फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन से हाल ही में लेखक देवेन्द्र प्रसाद का उपन्यास लौट आया नरपिशाच प्रकाशित हुआ है। यह देवेन्द्र प्रसाद की दूसरी पुस्तक है। एक बुक जर्नल ने हाल ही में उनसे उनकी इस पुस्तक के विषय में बातचीत की। उम्मीद है यह बातचीत आपको पसंद आएगी।
यह भी पढ़ें: किताब परिचय: लौट आया नरपिशाच
देवेन्द्र प्रसाद का विस्तृत परिचय निम्न लिंक पर जाकर पढ़ा जा सकता है:
किताब लिंक: लौट आया नरपिशाच
******
प्रश्न: नमस्कार देवेन्द्र जी, एक बुक जर्नल में आपका स्वागत है। सबसे पहले तो आपके नव प्रकाशित उपन्यास लौट आया नर पिशाच के लिए बधाई। उपन्यास के विषय में पाठकों को कुछ बताएँ?
उत्तर: विकास भाई मैं आपका तहेदिल से शुक्रिया अदा करना चाहूँगा कि आपने मुझे एक बुक जर्नल में अपनी बात रखने का मौका दिया। अपने नव-प्रकाशित उपन्यास ‘लौट आया नरपिशाच’ के बारे में बताना चाहूँगा कि यह मेरा पहला उपन्यास है। इससे पहले मैंने जो किताब लिखी थी उसका नाम ‘खौफ़ कदमों की आहट’ था जिसे पाठकों ने खूब सराहा था। यह एक कहानी संग्रह था।
‘लौट आया नरपिशाच’ से मुझे बहुत उम्मीदें हैं क्योंकि इस उपन्यास को लिखने में मैंने अब तक सबसे ज्यादा वक्त लगाया है। इसकी कहानी मूलतः एक गाँव चौहड़पुर की है जहाँ केविन नाम के जासूस को जाना पड़ता है। चौहड़पुर के विषय में यह बात फैली हुई है कि वहाँ एक नरपिशाच रहा करता था। केविन इसी बात की सच्चाई का पता लगाने वहाँ पर आया था।
क्या चौहड़पुर के बारे में फैली हुई बात सच है या एक अफवाह है? जासूसी करते हुए केविन को किन किन चीजों से दो चार होना पड़ता है और वह इनसे कैसे बचता है? यही सब उपन्यास का कथानक बनता है। उपन्यास परालौकिक रोमांचकथा है। बाकी यह अपने मकसद में कितना सफल हुई है यह तो पाठक पढ़कर ही बता पाएंगे।
प्रश्न: उपन्यास का घटनाक्रम चौहड़पुर नामक जगह में घटित होता है। इस जगह के विषय में पाठकों को बताए। क्या यह पूर्णतः काल्पनिक है या किसी असल जगह से प्रेरित है?
उत्तर: दरअसल मैं कोई भी पात्र, स्थान या कहानी लिखता हूँ तो किसी ना किसी जगह से प्रभावित हो कर ही लिखता हूँ। यदि मैं चौहड़पुर की बात करूँ तो यह विकासनगर का पुराना नाम है। यह जगह देहरादून से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर है। वहाँ एक पुराना चर्च आज भी मौजूद है। इसी चर्च और जगह से प्रेरित होकर मैंने यह उपन्यास लिखा है। हाँ, बस जगह का नाम मैंने लिया है बाकी सब मेरी कल्पना की उपज है।
प्रश्न: केविन मार्टिन उपन्यास का मुख्य किरदार है। इस किरदार के अलावा उपन्यास के ऐसे कौन से दो किरदार हैं जो आपको पसंद हैं और क्यों?
