संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 32 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | श्रृंखला: बाँकेलाल | कहानी: मीनू वाही | चित्रांकन: बेदी
कहानी:
विशालगढ़ की तलाश में भटकते हुए और मुसीबतों से पीछा छुड़ाने की कोशिश करते हुए बाँकेलाल और विक्रम सिंह राजा मुद्रिका देव के राज्य में पहुँच गये थे। राजा के पास एक जादुई अँगूठी थी जिससे वह किसी भी जीव को काबू में ला सकता था।
बाँकेलाल ने वो अँगूठी देखी तो उसके मन में एक योजना उत्पन्न हो गयी। वह एक जाल बुनने लगा जिसमें राजा मुद्रिका देव तो फँसते ही फँसते उसका दुश्मन विक्रम सिंह ही फँस कर रह जाता।
आखिर क्या था बाँकेलाल का यह जाल? क्या इस बार उसकी योजना सफल हो पाई?
मेरे विचार:
‘बाँकेलाल का जाल’ बाँकेलाल डाइजेस्ट 11 में प्रकाशित हुआ पाँचवा कॉमिक बुक है। बाँकेलाल का जाल भी उसी श्रृंखला का कॉमिक है जिसमें बाँकेलाल और विक्रम सिंह विशालगढ़ की तलाश में यहाँ वहाँ भटक रहे हैं और इस दौरान कई मुसीबतों से दो चार हो रहे हैं।
बाँकेलाल का जाल में बाँकेलाल और विक्रम सिंह एक भेड़ की खाल में छुपे भेड़िये, राक्षस प्राण भेदी, महाजीव (जो कि डायनासोर्स हैं) और राजा मुद्रिका देव से जूझते हुए दिखते हैं। वहीं बाँकेलाल इन सबके बीच अपनी गोटी फिट करते हुए भी दिखता है जिसका परिणाम क्या होगा यह तो हम सभी जानते हैं।
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एक के बाद एक ऐसी घटनाएं होती रहती हैं जो कि आपको पृष्ठ पलटने को मजबूर कर देती हैं।
कॉमिक के डायलॉग आपको गुदगुदाते हैं और कई बार हँसी छूट जाती है। अगर आप कॉमिक घरवालों के सामने पढ़ रहे हैं तो इससे घरवालों का ध्यान अपनी तरफ खिंच सकता है और आप उनके कोतुहल के बायस बन सकते हैं। अगर आप किताबों के अन्दर कॉमिक्स छुपाकर पढ़ने के आदि हैं तो यह आपके लिए खतरनाक भी हो सकता है।
अंत में यही कहूँगा कि यह एक टिपिकल बाँकेलाल कॉमिक बुक है जो कि अगर आप बाँकेलाल के प्रशंसक हैं तो आपको सन्तुषट करेगा। मुझे तो यह कॉमिक बुक पसंद आया।
अगर आपने इस कॉमिक बुक को पढ़ा है तो आपको यह कैसा लगा? मुझे जरूर बताइयेगा।
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