संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 24 | प्रकाशक: फिक्शन कॉमिक्स | शृंखला: अमावस #5 | श्रेणी: वयस्क (Mature Audience)
टीम
लेखक: आशुतोष सिंह राजपूत, के गोविंद थान्वी | चित्रांकन: विकास सतपती | कलर्स: बसंत पंडा | कैलीग्राफी: हरीश दास मानिकपुरी | सह-संपादक: नवीन पाठक | संपादक: सुशांत पंडा
कहानी
मेरे विचार
‘अमावस टर्मिनेशन’ फिक्शन कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित अमावस शृंखला का पाँचवा कॉमिक्स है। कॉमिक्स को आशुतोष सिंह राजपूत और के गोविंद थान्वी की टीम द्वारा लिखा गया है।
प्रस्तुत कॉमिक बुक की शुरुआत उसी बिन्दु से होती है जहाँ पर अमावस पजेस्ड का अंत होता है। ‘अमावस पजेस्ड’ के अंत में हमने देखा था कि सुमीत इस बार ब्लैक मास्क के समक्ष खड़ा था। उसने शालनी पर तो काबू पा लिया था लेकिन ब्लैक मास्क ने उसका वह मुंड तोड़ दिया था जिससे वह अमावस पर काबू पाना चाहता था।
अब प्रस्तुत कॉमिक में ब्लैक मास्क और सुमीत का युद्ध तो होता ही है साथ नेक्टर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाता है। अब तक नेक्टर भैरोंगढ में अमावस के ऊपर रिसर्च करता कहानी में साइड लाइन में ही दिख रहा था लेकिन अब वह मुख्य एक्शन में शामिल होता है। नेक्टर, ब्लैक मास्क और सुमीत के बीच किस तरह समीकरण बदलते बनते रहते हैं। वह अमावस से कैसे टकराते हैं और अमावस उनका मुकाबला करने के लिए क्या-क्या करता है यही सब कथानक का भाग बनता है।
कॉमिक में शैतानी ताकत दिखती है और यह भी दिखता है कि कैसे शैतान इंसानी डर का प्रयोग उनको काबू करने के लिए करते हैं। यह डर हर व्यक्ति में व्याप्त होता है। कोई न कोई चीज ऐसी होती है जो कि उसे लगता है कि उसकी कमी है। फिर वह व्यक्ति कोई सुपर हीरो ही क्यों न हो। बस आम आदमी इन डरो के आगे घुटने टेक देता है और वह हीरो सुपर हीरो सरीखा बन जाता है जो कि इन डरो के होने के बावजूद सही कार्य करता चला जाता है। कॉमिक में हमें यह भी देखने को मिलता है कि कैसे हमारे हीरोज अपने डर पर काबू पाते हैं।
वैसे तो कॉमिक 24 पृष्ठ की है लेकिन इसमें दो पेज का फ्लैश बैक है जिससे कहानी के लिए 22 पृष्ठ ही मिले हैं। इन्हीं पृष्ठों में लेखक द्वय को कहानी खत्म करनी है जो कि उन पर चीजों को जल्दी से खत्म करने का दबाव डालता है। इसलिए कुछ चीजें जैसे अघोरी के साथ हुई घटना या अंकुश द्वारा किया गया रिसर्च दिखलाने के बजाए एक पैनल में बता दिया जाता है। वहीं कम पृष्ठ ट्विस्ट लाने की संभावना भी कम कर देते हैं।
फिर भी जितनी जगह उन्हें मिली है उसका उन्होंने सदुपयोग किया है। कहानी में एक्शन काफी है। शुरुआत से लेकर अंत तक यह चलते रहते हैं जो कि पाठकों को बांधकर रखने के लिए काफी हैं।
कॉमिक बुक जहाँ पर खत्म होती है वह भी मुझे पसंद आया। लेखक सुमीत और बिलासा सिटी के नायकों के लिए एक नई संभावना छोड़ देते हैं। ज्यादा कुछ कहना तो स्पॉयलर देना होगा लेकिन इतना कहूँगा कि कॉमिक का आखिरी पेज आपको सुमीत की आने वाली यात्रा और बिलासा सिटी के नायकों नेक्टर और ब्लू आय के भविष्य के विषय में उत्सुक जरूर कर देगा।
एक और चीज थी जो मुझे रोचक लगी। जब अमावस मंत्रोंचारण करते सुमीत के पास पहुँचता है तो उस फ्रेम में एक बिल्ली भी रहती है। यह बिल्ली कौन थी और क्या इसका कोई महत्व था यह बात इस कॉमिक में तो साफ नहीं की गई है। मैं ये जरूर जानना चाहूँगा कि यह बिल्ली इधर क्यों रखी गई और इसका क्या महत्व था।
कॉमिक की कमी की बात करूँ तो इक्का दुक्का जगह इसमें प्रूफिंग की गलतियाँ हैं। जैसे पृष्ठ दस में लिखा है: ‘वहाँ के जंगले में हुए हादसे के बारे में पता किया तो अमावस का नाम सामने आया और फिर तुम्हारा भी’
इधर जंगले की जगह जंगल आना चाहिए था। ऐसे ही पृष्ठ 15 में लिखा है ‘तेरी स्वादिष्ट आत्माऔर शरीर का भोग करने के लिए मुझे अपना पुराना तरीका ही अपनाना पड़ेगा।’ इधर आत्मा और और के बीच दूरी होनी चाहिए थी।
अगर कथानक की कमियों की बात करूँ तो पिछले कॉमिक में साध्वी का किरदार लेखक द्वय लेकर आए थे। मुझे लगा था उसकी इस भाग में भी कुछ भूमिका होगा लेकिन ऐसा कुछ इधर देखने को नहीं मिलता है। जहाँ पिछले कॉमिक में शैतान आया था तो वो भी इधर देखने को नहीं मिलता है। अगर ये दोनों किरदार इधर होते तो शायद कथानक में रोमांच और बढ़ सकता था। इनका गायब होना अखरता है।
वहीं अमावस पजेस्ड में एक फ्रेम में दर्शाया जाता है कि शालिनी शेखावत अपने छोटे भाई के साथ रहती है। लेकिन इस कॉमिक बुक में उसके घर में इतना हड़कंप मचता है लेकिन उसका भाई कहीं नजर नहीं आता है। किसी व्यक्ति की इतनी गहरी नींद होना तार्किक नहीं लगता है। अगर लेखक चाहते तो कथानक में शालिनी के भाई का प्रयोग कर भी कथानक में रोमांच ला सकते थे लेकिन उन्होंने इसे बिल्कुल ही नजरंदाज कर दिया। जो शैतान मनुष्य के अंदर के डर को देख सकता है उसे घर में मौजूद बच्चे का पता न हो और वह उसका उपयोग न करे यह बात जमती नहीं है। फिर अगर लेखक द्वय को इस बच्चे का प्रयोग नहीं भी करना था तो कम से कम बच्चे को दर्शाना चाहिए था भले ही शालिनी को उसे सावधान करते हुए दर्शाते कि कुछ भी हो कमरे से बाहर न निकले।
इसके अतिरिक्त जैसे मैंने ऊपर कहा कि पृष्ठ कम होने के चलते थोड़े ट्विस्ट और रोमांचक घटनाओं की कमी लगती है। मुझे लगता है अगर यह कॉमिक 30 पेज का होता तो लेखक द्वय जरूर इसे और रोमांचक बना सकते थे।
कॉमिक बुक के आर्ट वर्क की बात करूँ तो कॉमिक का आर्टवर्क विकास सतपति द्वारा बनाया गया है और रंग बसंत पंडा के हैं। आर्टवर्क मुझे पसंद आया है और रंगों ने आर्टवर्क में जान फूँक दी है और माहौल को उभारने का काम किया है। ऐसे में बस एक ही चीज की कमी खलती है और वो है कॉमिक बुक में स्प्लैश पेज का होना। अगर एक स्प्लैश पेज कॉमिक में होता तो मज़ा ही आ जाता।
अंत में यही कहूँगा कि प्रस्तुत कॉमिक बुक मुझे पसंद आया। यह कॉमिक बुक एक अच्छी रोमांचकथा है जो आपको निराश नहीं करती है और इस यूनिवर्स के आगे आने वाले कथानकों के प्रति आपकी उत्सुकता जागृत करती है। इन किरदारों की जिन्दगी में आगे क्या होगा यह मैं तो जरूर जानना चाहूँगा। हाँ, मेरी सलाह यही होगी कि इसे हॉरर की अपेक्षा लेकर न पढ़ें। ऐसा करके आप कथानक से न्याय नहीं कर पाएँगे। हाँ चूँकि कॉमिक बुक परिपक्व पाठकों के लिए है तो बच्चों के हाथों से दूर रखने में ही भलाई है। कॉमिक में दर्शाए कुछ दृश्य उनके लिए ठीक नहीं है।