‘मायावन और धन धना धन’ बाल साहित्यकार समीर गांगुली का बाल उपन्यास है। यह पुस्तक प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित है। पुस्तक पर डॉ राकेश चंद्रा ने यह टिप्पणी लिखी है। आप भी पढ़ें। – मॉडरेटर
‘मायावन और धन धना धन’ वरिष्ठ बाल साहित्यकार, समीर गांगुली का बाल उपन्यास है जिसे प्रकाशन विभाग, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2022 में प्रकाशित किया गया है। पुस्तक का आवरण पृष्ठ रंगीन है जिसे राजिन्द्र कुमार द्वारा तैयार किया गया है। भीतर के रंगीन चित्रों का चित्रांकन शिवानी द्वारा किया गया है। कुल 57 पृष्ठों के इस उपन्यास को ‘छोटे बच्चों को शेयर मार्केट की बुनियादी जानकारी’ देने के उद्देश्य से रचा गया है। बाल साहित्य में यह उपन्यास एक बड़ी कमी को पूर्ण करता है। यूँ तो बाल साहित्य में विज्ञान, महापुरुषों की जीवनियाँ, प्रकृति, सामाजिक जीवन, खेलकूद, नैतिक शिक्षा आदि विषयक अनेक पुस्तकों का प्रणयन समय-समय पर होता आया है पर आर्थिक विषयों पर रचनाएँ बहुत कम देखने को मिलती हैं जबकि यह क्षेत्र ऐसा है जहाँ लोग प्रतिदिन छल-प्रपंच व धोखे का शिकार हो रहे हैं। इसलिए यह सही समय है जब बाल पाठकों को आर्थिक मामलों की सम्यक जानकारी प्रदान की जाए और उनसे उत्पन्न होने वाले संकटों से भी उन्हें अवगत कराया जाए। पर ऐसी पुस्तकों के सृजन करते समय यह ध्यान रखना आवश्यक होगा कि बाल पाठकों के लिए उनमें जानकारी के साथ-साथ मनोरंजन का भी सामंजस्य हो। इस दृष्टि से यह उपन्यास सभी मानकों पर खरा उतरता है। इसकी एक और विशेषता है कि इसे फैंटेसी शैली में लिखा गया है जो बाल पाठकों के मन को निश्चित ही आह्लादित करेगा।

पुस्तक में आर्थिक जगत को ‘मायावन’ का नाम दिया गया है और इससे परिचय कराने हेतु चार बच्चों को एक आभासी अथवा वर्चुअल यात्रा पर ले जाया जाता है। इस यात्रा को बहुत मजबूत काँच से बनी हुई एक केबिननुमा कार जिसमें गाइड के रूप में रोबोट के रूप में एक लड़की उपस्थित है, के माध्यम से संपन्न कराया जाता है। गाइड न केवल बच्चों को आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराती है वरन उनके प्रश्नों के उत्तर भी देती है। इस केबिननुमा कार से बच्चे एक लाॅन्च स्टेशन पर पहुँचते हैं जहाँ पहले से दो कारें जो क्रमश: ‘इक्विटी’ व ‘एम एफ’ तैयार खड़ी हैं। यात्रा इक्विटी कार से प्रारम्भ हुई जहाँ बालकों को यह बताया गया कि वे दो घंटे में करीब दस वर्ष के आभासी समय से गुजरेंगे। यात्रा के प्रारम्भ से ही उन्हें शेयर मार्केट की हल्की-फुल्की जानकारी दी गयी है। मायावन अर्थात शेयर बाजार की दुनिया में प्रवेश करते ही बच्चों को रंग-बिरंगे पेड़ों के दर्शन होते हैं जो बड़ी-बड़ी कम्पनियों के प्रतीकस्वरूप हैं। यहाँ पर गाइड उन्हें शेयर या इक्विटी तथा डिविडेंड या बोनस के बारे में जानकारी देते हैं। बच्चों को म्यूचुअल फंड के सम्बन्ध में भी प्रारम्भिक जानकारी दी जाती है।