उत्तर:कहानी का मुख्य पात्र केविन ही है जो कि अपना नाम केविन से बदलकर मार्टिन रख लेता है और इसी नाम से चौहड़पुर के चर्च में जाता है।
इस कहानी में पहला पात्र जो मुझे पसंद है वह जेनेलिया डिसूजा है जो एक सहायिका के पद पर चर्च में बचपन से कार्यरत है। वह इस इलाके की सच्चाई और यहाँ हो रही हर घटना से वाकिफ़ है। वह निडर स्वभाव की महिला है।अक्सर हॉरर उपन्यासों में लड़की का किरदार डरपोक दिखलाया जाता है लेकिन जेनिलिया उससे एक दम उलट निडर है इसलिए मुझे पसंद है। वह चाहती है कि केविन से पहले नरपिशाच को खत्म कर दे परंतु जेनेलिया की खुद की अपनी एक अलग सच्चाई है जिसकी वजह से वह इस जगह पर अपनी ज़िंदगी व्यतीत करने को मजबूर है। उसके जीवन में इस रहस्य का पुट भी उसे आकर्षक बनाता है।
वहीं दूसरे पात्र की बात करें तो चर्च के चौकीदार थॉमस फ़ेरनेन्डो का भी कहानी में काफी अहम रोल है। वह हमेशा चर्च के मुख्य गेट के सामने ही कुर्सी पर बैठा रहता है। वह उस जगह से ही अपनी एक आंख से चर्च में मौजूद पुराने कब्रिस्तान पर भी नजर रखता है तो दूसरी आँख से वह जेनेलिया और केविन पर नजर बनाए रखता है। वह एक ऐसा शख्स है जिसे चर्च और कब्रिस्तान में होने वाली हर गतिविधियों के विषय में अच्छी तरह पता है। उस से कोई राज छिपा हुआ नहीं है। मेरा चौकीदार थॉमस फ़ेरनेन्डो को पसंद करने का मुख्य कारण यह है कि वह खुद को जितना सीधा दिखाना चाहता है असल में वो ठीक उसके विपरीत है। कभी कहानी में लगता है कि वह जेनेलिया का समर्थन करता है तो उसके अगले ही पल वो फादर एंथनी का वफादार बनने की कोशिश करता दिखता है। यह इकलौता ऐसा पात्र है जो पाठकों का ध्यान शुरू से अंत तक खींचने में पूर्णत्या कामयाब रहता है। वह ऐसा ऊँट है जो किस करवट बैठ जाए आप कह नहीं सकते हैं।
प्रश्न: केविन मार्टिन एक प्राइवेट डिटेक्टिव है जो कि चीजों के पीछे के रहस्य सुलझाता है। क्या असल ज़िंदगी मे भी आपके साथ ऐसा कोई वाक्या हुआ जहाँ पर आपको एक डिटेक्टिव की भूमिका अदा करनी हो और किसी चीज को ढूँढ निकालना पड़ा हो? अगर हाँ तो पाठकों को इसके विषय में बताएँ।
उत्तर: स्कूल के वक़्त एक बहुत मजेदार वाकया हुआ था। तब मैं सातवीं कक्षा में पढ़ता था और मेरे किसी सहपाठी ने मेरी कलम चोरी कर ली थी। मुझे वह कलम बहुत प्यारी थी क्योंकि उसे खरीदवाने के लिए मैंने दो वक्त खाना नहीं खाया था तब जाकर वह कलम मिली थी। लक्सर का पायलट कलम उस वक़्त बहुत कीमती और बढ़िया मानी जाती थी।
मैंने अपने अध्यापक से इस बात की शिकायत की तो उन्होंने मुझसे कहा कि मैंने ही खेल-खेल में कहीं गिरा दी होगी। मैंने उन्हें कहा कि नहीं ऐसा नहीं है, वो कलम मैंने बैग में ही रखी थी। तो यह सुनते वो मुझपर भड़क गए और बोले कि खुद ही खोज लो यदि मिल गयी तो मैं एक कलम और दे दूँगा।
फिर क्या था मैंने सोचा कि एक बार कोशिश तो की ही जा सकती है। इस कार्य मे अध्यापक ने मेरी मदद की और मेरे कहने पर सभी 24 बच्चों को एक पंक्ति में खड़ा कर दिया। मैंने उसी वक़्त कक्षा में कहा कि मुझे पता है वो कलम किसके पास है और किस जेब में रखी है? मेरे ऐसा कहते ही मेरा एक सहपाठी जो मेरे बाजू में ही बैठता था झट से अपने पैरों के जुराब को टोटलने लगा।
उस बच्चे की इस चालाकी को अध्यापक ने भाँप लिया और जब उसी समय उसके जुराब को टटोला तो मेरा वो कलम मिल गया।
उस दिन शाम को वो अध्यापक खुद मेरे घर आए और उनके हाथ में एक और हूबहू वैसी ही दूसरी कलम थी।
प्रश्न: आप अलग अलग जगहों पर अलग अलग चीजें लिखते हैं। मसलन किताब तो आपकी प्रकाशित होती ही है साथ में आप ऑनलाइन प्लेटफॉर्मस में भी काफी सक्रिय रहते हैं। आजकल इन ऑनलाइन प्लेटफॉर्मस में आप क्या लिख रहे हैं? पाठकों को बताएँ।
उत्तर: मैं हॉरर, थ्रिलर ही सामान्यतः पढ़ना और लिखना पसंद करता हूँ। मैं ऑनलाइन प्लेटफार्म पर ज्यादा सक्रिय रहता हूँ जहाँ मैं अपनी कहानियों को एक निर्धारित समय पर हमेशा प्रकाशित करता रहता हूँ।
प्रतिलिपि पर मेरी एक कहानी ‘कब्रिस्तान वाली चुड़ैल’ 15 लाख लोगों द्वारा पढ़ी जा चुकी है। तो इसका प्रीक्वल ‘रहस्यमयी सफर’ भी 13 लाख लोगों ने पढ़ ली है। हालिया समय में इस सीरीज की अगली कहानी ‘अन्तहीन रहस्य’ लिखने में मशरूफ़ हूँ जिसके दो भाग हर शनिवार को वहाँ प्रकाशित करता हूँ।
इसके अलावा मैं कहानियाँ नामक प्लेटफॉर्म पर भी सक्रिय हूँ और वहाँ भी मेरी कुछ कहानियाँ हैं। पॉकेट एफएम और कुकू एफएम पर मेरी कहानियों के ऑडियो संस्करण बड़ी आसानी से सुने जा सकते हैं।
प्रश्न: आखिर में बातचीत समाप्त करने से पूर्व पाठकों को बताएँ कि आपके आने वाले प्रोजेक्ट्स क्या क्या हैं?
