साहित्य की बात, साहित्य से मुलाकात
जयदीप शेखर ने बीस वर्ष भारतीय वायु सेना में तथा दस वर्ष भारतीय स्टेट बैंक में सेवा की है। अभी वे 'राजमहल की पहाड़ियों' (सन्थाल-परगना, झारखण्ड) के आँचल में बसे कस्बे बरहरवा (जिला- साहेबगंज) में रहते हुए कुछ ऐसी बांग्ला रचनाओं को हिन्दी भाषी पाठकों के समक्ष लाने का कार्य कर रहे हैं, जो बांग्ला में तो लोकप्रिय हैं, मगर दुर्भाग्यवश, हिन्दी भाषी साहित्यरसिक इनसे अपरिचित हैं। 'बनफूल' की कुछ कहानियों, एक लघु उपन्यास (भुवन सोम) और एक वृहत् एवं विलक्षण उपन्यास (डाना) का अनुवाद वे कर चुके हैं। सत्यजीत राय रचित जासूस फेलू'दा के कारनामों और वैज्ञानिक प्रोफेसर शंकु के अभियानों का भी वे अनुवाद कर रहे हैं (फेलू'दा के कुल 35 कारनामों और प्रो. शंकु के कुल 38 अभियानों की रचना सत्यजीत राय ने की है)। भविष्य में उपन्यासकार निमाई भट्टाचार्य और भ्रमणकथा लेखक शंकु महाराज की कुछ लोकप्रिय रचनाओं के हिन्दी अनुवाद का इरादा रखते हैं।
उनकी अपनी कुछ स्वरचित रचनाएँ भी हैं, जिनमें से 'नाज़-ए-हिन्द सुभाष' का उल्लेख किया जा सकता है, जिसमें कि नेताजी सुभाष से जुड़ी 1941 से '45 तक के घटनाक्रमों को तथा उनके अन्तर्धान रहस्य से जुड़ी बातों को रिपोर्ताज की शैली में प्रस्तुत किया गया है। भारतीय बाल-किशोरों के लिए यह एक पठनीय पुस्तक है।
उनके द्वारा किए गये अनुवाद अमेजन पर उपलब्ध हैं। लिंक: अमेज़न