शंकर शहंशाह | राज कॉमिक्स | तरुण कुमार वाही

संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: ई बुक | पृष्ठ संख्या: 32 | प्रकाशन: राज कॉमिक्स | शृंखला: नागराज

टीम 

लेखक: तरुण कुमार वाही | कला निर्देशक: प्रताप मुलिक | चित्रकार: चंदु | सुलेख: उदय भास्कर

कहानी 

गोगा और टॉम नागद्वीप से कुलदेवी की मणि ले जाने में सफल हो गए थे। इस दौरान नागद्वीप के राजा मणिराज भी मारे गए थे। 

अब मणिराज के पुत्र विषप्रिय ने मणि को वापस लाने का बीड़ा उठाया था और मणि की तलाश में मुंबई में पहुँच गया था। 

वहीं मुंबई में शंकर शहंशाह नामक अपराधी था जो कि स्वामी के रूप में अपने अपराधों को अंजाम देता था। विषप्रिय की मदद से उसने एक प्रोग्राम का आयोजन किया था। ऐसा आयोजन जिसमें उसे उम्मीद थी कि नागराज आएगा और उसके जाल में फँस जाएगा। 

आखिर विषप्रिय क्यों शंकर शहंशाह के लिए कार्य कर रहा था?

शंकर शहंशाह नागराज को अपने आयोजन में क्यों लाना चाहता था?

क्या नागराज आयोजन में आया?

क्या नागद्वीप को उसकी खोई  हुई मणि वापस मिली?

मेरे विचार

‘शंकर शहंशाह’ राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित कॉमिक बुक है। यह कॉमिक बुक 1986 में प्रथम बार प्रकाशित हुआ था। यह कॉमिक बुक प्रलंयकारी मणि का दूसरा भाग है और इसकी कहानी वहीं से शुरू होती है जहाँ पर ‘प्रलयंकारी मणि’ की खत्म होती है। 

कॉमिक बुक की शुरुआत शंकर शहंशाह द्वारा एक सफल स्नेक शो के आयोजन से होती है। नागराज इधर आता है और शंकर द्वारा थाम लिया जाता है। इसके बाद जो होता है वही कथानक बनता है। 

जहाँ प्रलयंकारी मणि में नागराज आखिरी फ्रेम में आया था वहीं इसमें नागराज भले ही शुरुआत से मौजूद रहता है लेकिन इसे नागराज की कॉमिक बुक कहना बेमानी होगा। यह मूल रूप से विषप्रिय की कॉमिक बुक है। कॉमिक बुक की शुरुआत से ही आप ये सोचने लग जाते हैं कि विषप्रिय यहाँ क्या कर रहा है। वहीं जैसे जैसे कॉमिक बुक आगे बढ़ता जाता है आप विषप्रिय को नागराज को बचाते हुए भी देखते हैं। वह यह काम कैसे करता है और किन मुसीबतों से दो चार होते हुए करता है यह देखना रोचक होता है। हाँ, चूँकि नागराज नायक है तो उसे आखिर में मुख्य खलनायक को हराने का मौका मिलता है लेकिन विषप्रिय फिर भी पाठक के मन में अपनी छाप छोड़ हि देता है। 

यहाँ ये बताना जरूरी है कि कॉमिक बुक का कथानक सीधा सादा है। ज्यादा घुमाव फिराव इसमें नहीं है।  कॉमिक बुक का अंत इस तरह होता है कि आगे नागराज के जीवन में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा ये सोचने के लिए आप मजबूर हो जाते हैं। 

कॉमिक बुक की कमी की बात करूँ तो एक दो कमी मुझे इसमें लगी। एक जगह विषप्रिय को जेल में डाल दिया जाता है जहाँ वह एक दूसरे किरदार का रूप धरकर निकलता है। यह पहली बार था जब उसने किसी भी मनुष्य के रूप हासिल करने की इच्छाधारी शक्ति का प्रयोग किया था। मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है ऐसा करने की आवश्यकता नहीं थी। वह सींखचो वाली जेल थी जहाँ से वह साँप के रूप में भी आसानी से निकल सकता था। फिर पहरेदारों को काबू करके पता जा सकता था। 

इसके अलावा जिस तरह से विषप्रिय गोगा और टॉम तक पहुँचता है वह बेहतर तरह से दर्शाया जा सकता था। अभी संयोग के चलते यह होता है और ऊपर से इस विषय में हम बैकफ्लेश के तौर पर देखते हैं। इस हिस्से को जल्दबाजी में निपटाया गया लगता है जबकि इसके रोमांचक बनने की काफी संभावना थी। 

कॉमिक बुक के आर्ट की बात की जाए तो मुझे यह पसंद आया। 

अंत में यही कहूँगा कि यह एक ठीक ठाक कॉमिक बुक है जिसे एक बार पढ़ा जा सकता है। 






I’m participating in #BlogchatterA2Z 
ब्लॉगचैटर A 2 Z चैलेंज से जुड़ी अन्य पोस्ट्स आप इस लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं

FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *