बुक हॉल श्रृंखला की सबसे ताजातरीन पोस्ट्स लेकर मैं आपके समक्ष प्रस्तुत हुआ हो रहा हूँ। इस पोस्ट में मैं आपसे अक्टूबर 2020 से जनवरी 2021 के बीच ली गयी किताबों के विषय में बातचीत करूँगा।
वैसे तो जनवरी अभी बीती नहीं है लेकिन मुझे इतना यकीन है कि जनवरी में मैं और ज्यादा कुछ खरीदने नहीं वाला हूँ। यह इसलिए भी है क्योंकि मैंने पिछले दो तीन महीनों में किताबें खरीदनी काफी कम कर दी है। सच पूछें तो मैंने यह निर्णय बहुत सोच समझ कर लिया है। ऐसा नहीं है कि मेरा किताबों के प्रति प्रेम कम हो गया है। मेरा प्रेम बरकरार है और मैं निरंतर पढ़ ही रहा हूँ लेकिन अब निरंतर खरीद पर थोड़े दिनों के लिए रोक लगा ली है।
असल में बात है यह मैं पिछले कुछ वर्षों से हर महीने किताबें खरीदता रहा हूँ। किताबें खरीदने का यह दर किताबें पढ़ने के दर से काफी ज्यादा था। इसके कारण मेरे पास ऐसी काफी किताबें जमा हो चुकी हैं जिनको मैं अभी तक पढ़ नहीं पाया हूँ। वह किताबें निरंतर शेल्फ में पड़ी पड़ी इतंजार करती रहती हैं कि मैं उन्हें लेकर पढूँ लेकिन मैं उन्हें हाथ में लेने के बजाय नई नई किताबों को खरीदने में मसरूफ रहा करता था। लेकिन अब मैंने यह फैसला किया है कि मैं पहले मेरे पास जो किताबें मौजूद हैं उन्हें पढ़ने पर ज्यादा ध्यान दूँगा। किताबें खरीदने पर ध्यान कम ही दूँगा।
इसीलिए इस बार चार महीनों की किताबें मिलाकर भी उतनी संख्या नहीं बन पाई है जितना कभी एक हफ्ते की खरीद की बन जाती थी। खैर, चलिए मैं आपको अब बताता हूँ कि इन चार महीनों में मैंने कौन कौन सी किताबें ली हैं।
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अक्टूबर
अक्टूबर के माह में मैंने एक ही किताब ली थी और वह एक कॉमिक बुक संकलन है। यह संकलन वॉल्वरिन फर्स्ट क्लास: लीडर ऑफ़ द पैक है। वॉल्वरिन मेरे पसंदीदा कॉमिक बुक किरदारों में से एक है। मुझे हमेशा से लगता है कि कॉमिक बुक और एनिमेटेड श्रृंखला का वॉल्वरिन फिल्मों के वॉल्वरिन पर बहुत भारी पड़ता है। वॉल्वरिन फर्स्ट क्लास लीडर ऑफ़ द पैक में वॉल्वरिन फर्स्ट क्लास के अंतर्गत प्रकाशित हुई शुरुआत की आठ कॉमिक बुक्स यानी Koan, The pack Part 1, The Pack part 2, The substitute, Hand in Hand, Demon with a crass hand, Rock Gods,Bedazzled को संकलित किया गया है। इस कॉमिक में हॉरर के तत्व भी मौजूद हैं क्योंकि वॉल्वरिन एक वेयरवुल्फ बनता दिखाया गया है।
मैं अक्सर संकलन लेना पसंद करता हूँ क्योंकि इससे अलग अलग भाग एक साथ पढ़ने को मिल जाते हैं वरना तो कई बार ऐसा भी हुआ है कि एक भाग मुझे मिला है और दूसरा मिलता ही नहीं है। इससे कहानी अधूरी छूट जाती है जो कि मुझे पसंद नहीं है। यह संकलन वैसे तो मैंने वॉल्वरिन के लिए मँगवाया था लेकिन अब चूँकि इसमें हॉरर के तत्व हैं तो यह सोने पर सुहागा हो चुका है। पढ़ने में मजा आने वाला है।
किताब लिंक: पेपरबैक
किंडल अनलिमिटेड
अक्टूबर के महीने में मैंने जीवन में एक और बदलाव किया है। मैंने किंडल अनलिमिटेड का स्बस्क्रिपशन ले लिया है। पहले मैं किंडल पर किताबें खरीद लिया करता था लेकिन अब इस सेवा का उपयोग करने लगा हूँ।
मुझे यह अच्छी सेवा लगी है। मूलतः यह एक पुस्तकालय की तरह है। किंडल अनलिमिटेड के अंदर काफी पुस्तकें अमेज़न पर मौजूद हैं (यहाँ यह बताना जरूरी है कि हर एक किंडल की किताब इसमें शामिल नहीं है लेकिन फिर भी इतनी किताबें शामिल हैं कि पढ़ने के लिए आपको काफी कुछ मिल जाता है)। अगर आप इस सेवा का उपयोग करते हैं तो आप इन किताबों में से कोई भी किताब डाउनलोड करके पढ़ सकते हैं। एक उपभोक्ता एक बार में दस किताबो को डाउनलोड कर सकता है। किंडल अनलिमिटेड सबस्क्रिपशन लेने के बाद आपके पास असंख्य किताबों का जखीरा खुल जाता है। वहीं इससे लेखकों को भी फायदा होता है क्योंकि आप जितने पृष्ठ पढ़ते हैं उस हिसाब से अमेज़न लेखक को मानेदय भी देता है। यह मुझे सबसे अच्छी बात लगती है। इस सेवा के लिए मुझे प्रति माह 169 रूपये ही देने होते हैं जो कि मुझे लगता है वाजिब कीमत है। अगर एक माह में मैं चार किताबें भी किंडल में पढ़ लेता हूँ तो यह पैसे वसूल हो जाते हैं। मैं अक्सर ज्यादा किताबें ही पढ़ लेता हूँ। जिसे पढ़ लेता हूँ उसे लौटा देता हूँ और उसकी जगह एक डाउनलोड कर देता हूँ। इस तरह से मेरे पास दस किताबों का कलेक्शन बना ही रहता है।
इस महीने मेरे पास निम्न किताबें डाउनलोड हो रखी हैं:
किंडल अनलिमिटेड सेवा के अंतर्गत डाउनलोड की गयी किताबें |
- आवाज़ – चन्द्रप्रकाश पाण्डेय (49 रुपये)
- 11:59 – मिथलेश गुप्ता (49 रूपये )
- छलावा – संतोष पाठक (99 रुपये )
- हर्बर्ट – नाबरून भट्टाचार्य (156 रूपये)
- मेरी प्रिय कहानियाँ – शिवानी (157)
- द केस बुक ऑफ़ रेमंड ओडेल – गाय एन स्मिथ (295 रूपये)
- ऑफस्प्रिंग – जैक केचम (114 रूपये )
- द फर्स्ट वैम्पायर – विक्रम ई दीवान (99 रूपये )
- मर्डर इन द मोनास्ट्री -बरुन चंडा (195 रूपये)
- पेनुम्ब्रा – भास्कर चट्टोपाध्याय (234 रूपये)
इन सब किताबों की कीमत देखूँ तो अगर मैं यह किताबें खरीदता तो यह मुझे खरीदने पर 1447 रूपये की पड़ेंगी लेकिन किंडल अनलिमिटेड के माध्यम से मुझे 169 में ही पढ़ने के लिए उपलब्ध हैं। तो यह सौदा मुफीद ही है। अक्टूबर से लेकर अभी जनवरी तक मैंने काफी किताबें इस सेवा के माध्यम से पढ़ ली हैं।
भारत में वैसे भी पुस्तकालय की कमी रहती है। ऐसे में एक ऐसे ई पुस्तकालय का आपके पास होना जहाँ से आप जब चाहें किताबें इशू करवा सकते हैं मुझे तो अच्छा विकल्प लगता है। वैसे तो यह सुविधा किंडल के मोबाइल एप्लीकेशन पर भी उपलब्ध है लेकिन चूँकि मोबाइल पर ज्यादा पढ़ने पर आँखों में असर पड़ता है तो मैं कहूँगा कि अगर आपका बजट हो तो बेसिक वर्शन लिया जा सकता है। मैंने अपना किंडल 2014 में लिया था और आजतक बढिया काम कर रहा है।
अगर आप मेरी तरह पाठक हैं तो आपको एक बार इसे अजमाना जरूर चाहिए। निम्न लिंक पर आप इसे सबस्क्राइब कर सकते हैं। किताबो की काफी बढ़ी दुनिया तक आपकी पहुँच हो जाएगी।
नवम्बर
नवम्बर की बात करूँ तो नवम्बर में मैंने एक ही किताब मँगवाई। यह किताब सत्य व्यास का उपन्यास उफ़ कोलकता है। सत्य व्यास अभी हिन्दी के प्रसिद्ध लेखकों में से एक हैं। रोचक विषयों पर लिखते रहते हैं। उनकी उफ़ कोलकता हॉरर बताई जा रही है। चूँकि मुझे ऐसे उपन्यास पसंद आते हैं तो मैंने यह झट से ले ली। वैसे भी मैंने उनकी बनारस टॉकीज काफी पहले पढ़ी थी और वो मुझे पसंद आई है। यह देखना है कैसी बन पड़ी है।
जनवरी
दिसम्बर के महीने मैं कुछ नहीं लिया था। जनवरी आया तो मैंने मोहित शर्मा ‘ज़हन’ की दो किताबें मँगवाई है। मोहित शर्मा को मैं काफी समय से पढ़ रहा हूँ। वह अलग अलग नामों से भी लिखते रहते हैं। डेलीहंट और ब्लॉग में वह काफी सक्रिय रहा करते थे। उधर उनका लिखा काफी कुछ पढ़ा है। इससे पहले उनकी किताब बोनसाई कथाएँ पढ़ी थीं इसलिए नई किताबें पढ़ने की उत्सुकता थी। मुझे उनका चीजें देखने का नजरिया और ह्यूमर पसंद आता है। इसलिए जब पता चला कि उनकी दो किताबें आई हैं तो मँगवा ली। यह किताबें निम्न हैं:
कलर ब्लाइंड बालम अपने नाम से ही आकर्षित करती है। इस संग्रह में मोहित शर्मा की ऐसी ही अतरंगी नामों वाली रचनाओं को संकलित किया है। 25 से ऊपर कहानियों को इसमें शामिल किया गया है। एड्स पीड़ित वैम्पायर, कलर ब्लाइंड बालम, झुलसी दुआ, दिलजला कुत्ता, दुश्मन मेहमान, चुड़ैल की लव स्टोरी, नारीत्व, बूढ़े बरगद के पार, बोगस परग्रही, रूहानी नाटक, बॉर्डर पर भूत, समय का उधार, मरो मेरे साथ इत्यादि इसमें संकलित कुछ रचनाएँ हैं।
कुछ मीटर पर ज़िन्दगी
कुछ मीटर पर जिंदगी एक रचना संग्रह है जिसमें लघु-कथा और कहानियाँ दोनों ही हैं। इसमें मोहित शर्मा की 75 कहानियों को संकलित किया गया है।कुछ मीटर पर.. ज़िन्दगी, तंज, कुपोषित संस्कार, यादों की तस्वीर, किसका भारत महान?, राजा की मिसमिसाहट, अमीर की हाय, भालू मानव, किन्नर माँ, नवीन रंजिश, भूत स्वैग, अच्छा घोटाला, काश में दबी आह!, माहौल बनाना इत्यादि इस संग्रह में संग्रहित कुछ रचनाएं हैं।
दोनों किताबें अपने नाम से अलग अलग सा अहसास मन में जगा रही हैं। अपने पृष्ठों में इन्होने क्या छुपाकर रखा है यह देखना अभी बाकी है।
बुक हॉल: अक्टूबर 2020 से जनवरी 2021 |
किताबों के अलावा पत्रिका लेना मुझे पसंद है। साहित्यिक और लाइफ स्टाइल दोनों ही तरह की पत्रिका मैं लेना पसंद करता हूँ। साहित्यिक पत्रिका का फायदा यह होता है कि एक ही पत्रिका में आपको साहित्य की विभिन्न विधाओं की रचना पढ़ने का मौका मिल जाता है। नई किताबों और नये लेखकों से आपका परिचय हो जाता है जो कि मेरे जैसे पाठक के लिए किसी खजाने से कम नहीं है। वहीं लाइफ स्टाइल पत्रिका में भी किस्से कहानियाँ तो रहती हैं लेकिन इनके अलावा कई ऐसे मुद्दे भी होते हैं जिन्हें जान समझ कर एक व्यक्ति के रूप में आप खुद को विकसित ही करते हैं। साहित्यिक और लाइफ स्टाइल पत्रिका के अलावा मैं उत्तराखंड से सम्बन्धित पत्रिका भी लेना पसंद करता हूँ। चूँकि मैं मूलतः उत्तराखंड से आता हूँ तो यह पत्रिकाएँ उत्तराखंड से जुड़ी कई बातों से मुझे अवगत करवाती हैं। इसलिए किताबों के अलावा अक्टूबर से जनवरी के बीच मैंने पत्रिकाएँ भी ली हैं।
