संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: ई-बुक | प्रकाशक: तुलसी कॉमिक्स | प्लेटफॉर्म: प्रतिलिपि कॉमिक्स
टीम
लेखक: विजय कुमार वत्स | चित्रांकन: विनोद भाटिया, राजेश भाटिया,इंदु फीचर्स
कॉमिक बुक लिंक: प्रतिलिपि
कहानी
देवल राज्य के राजा महीपत की जुड़वा बेटियाँ विवाह योग्य हो चुकी थीं। रूपमाला और जयमाला जुड़वा थीं और राजा महीपत चाहते थे उनके लिए योग्य वर मिले। वह यह भी चाहते थे कि वह वर राजकुमार न हो।
ऐसे में जब उनके गुरु ऋषि वाम देव उनसे मिलने आये तो राजा ने अपनी पुत्रियों के लिए योग्य वर परखने की जिम्मेदारी अपने गुरु को दे दी।
क्या ऋषि वाम देव योग्य वरों को ढूँढ पाए?
योग्य वरों को ढूँढने के लिए उन्होंने क्या किया?
विचार
प्रतिलिपि ऐसा प्लेटफॉर्म रहा है जहाँ पर मैं अक्सर कुछ न कुछ पढ़ता रहा हूँ। 2021 और 2022 में मैंने प्रतिलिपि के कॉमिक बुक प्लेटफॉर्म पर काफी कॉमिक्स पढ़े थे और उनके बारे में लिखा भी था लेकिन फिर इधर पढ़ना छूट गया। अभी हाल फिलहाल में मैं वापस इस ऐप्लीकेशन पर गया तो यह कॉमिक दिख गई और इसे पढ़ने का मन बना लिया।
‘विचित्र परख’ तुलसी कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित कॉमिक बुक है। इस कॉमिक बुक को विजय कुमार वत्स द्वारा लिखा गया है जो कि तुलसी द्वारा प्रकाशित कई कॉमिक बुक्स के लेखक रहे हैं जिनमें से अधिकतर जो मैंने पढ़े हैं वो मध्यकालीन युग में बसाई राजा रानी के किस्सों वाली कॉमिक बुक रही हैं। प्रस्तुत कॉमिक बुक विचित्र परख भी एक ऐसे राजा महीपत की कहानी जो कि अपनी बेटियों,रूपमाला और जयमाला, के लिए योग्य वर ढूँढना चाहता है। यह एक ऐसा राजा है जो कि यह चाहता है कि उसकी बेटियों का पति राजकुमार न होकर बुद्धिमान व्यक्ति हो। ऐसे में जब उसके गुरु महल में आते हैं तो उनकी मदद से वो जिस तरह से अपनी बेटियों के लिए पति ढूँढ पाता है और वो उम्मीदवार जिस तरह से अपनी योग्यता सिद्ध कर पाते हैं वही कॉमिक बुक का कथानक बनती है।
कई बार हम सोचते हैं कि काश हमें भविष्य पता होता तो हम क्या कुछ नहीं कर लेते लेकिन जो असल भविष्य दृष्टा होते हैं वह जानते हैं कि भले ही हमें भविष्य पहले से पता हो पर हम उसे कभी बदल नहीं सकते हैं। ऐसा ही कुछ एक प्रसंग द्वारा इस कॉमिक बुक में भी दर्शाया गया है।
चूँकि कॉमिक बुक में बुद्धिमान युवकों की तलाश करनी होती है तो इसमें कुछ पहेलियाँ हैं जो कि उन्हें सुलझानी होती है। पहेलियाँ रोचक हैं। यह किस तरह सुलझती हैं यह देखना रोचक होता है। कुछ चार ऐसी पहलियाँ हैं जो कि सुलझानी पड़ती हैं। ऐसे में कहानी में रोचकता बनी रहती है।
कॉमिक बुक की कमी की बात करूँ तो इसमें एक बात मुझे ये समझ नहीं आयी कि राजा राजकुमारों के खिलाफ क्यों था। यह ठीक है कि वो अपनी बेटियों के लिए एक समझदार पति चाहता था पर एक राजकुमार भी तो समझदार हो सकता था। ऐसे में उसकी परख को राजकुमार क्यों नहीं पूरा कर सकता था? अगर राज कुमार को दामाद स्वरूप न चाहने के लिए कोई मजबूत कारण देते तो बेहतर होता।
दूसरी बात ये है कि इसमें एक प्रसंग है जो कि अटपटा लगता है। कहानी में एक प्रसंग है जिसमें एक व्यक्ति के साथ त्रासदी होती है। त्रासदी के बाद ही वह राजा का दामाद बन सकता था। त्रासदी होने के दिन ही जिस तरह राजा उसके पास पहुँच जाता है वो थोड़ा अटपटा लगता है। यहाँ राजा का पहुँचना कुछ दिनों बाद दर्शाया होता तो शायद बेहतर होता। इससे कहानी में फर्क भी नहीं पड़ता और अटपटापन भी नहीं रहता।
कॉमिक बुक के आर्टवर्क की बात करूँ तो कॉमिक बुक का आर्ट वर्क अच्छा है। चंदामामा, अमरचित्र कथा इत्यादि में जैसा आर्टवर्क रहता है उसी तरह का इधर भी है। कहानी के साथ यह न्याय करता है।
अंत में यही कहूँगा कि विचित्र परख एक पठनीय कॉमिक बुक है। ऊपर दिए बिंदुओं को छोड़ दिया जाए तो एक बार इसे पढ़कर देख सकते हैं। मध्ययुगीन कहानियाँ आपको पसंद आती हैं तो यह भी आपको पसंद आएगी।
कॉमिक बुक लिंक: प्रतिलिपि
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