पुस्तक टिप्पणी: जादुई अँगूठी – डॉ. मंजरी शुक्ला | फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन

संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 40 | प्रकाशन: फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन | चित्रांकन: रोहित कर

पुस्तक लिंक: अमेजन

कहानी

मुरब्बा ने जब अपने दोस्त भोलू की दादी को रोते हुए देखा तो उससे कारण पूछे बिना रहा नहीं गया। जब कारण पता लगा तो वो भी व्याकुल हो गया।

उसका दोस्त भोलू, जो तीन दिन पहले शहर काम की तलाश में गया हुआ था , अभी तक लौटकर नहीं आया था।

उसकी दादी को लग रहा था कि कहीं वो किसी मुसीबत में न फँस गया हो। विशेषकर उस जादुई अँगूठी के चलते जिसे वो अपने साथ लेकर गया था।

दादी की आशंका सुन मुरब्बा ने ये फैसला कर लिया कि वह अपने दोस्त को ढूँढकर वापस लाएगा।

क्या वो ऐसा कर पाया?

विचार

‘जादुई अँगूठी’ लेखिका डॉक्टर मंजरी शुक्ला द्वारा लिखित बाल उपन्यास है। यह पुस्तक फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गयी है।

कहानी के केंद्र में एक किशोर है जिसे गाँव वाले मुरब्बा कहकर बुलाते हैं। उसे लोग इस नाम् से क्यों बुलाते हैं ये तो आप पुस्तक पढ़कर ही जानें तो बेहतर होगा। मुरब्बा का दोस्त, भोलू, जब तीन दिन गुजरने के बाद भी शहर से गाँव लौटकर नहीं आता है तो वो उसे ढूँढने निकल पड़ता है। इस यात्रा में उसके साथ जो जो घटित होता है वो ही इस पुस्तक की कहानी बनती है।

इस पुस्तक में स्वार्थी बौने हैं, जो इंसानों को कैद करते हैं, एक भोला राजा है जो किसी की भी बात में आ जाता है, बोलती नाव है, बोलते घोड़े हैं और बोलती उड़ने वाली मछलियाँ भी हैं।

कहानी में मुरब्बा दोस्ती और भलमनसाहत की मिसाल पेश करता है। वह यह भी दर्शाता है कि सूझ बूझ से हम किसी भी परेशानी का तोड़ हासिल कर सकते हैं। वहीं राजा सुंदरसेन, जिसे सब कद्दू राजा कहकर बुलाते हैं, के किरदार से यह भी सीख मिलती है कि कैसे हर किसी पर विश्वास करना कभी कभी मुसीबत को न्यौता दे देता है। कई बार हम दूसरों की गलतियाँ तो देख लेते हैं लेकिन जब वो गलती खुद ही करते हैं तो हमें इसका भान भी नहीं होता है। यह बात बौनों के सरदार जोरिंडा के साथ घटित होती देखी जा सकती है। कहानी पठनीय है और एक बार शुरू करने पर आप इसे खत्म करके ही रुकते हैं। कथानक में कई हास्यजनक घटनाएँ भी होती हैं जो आपके चेहरे पर मुस्कान ले आते हैं।

कथानक छोटे छोटे आठ अध्यायों में विभाजित है। पुस्तक बाल पाठकों को ध्यान में रखकर सरल भाषा में लिखी हुई है जिससे पढ़ते हुए उनके पढ़ने के अनुभव में कोई बाधा नहीं पहुँचती है।

हाँ, कहानी का शीर्षक ‘जादुई अँगूठी’ है और इसमें अँगूठी के विषय में बात भी होती है। पर मुझे लगा कि जादुई अँगूठी के जादू को कहानी में और दर्शाया जा सकता था। हमारे किरदार उसका प्रयोग कर और कुछ भी करते दिखते तो बेहतर होता। अभी आखिर में ही उसका जादू देखने को मिलता है। वहीं कहानी में मुरब्बा के अलावा बौने राजा जोरिंडा की यात्रा भी दर्शायी है। इस यात्रा को को दर्शाने के लिए कहानी के चौदह पृष्ठ प्रयोग में लाए गए हैं। यह हिस्सा रोचक है और कई हास्य जनक घटनाएँ यहाँ होती हैं पर फिर भी यह मुख्य कहानी से अलग ही लगता है। न बौने सरदार को इस यात्रा से कोई सीख मिलती है और न इसमें आये किसी किरदार से मुख्य कहानी पर ही कोई असर होता है। यानी देखा जाए तो उतना हिस्सा हटा भी दें तो मुख्य कहानी पर कोई इतना असर पड़ेगा नहीं। ऐसे में यह हिस्सा थोड़ा अनावश्यक लगता है। अगर इस दूसरे किरदार की यात्रा को किसी तरह मुख्य कहानी से जोड़ा जाता तो मुझे लगता है कि अच्छा होता। पुस्तक उससे और अधिक निखर सकती थी।

इस पुस्तक का एक महत्वपूर्ण अंग इसमें प्रकाशित सुंदर रंगीन चित्र भी हैं। रोहित कर द्वारा बनाए गए यह चित्र पढ़ने के अनुभव को बढ़ा देते हैं। इसके लिए चित्रकार रोहित कर बधाई के पात्र हैं।

अंत में यही कहूँगा कि ‘जादुई अँगूठी’ एक पठनीय रचना है। अगर आपके घर में बाल पाठक हैं तो उन्हें यह पढ़ने के लिए दे सकते हैं। आशा है यह उनका मनोरंजन करने में सफल होगी।

पुस्तक लिंक: अमेजन


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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