हंस, नया ज्ञानोदय और उत्तरांचल पत्रिका तो मैंने सबस्क्राइब की हुई हैं। वही किसी और पत्रिका का अगर कोई अंक मुझे पसंद आता है तो मैं ले लेता हूँ। हंस और उत्तरांचल पत्रिका (फिलहाल ई पत्रिका के रूप में) मेरे पास पहुँच रही हैं लेकिन नया ज्ञानोदय दूसरे घर में आ रही हैं इसलिए हाल फिलहाल में सरिता और युगवाणी भी लेना शुरू किया है। मुझे लगता है अगर आप हिन्दी भाषी हैं तो कम से कम दो पत्रिकाएं तो आपको हर महीने खरीदनी ही चाहिए। एक पत्रिका ऐसी जिसमें आम जनजीवन के विषय में लिखा गया हो और दूसरी कोई साहित्यिक पत्रिका। यह पत्रिका सस्ती भी आती हैं और पढ़ने के लिए आपको काफी कुछ सामग्री भी दे जाती हैं। अगर आप व्यस्त जीवन जीते हैं और आपको यह लगता है कि आपके पास पढ़ने का वक्त नहीं होता है तो यह पत्रिकाएँ आपकी साहित्यिक क्षुधा को शांत करने का अच्छा माध्यम हो सकती हैं।
हंस, नया ज्ञानोदय और उत्तरांचल पत्रिका मिलाकर मेरा 100 रुपये का खर्चा आता है, वहीं सरिता 50 और युगवाणी 20 की पड़ रही है। यानी 170 रूपये के करीब सभी पत्रिका आ जाती हैं जो कि इनमें मौजूद सामग्री की तुलना में मेरे नजर में कोई ज्यादा कीमत नहीं है।
बुक हॉल में पत्रिकाएं भी शामिल हैं |
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तो इन चार महीनों में मैंने यह किताबें और पत्रिकाएँ ली हैं। आपने कौन कौन सी किताबें ली हैं? मुझे जरूर बताइयेगा। क्या आप पत्रिकाएँ पढ़ना पसंद करते हैं? अगर हाँ तो कौन कौन सी पत्रिकाएँ पढ़ना आप पसंद करते वहीं यह मुझे जरूर बताइयेगा।
क्या पता मुझे कोई नई किताब और पत्रिका खरीदने को मिल जाए।
बहुत अच्छा लगा आपके साहित्यिक संसार को जानकर।
साहित्यिक पत्रिकाओं से संबंधित विचार आपका सार्थक है। मेरे पास 'समकालिक हिंदी साहित्य' पत्रिका आती है, इसके अतिरिक्त कुछ पत्रिकाएं बाजार से खरीद ली जाती हैं।
– बाल पत्रिका और किशोर पत्रिकाओं की जानकारी दीजिएगा।
– गुरप्रीत सिंह, राजस्थान
http://www.svnlibrary.blogspot.com
जी आभार…. बाल पत्रिकाओं में बाल हंस, लोट पोट, चम्पक इत्यादि ली जा सकती है….
प्रेरणा देने वाला प्रसंग।
जी आभार…..
बढ़िया……
जी आभार…
बताएं…आपने यहां कवर कर रखा है और मैंने देखा ही नहीं। इतने विषय और पुस्तकों पर आपके द्वारा नियमित पोस्ट करना मुझे अचंभित करता है…जैसे आपका कोई ऑलटर ईगो अलग से सिर्फ़ इस काम पर बैठा हो। पत्रिकाओं पर आपकी बात से सहमत हूं कि कम से कम दो पत्रिकाएं (और कभी-कभार अन्य भी) खरीदनी चाहिए।
देर आये दुरुस्त आये…. जी निरंतर पढता रहता हूँ तो उनके विषय में लिखना भी हो जाता है… वैसे अगर देखा जाए तो हफ्ते में इक्का दुक्का पोस्ट ही आती हैं तो यह फ्रीक्वेंसी इतनी ज्यादा भी नहीं है…..बहरहाल आप आये और आपने टिप्पणी करी…बेहद शुक्रिया…