पुस्तक अंश: अधूरा ख्वाब

अधूरा ख्वाब लेखक आलोक सिंह खालौरी द्वारा लिखी गयी एक उपन्यासिका है। यह विराट सिंह राजपूत नामक व्यक्ति की कहानी है जिसकी जिंदगी में अचानक से ऐसी पारलौकिक शक्ति आ जाती है जो कि उसकी दुनिया ही बदल देती है। आज एक बुक जर्नल इसी उपन्यासिका एक छोटा सा अंश आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा है। आशा है यह अंश आपको पसंद आएगा और आपको पुस्तक पढ़ने के लिए प्रेरित करेगा। 

पुस्तक लिंक: अमेज़न

यह भी पढ़ें: लेखक आलोख सिंह खालौरी से एक बुक जर्नल की बातचीत

पुस्तक अंश: अधूरा ख्वाब

“आओ कहीं बैठकर बात करते हैं।” लड़की ने उसका हाथ थामा और एक ओर को चली। 

उसका स्पर्श बर्फ के समान ठंडा था, विराट के शरीर में कँपकँपी की लहर सी दौड़ गई। वो निर्विरोध उसके साथ खिंचता चला गया।

मायरा उसे सड़क से दूर एक खुले मैदान में ले आई। वहाँ अपेक्षाकृत हरियाली अधिक थी, मायरा उसका हाथ छोड़कर वहीं घास पर बैठ गयी और उसे बैठने का इशारा किया। 

विराट मंत्रमुग्ध सा उसके सामने बैठ गया। विराट को वो लड़की अपने वजूद पर छाती हुई लग रही थी। 

“पहले एक बाजी लूडो खेल लें?” मायरा अर्थपूर्ण नजर से उसकी तरफ देखती हुई बोली। 

“लेकिन…”

“प्लीज।” मायरा जल्दी से उसकी बात काटती हुई बोली। 

“अरे मगर…।”

“प्लीज।”

“ठीक है।” विराट लाचारगी से बोला। 

लड़की बेशक रिक्वेस्ट कर रही थी पर विराट को मालूम था कि इस वक्त होगा वही जो वो चाहेगी। 

उसकी स्वीकृति पर मायरा ने बच्चों की तरह ताली बजाई। 

“पर यहाँ लूडो कहाँ से आएगी?” विराट बोला।

“तुम्हारे सामने है, चाल चलो।”, वह हौले से बोली। 

विराट ने देखा वास्तव में उसके सामने लूडो बिछी हुई थी जिस पर बाकायदा गोटी लगी हुई थी और वहीं पासा भी पड़ा था। 

“चलो ना, पासा फेंको।” मायरा बोली। 

“तुम चलो, लेडीज फर्स्ट।”

“सिर्फ कहने की बात है ये, वरना दुनिया का सिद्धांत तो लेडीज लास्ट… बल्कि लेडीज नेवर का है।” मायरा फीकी हँसी के साथ पासा फेंकती हुई बोली। 

“किसी से प्यार में खता खाई मालूम होती हो?” विराट सहज भाव से बोला। 

“तुम मर्द लोगों के लिए लड़की बस इसी काबिल होति है, प्यार मोहब्बत बस, वो समाज के और किसी काम में कोई योगदान नहीं दे सकती?” मायरा क्रुद्ध स्वर में बोली। 

“नहीं नहीं मेरा मतलब ये नहीं था।” विराट डर गया। 

“हम लड़कियाँ तुम मर्दों से बेहतर चला सकतीं हैं ये दुनिया।” मायरा आग उगलते स्वर में बोली। 

“सॉरी।”

“सॉरी कहने से काम नहीं चलेगा, बदलो इस सिस्टम को। तुम मर्दों के हाथ में है ना ये समाज, ये धर्म, ये देश देखो क्या हालत कर दी है तुम लोगों ने, चारों तरफ नफरत और कट्टरता भरी पड़ी है। दुनिया में गूँजना चाहिए संगीत और गूँज रहे हैं बम धमाके और गोलियाँ।”

“आप सही कह रही हैं मायरा जी।”

“कुछ नहीं होगा, दुनिया को मायरा नहीं इकबाल चाहिए।” वो निराश स्वर में बोली। 

“ये इकबाल कौन है?” विराट ने डरते डरते पूछा। 

“मेरा छोटा भाई है इकबाल।” उसका गुस्सा थोड़ा शांत हुआ। 

लूडो का खेल फिर शुरू हो गया। फिर एक चाल में विराट के चार आए और चार पर मायरा की पकी हुई गोटी मर रही थी। विराट की हिम्मत नहीं हुई उसकी गोटी मारने की। उसने दूसरी गोटी चल दी। 

“छोड़ो।” मायरा ने लूडो उठा कर दूर फेंक दी। 

“क्या हुआ?” विराट डर गया। 

“इकबाल बेइमानी से मुझे जीतने नहीं देता था, तुम बेइमानी से मुझे हारने नहीं दोगे।” 

विराट खामोश रहा। 

“बुलबुल परेशान होगी।”

“ठीक है जाओ, कल सुबह से पढ़ाई में मुझे गाइड करना।” मायरा शांत स्वर में बोली। 

विराट ने मीलों लंबी चैन की साँस ली। 

“लेकिन मैं जाऊँगा कैसे मेरी कार कहाँ है?” विराट परेशान स्वर में बोला। 

“घर ही तो जाना है ना, मैं  भेज देती हूँ।”

विराट ने नजर उठाकर देखा तो मायरा के हाथ में एक फरसा नजर आया। 

“क.. क क्या करोगी तुम?” विराट को काटो तो खून नहीं। 

“तुम्हें घर भेजना है ना?” मायरा पत्थर से कठोर स्वर में बोली। 

“नहीं प्लीज मुझे मत मारो, मुझे मार कर तुम्हें क्या मिलेगा।” विराट एक तरह से गिड़गिड़ाया। 

मायरा ने तेज अट्टहास किया और फरसा घुमाया। 

“नहींई ई ई ” विराट के मुँह से निकलने वाले ये आखिरी शब्द थे। 

उसका सर धड़ से अलग होकर दूर जा गिरा। खून का फव्वारा सा छूट पड़ा। चार कदम चलकर धड़ धराशायी हो गया। 

मायरा का अट्टहास तेज हो गया। 

******

पुस्तक लिंक: अमेज़न

यह भी पढ़ें


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *