरूफ़ है। वह इरी का पसंदीदा शिष्य भी है। उसका जीवन तब बदल जाता है जब उससे बेबी नाम की बच्ची टकराती है। बेबी के जैकब से मिलने के बाद का घटनाक्रम ही इस कॉमिक का कथानक बनता है। 
कॉमिक बुक मुझे पसंद आया। इसकी कहानी एक तूफ़ानी रात से शुरू होती है जहाँ जैकब बदमाशों के चंगुल से बेबी को बचाता है। उसके द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद उसकी जिंदगी में एक के बाद एक ऐसी घटनाएँ होती है जिनके चलते एक तरफ तो वह बदमाशों को उनके किए की सजा देता है वहीं कपाली नाम की जादूगरनी और अपने गुरु इरी से भी उसका टकराव हो जाता है। वह क्यों कपाली से लड़ता है? उसके गुरु क्यों उसके खिलाफ होते हैं? यह देखना रोचक रहता है। वहीं वह किस तरह से गुंडों मो मारता है यह देखने के लिए भी आप कॉमिक के पृष्ठ पलटते जाते हैं। कथानक में शुरुआत से ही घटनाएँ तेजी से घटित होती हैं। एक के बाद एक नए नए घुमाव कहानी में आते हैं जो 64 पृष्ठों के इस कॉमिक बुक से आपको बांधकर रखते हैं। 
कथानक की कमियों की बात करूँ तो इक्का दुक्का बातें ऐसी हैं जिन पर काम किया जाना चाहिए था।  
कथानक में कपाली नाम की जादूगरनी का किरदार अचानक से प्रविष्ट करता है। वह जैकब से जंगल में तब टकराती है जब वह एक गुंडे को सजा दे रहा होता है। कपाली उस जंगल में इतनी रात गए क्या कर रही थी यह बात साफ नहीं की गयी है। इसे लेखक ने एक संयोग की तरह प्रस्तुत किया है जो कि मुझे कमजोर बात लगी।  अगर उसका जंगल में होने का कोई पुख्ता कारण देते तो शायद बेहतर होता। 
कपाली का कथानक में आना भी थोड़ा संशय से भरा है। जब वह पहली बार गुंडों से मिलती है तो जैकब उसके कैद में रहता है और वह उन चारों में से एक की बलि लेना चाहती थी। यह बात वह कहती भी है। लेकिन आगे चलकर इस बलि वाली बात पर कोई बात नहीं होती है। वहीं कथानक में गुंडे और कपाली एक साथ इसलिए काम करते हैं क्योंकि उनके अनुसार कपाली को प्रेत चाहिए था और उन्हे लड़की। लेकिन यह बात तर्क संगत नहीं लगती है क्योंकि जब कपाली गुंडों के पास आई थी तो प्रेत तो उसके पास था ही तो उसे उनके पास आने की जरूरत ही क्या थी। लेखक को इस बिन्दु पर और काम करना चाहिए था क्योंकि अभी यह कहानी का कमजोर हिस्सा है। 
कथानक में एक और बात मुझे खटकी थी। कहानी में प्रेत मनुष्यों को तब ही दिख सकते हैं जब वह रूप बदल कर उन्हें मिले। अपने मूल रूप में वह मनुष्यों को नहीं दिखते हैं। कॉमिक बुक में जब भी कोई प्रेत रूप बदलकर मनुष्यों से मिलता है तो वह खौफनाक रूप ही धारण करता है। सोचने वाली बात है कि वह आम रूप क्यों नहीं धारण करता है। वो भी तब जब उसका मकसद दिखाई देने वाले की मदद करना हो।  क्या प्रेतों की रूल बुक में ये लिखा था कि प्रेत जब रूप बदलेंगे तो वह भयावह रूप ही धारण करेंगे? इस बिन्दु पर कथानक में कुछ नहीं कहा गया है जबकि लेखक को साफ करना था। 
कॉमिक बुक के आर्टवर्क पर मैं इतना ध्यान नहीं देता हूँ जब तक कि वह ज्यादा खराब न हो। प्रेत अंकल का आर्टवर्क ठीक है और मैं उससे संतुष्ट हूँ। 
अंत में यही कहूँगा कि प्रेत अंकल एक अच्छा कॉमिक बुक है जो कि मुझे पसंद आया। अगर आपने नहीं पढ़ा है तो आपको एक बार इसे जरूर पढ़ना चाहिए। मैं इस शृंखला के अन्य कॉमिक बुक जरूर पढ़ना चाहूँगा। 
अगर आपने इस शृंखला के कॉमिक बुक पढ़े हैं तो मुझे इनके विषय में अपनी राय से जरूर अवगत करवाइएगा। 

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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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6 Comments on “प्रेत अंकल | राज कॉमिक्स | टीकाराम सिप्पी”

    1. लेख आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा। आभार।

    1. लेख पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा… आभार..

  1. Raj Comics… pata nahi kitni hi yaadein hai bachpan ki comics ke sath. I wish ki mere bache bhi inhe padhe. Wonderful review.

    1. जी आभार… पढ़ेंगे अगर पढ़ने को मिले तो।

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