‘आज़ाद क़ैदी’ लेखक आकाश पाठक का नवीनतम उपन्यास है। उपन्यास साहित्य विमर्श प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। इस उपलक्ष्य में हमने उनसे बातचीत की है। आप भी पढ़ें:
नवीन पुस्तक के लिए हार्दिक बधाई आकाश। सर्वप्रथम तो पुस्तक के विषय में कुछ बताएँ?
धन्यवाद! आज़ाद क़ैदी एक मर्डर मिस्ट्री है! थोड़ा और विस्तार में कहूँ तो यह एक क्लोज़्ड सर्किल मिस्ट्री है जहाँ एक निश्चित संख्या में सस्पेक्ट्स हैं। जीवन सिंह, जोकि रिटायरमेंट की ज़िंदगी जी रहा था, एक दिन अपने ही कमरे में मरा हुआ पाया जाता है। जल्द ही यह साफ हो जाता है कि वह प्राकृतिक मौत नहीं मरा था बल्कि उसकी हत्या की गयी थी। वैसे तो कत्ल करने का तरीका काफी अलग है, लेकिन उपन्यास में जल्द ही पता चल जाता है कि हत्या कैसे की गयी थी। आगे की कहानी इस बात के इर्द गिर्द घूमती है कि हत्या किसने की। कहानी का नायक, अक्षय मिश्रा, मेरा एक नया किरदार है, जो कि पेशे से एक डिटेक्टिव है और अपने आप में एक अलग ही किस्म का किरदार है।

अलग किस तरह से?
तेज़ दिमाग, बढ़िया डिडक्टिव रीजनिंग और हरफनमौला होने के साथ साथ वह बहुत आलसी भी है। जिस काम में उसे मजा नहीं आता, वह उन्हें अक्सर दूसरों को सौंप देता है। कई बार उसकी हरकतें हास्य भी पैदा करती हैं। बाकी चीजें किताब पढ़ने पर ही मालूम चलेंगी।
इस पुस्तक को लिखने का विचार कब आया?
एक पाठक के तौर पर मर्डर मिस्ट्री मेरा पसंदीदा जॉनर है। शायद इसलिए मेरे दिमाग में एक मर्डर मिस्ट्री लिखने का विचार काफी लम्बे समय से था। इससे पहले मैंने कुछ लघु उपन्यास इसी विधा में लिखे थे जो प्रतिलिपि पर प्रकाशित किये थे, तो इस बार एक लम्बा कथानक बुनना चाहता था।
अक्सर लेखक असल जीवन से भी प्रेरित होते हैं। अपने किरदारों या उपन्यासों के घटनाक्रम के लिए असल जीवन से प्रेरणा लेते हैं। क्या आपके साथ भी ऐसा होता है? इस उपन्यास के मामले में क्या ऐसा था? अगर हाँ, तो वो उपन्यास के कौन से पहलू थे जिनमें आपने प्रेरणा ली?
वैसे तो यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है, एक पूरी तरह काल्पनिक गाँव में घटित होती है। फिर भी कुछ किरदार ऐसे लोगों से मिलते जुलते हो सकते हैं जिन्हें मैं जानता हूँ या कभी एक दो बार उनसे मिला हूँ। लेकिन वह समानता भी बहुत जनरल होगी, न कि कुछ स्पेशल।
आपकी पहली पुस्तक फंतासी शृंखला थी, फिर आपने थ्रिलर लघु-उपन्यासों की शृंखला लिखी। अब आप मर्डर मिस्ट्री लेकर आ रहे हैं। अक्सर देखा जाता है जब लेखक एक विधा की पुस्तक लिखता है तो कुछ समय तक उसी विधा की कहानियाँ लिखता है। ऐसे में इस येए क्षेत्र में हाथ आजमाने का निर्णय कैसे लिया? क्या ये जानबूझ कर लिया गया था?
एक पाठक और एक लेखक, दोनों ही तौर पर मेरा यह मानना है कि हर कहानी का अपना समय होता है। कई बार कुछ किताबें हमारे सामने महीनों पड़ी रहती है और कई बार हम उन्हें एक दिन में ही पढ़कर खत्म कर देते हैं। कुछ ऐसा ही मेरे साथ लेखन के मामले में भी होता है। वैसे तो मेरी आदत ही है हमेशा कुछ नया करने की, लेकिन कौन सी किताब कब लिखनी है इसका निर्णय अपने आप ही हो जाता है। सव्यसाची लिखते समय बस यही विचार था कि एक फंतासी उपन्यास लिखना है जिसमें नयी चीजें गढ़ने का, नयी चीजें दिखाने की पूरी छूट हो। फंतासी, थ्रिलर के अलावा भी मैंने कुछ कहानियाँ और साइंस फिक्शन उपन्यास प्रतिलिपि पर लिखे हैं। अगर बात करूँ उन कहानियों की जिनका समय अभी नहीं आया तो ऐसे तीन चार उपन्यास हैं जिनके एक दो चैप्टर लिखकर मैंने छोड़ दिये हैं। निकट भविष्य में उन्हें भी पूरा करने की कोशिश है।
क्या अलग-अलग विधाओं को लिखने की प्रक्रिया अलग-अलग थी? प्रत्येक विधा के लिए किन बातों का आप ध्यान रख रहे थे?
हाँ, अगर बात की जाये सव्यसाची शृंखला की तो उसका स्केल काफी बड़ा था और वह तीन वर्षों के दौरान लिखी गयी थी। उनमें ढेर सारे किरदार थे जिनका अपना अपना रोल था। ऐसे में यह देखना कि सभी किरदारों के साथ न्याय हो पाये, कहानी में उनका अंत/क्लोज़र अच्छे से हो और कोई दो किरदार एक जैसे न हो पाएँ ज़रूरी था। तो मैंने इन सब में काफी ध्यान दिया गया था। उस दौरान मैंने ढेर सारे नोट्स बनाये थे और कई-कई बार एडिटिंग करनी पड़ती थी। साथ ही युद्ध के दृश्य लिखने में काफी मेहनत लगती थी कि दृश्य सजीव भी लगें और इतना डिटेल भी न दिया जाये कि पाठक उब जाएँ।
अर्जुन सीरीज़/टास्क जीरो सीरीज़ – यह एक थ्रिलर सीरीज है और मुख्यतः एक किरदार अर्जुन के इर्दगिर्द घूमती है। इसमें पहली बार मैंने फर्स्ट पर्शन नैरेशन का इस्तेमाल किया था जिससे पढ़ने वालों को किरदार से अधिक जुड़ाव महसूस हो। चूँकि यह एक थ्रिलर सीरीज थी तो इस बात का खास ध्यान रखना पड़ा था एक्शन सीन्स जीवंत बन पड़ें।
रही बात आज़ाद क़ैदी की तो इसमें सबसे अधिक मेहनत सस्पेंस बिल्ड करने में और मजेदार डायलोग लिखने में लगी। यह एक पूरी तरह जासूसी कहानी है तो इसमें एक्शन का इतना स्कोप नहीं था। साथ ही यह उन उपन्यासों में से एक है जिसमें काफी कम रिराइटिंग करनी पड़ी।
क्या ये एकल पुस्तक (स्टैंड अलोन) है या आगे इस किरदार से पाठकों को फिर मिलने का मौका लगेगा?
हालाँकि यह अपने आप में एक पूर्ण कहानी है, लेकिन आगे चलकर इसके मुख्य किरदारों को लेकर एक शृंखला बनाने की कोशिश रहेगी।
उपन्यास लिखते हुए आपका रूटीन क्या था? क्या कभी राइटर्स ब्लॉक का सामना भी करना पड़ा? अगर हाँ, तो उससे कैसे उभरे?
उपन्यास लिखने के दौरान मैं कोशिश करता हूँ रोज कुछ न कुछ लिखूँ, भले ही वह सौ शब्द क्यों न हों। साथ ही कोशिश रहती है किन्हीं कारणों से रूटीन ब्रेक न होने पाए, इसलिए लिखने के दौरान कहीं आना जाना न पड़े, इसकी पूरी कोशिश करता हूँ।
राइटर ब्लॉक का सामना तो कमोबेश हर उपन्यास के समय करना ही पड़ता है। और इससे उभरने का मेरे दो ही तरीके हैं। कुछ दिनों के लिए कहानी को पूरी तरह छोड़ दिया जाये (अधिकतम दो हफ्ते) या कुछ न कुछ लिखा ही जाये, भले ही वह इतना उलजुलूल हो कि बाद में उसे डिलीट करना पड़े। क्योंकि जब एक बार आप रूटीन में, फ्लो में आ जाते हैं तो चीज़ें खुद बखुद क्लियर होने लगती हैं।
मुख्य किरदार को छोड़कर पुस्तक का आपका पसंदीदा किरदार कौन सा है और क्यों??
अजीत! जोकि मुख्य किरदार का सहायक है। वह जानता है कि उसे अपनी ज़िंदगी में क्या चाहिए, या वह क्या हासिल कर सकता है। और जब तक कि अक्षय उसे परेशान नहीं कर देता, वह काफी ठंडे दिमाग से काम लेता है।
अच्छा, पाठकों को ये पुस्तक क्यों पढ़नी चाहिए? आपको अगर पाठकों को बताना पड़े तो क्या कहेंगे?
अगर आप मिस्ट्री उपन्यास पढ़ने के शौक़ीन हैं तो आपको यह पुस्तक जरूर पढ़नी चाहिए। इस कहानी में एक अपनापन भी है और एक नयापन भी है। एक मर्डर मिस्ट्री जो आपको आखिरी पन्नों तक सोचने पर मजबूर कर देगी कि मर्डर किसने किया है।
आज़ाद क़ैदी के बाद पाठकों को आपके तरफ से क्या पढ़ने को मिलने वाला है? क्या उस पर आप रोशनी डालना चाहेंगे?
इसके बाद मैं एक नयी मर्डर मिस्ट्री ही लिख रहा हूँ जो जल्द ही लोगों को पढ़ने को मिलेगी। उसके बाद कुछ पुराने लिखे हुए उपन्यास हैं जिन्हें रिराइट करके प्रकाशित करना है।
तो यह थी लेखक आकाश पाठक से हमारी बातचीत। आकाश पाठक का नवीनतम उपन्यास आज़ाद क़ैदी साहित्य विमर्श प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है। यह एक मर्डर मिस्ट्री है। पुस्तक प्रकाशक की वेबसाइट और सभी ऑनलाइन पोर्टल्स पर उपलब्ध है।
पुस्तक परिचय
आज़ाद क़ैदी

अपने पैतृक गाँव में रिटायरमेंट की ज़िंदगी गुज़ार रहा जीवन सिंह, लोगों की नज़र में एक देवता इंसान था, जिसका कोई दुश्मन नहीं था। लेकिन, बंद हवेली में जब उसकी लाश पायी गयी तो घर में मौजूद सभी सदस्य शक के घेरे में आ गये।
प्राइवेट इंवेस्टिगेटर अक्षय जब इस केस की जाँच शुरू करता है तो उसे पता चलता है कि घर के सभी सदस्यों के पास जीवन सिंह की हत्या का कोई न कोई उद्देश्य ज़रूर था…
एक साधारण सा दिखने वाला केस, जो हर गवाह के बयान के बाद उलझता चला गया।
पुस्तक लिंक: अमेज़न | साहित्य विमर्श प्रकाशन
(अगर आप लेखक हैं, प्रकाशक हैं, अनुवादक हैं और एक बुक जर्नल के माध्यम से अपनी बात पाठकों तक पहुँचाना चाहते हैं तो आप हमसे contactekbookjournal@gmail.com पर सम्पर्क कर सकते हैं।)