उत्तर: मेरे चार नये उपन्यास अगले 6 महीनों में प्रकाशित होने वाले हैं। इन उपन्यासों में से तीन हॉरर उपन्यास हैं। वहीं एक प्रेम कहानी है जिसे मैं पिछले तीन सालों से लिख रहा था। आप उसे मेरे ड्रीम प्रोजेक्ट भी कह सकते हैं। उन सभी के शीर्षक में आने वाले समय पर ही बता पाऊँगा। आगले छः महीने मैं जमकर लिखने वाला हूँ ताकि मैं अपने पाठकों को कुछ अलग और बेहतर दे सकूँ। उम्मीद है कि वो सभी किताबें आपको पहले की भांति पसंद आयेगी और आपका मनोरंजन करने में पूरी तरह सफल हो पायेगी।
********
तो यह थी लेखक देवेन्द्र प्रसाद के साथ हमारी एक छोटी सी बातचीत। उम्मीद है यह बातचीत आपको पसंद आई होगी। बातचीत के प्रति अपनी राय से हमें जरूर अवगत करवाइएगा।
किताब लिंक: लौट आया नरपिशाच | खौफ कदमों की आहट
यह भी पढ़ें:
- उपन्यास कत्ल की आदत के लेखक जितेंद्र माथुर से एक बातचीत
- उपन्यास अथर्व और मयलोक के लेखक मनीष पाण्डेय रुद्र से एक बातचीत
- नयन ग्रह के लेखक मनमोहन भाटिया से एक छोटी सी बातचीत
- लेखक जितेन्द्र नाथ के साथ उनके नवप्रकाशित उपन्यास राख पर एक छोटी सी बातचीत
- उपन्यास जा चुड़ैल के लेखक देवेन्द्र पाण्डेय से एक छोटी सी बातचीत
- उपन्यास ‘द ग्रेट सोशल मीडिया ट्रायल’ के लेखक गौरव कुमार निगम से एक छोटा सा साक्षात्कार
- लघु-उपन्यास ‘ओये! मास्टर के लौंडे’ की लेखिका दीप्ति मित्तल से एक छोटी सी बातचीत
जब देहरादून जाऊंगा, वह चर्च अवश्य देखूंगा
जी जरूर जाइएगा सर। देव बाबू को भी लेकर जाइएगा। क्या पता किसी नई कहानी का जन्म हो जाए।
😅 मैं तो इधर ही रहता हूँ, चौहड़पुर में
ओह! फिर तो बचकर रहना पड़ेगा आपसे… 😀 😀
काफी रोचक किरदार और कथानक, नॉवेल की लिंक भी साथ ही पोस्ट हुई है तो आर्डर कर देता हूँ आज ही।
जी आभार…
लेखक महोदय की नरपिशाच नाम से भी एक पुस्तक अमेज़न पर लिस्टेड है जबकि साक्षात्कार में उन्होंने इसका जिक्र नहीं किया और इसको अपना पहला उपन्यास बता रहे हैं तो क्या नरपिशाच ही फिर लौट आया नरपिशाच के नाम से दोबारा पब्लिश हुआ है!
जी, नरपिशाच कहानी संग्रह है। उसका इससे कोई लेना देना नहीं है।
अमित वाधवानी जी मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि नरपिशाच को फिलहाल बिल्कुल ही न पढ़िए, वो कहानी संग्रह जिसे मैं एक उपन्यास की शक्ल देने में लगा हूँ। मगर "लौट आया नरपिशाच" अपने आप में एक संपूर्ण उपन्यास है। उम्मीद है वो आपको अवश्य पसंद आएगी।
टाइटल एक जैसे होने की वजह से थोड़ा सा भटकाव होना लाजमी है।
Amzing stories your post thank you so much share this post bholenath ki story