बच्चों की कार यात्रा के दौरान एक समान गति से न चलकर ‘कभी धीरे-धीरे सीधी चलती, कभी रुक जाती, कभी हवाई जहाज की तरह आसमान की ओर बढ़ने लगती।’ यह असमानता शेयर बाजार की असामान्य परिस्थितियों की ओर संकेत करती है। अगले पड़ाव पर मायावन में आलीशान इमारतें, शापिंग सेंटर, बड़ी गाड़ियों के शोरूम, मल्टीप्लेक्स, व बड़े-बड़े होटल आदि दिखाई पड़ते हैं जो मायावन में मात्र अमीर लोगों के रहने का संकेत देते हैं। पर गाइड उन्हें यह बताती है कि वहाँ अमीर लोग बनते भी हैं। इससे आगे बढ़ने पर उन्हें एक विशाल भालू जैसे जीव के दर्शन होते हैं। पर इसके पूर्व जोर से हवाएँ चलने लगती हैं, चारों ओर धूल छा जाती है और उनकी कार भी हिचकोले खाने लगती है। गाइड इस प्राणी को ‘मायावन का बेयर’ नाम देती है और बताती है कि वह इस वन का राजा बनने का दावेदार है। वह जब नींद से जागता है तो बहुत आतंक मचाता है और उससे सब डरते हैं। इस क्षेत्र में बच्चों को भिन्न-भिन्न प्रकार के जीव-जन्तु मिलते हैं जो उनकी गाइड के अनुसार विभिन्न कम्पनियों के शेयर की कीमत व उन्हें खरीदने का निमन्त्रण भी दे रहे हैं। गाइड के अनुसार ये ‘वायरस’ हैं जो पैसा लूटने आये हैं। गाइड उनको बताता है कि जब मायावन में बेयर हावी होने लगता है तो मंदी शुरू होने लगती है व भाव गिरने लगते हैं।

यात्रा के अगले पड़ाव पर मायावन का रूप बदलने लगता है। बाहर तेज उजाला छा जाता है और इंद्रधनुष गायब होने लगते हैं। चारों तरफ रंग-बिरंगे सूरज और चांद उगने लगते हैं तथा अचानक से दो राजमहल जैसे भवन दिखाई पडते हैं जिनके नाम गाइड के अनुसार बाॅम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) व नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनएसई) हैं। यहाँ पर गाइड उन्हें इन भवनों में होने वाली गतिविधियों के साथ-साथ शेयर खरीदने और बेचने के सम्बंध में सामान्य जानकारी और डीमैट एकाउंट खोलने की प्रक्रिया से भी बच्चों को अवगत कराती है। इसके पश्चात गाइड उन्हें शेयर खरीदते समय ध्यान दिये जाने योग्य बातों से भी अवगत कराती है।
आगे बढ़ने पर उनकी कार जब एक बड़ी सी झील के ऊपर से गुजरती है तो झील से पानी के कई ऊँचे-ऊँचे फव्वारों के साथ-साथ झील की मछलियों और मेंढकों ने भिन्न-भिन्न प्रकार की आवाजों से उनका स्वागत किया। कुछ मगरमच्छों ने भी अपने विशाल जबड़े खोलकर उन्हें हानि पहुँचाने की कोशिश की पर तभी एक गश्ती दल वहाँ से गुजरा जो ‘जागते रहो, जागते रहो’ बोलते जा रहे थे। तब गाइड ने उन्हें बताया कि मयावन में बहुत प्रकार के ठग और धोखेबाज हैं जो बहरूपिये हैं और अनेक प्रकार के स्वांग रचा रहे हैं। इनसे निपटने के लिए मायावन का पुलिस स्टेशन अर्थात ‘सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी)’ स्थित है जो सख्ती से ऐसे लोगों के विरुद्ध कार्यवाही करता है।
चलते-चलते गाड़ी एक सुरंग से आगे बढ़ती है और बाहर निकलने पर हरे घास के मैदान, बर्फीले पहाड़, तरह-तरह के फूल व सितार की झंकार से बाल यात्रियों का सामना होता है। उन्हें अपनी कार के पीछे एक सफेद घोड़ा भी दौड़ता दिखाई पड़ता है जिसके पैरों में घुंघरू बँधे हैं। गाइड बताता है कि यह सींगवाला घोड़ा ‘मायावन का बुल’ है जो इस वन का दूसरा राजा बनने का दावेदार और सबका लोकप्रिय राजा है। गाइड उन्हें बताती है कि जब मायावन में बुल महाराज का राज होता है तो लोग खूब कमाई करते हैं। गाइड उन्हें यह भी बताता है कि परिस्थितियों के अनुसार कभी बेयर तो कभी बुल एक-दूसरे पर हावी होते रहते हैं और इन अवसरों पर निवेशकों को काफी सावधानी बरतनी चाहिए। पुस्तक के अन्त में महत्वूर्ण तकनीकी शब्दावली को आसान भाषा में समझाया गया है।
पुस्तक नि:सन्देह चित्रात्मक शैली में लिखी गई है जिसमें भाषा के साथ-साथ सुंदर रंगीन चित्रों ने जान डाल दी है। सम्पूर्ण यात्रा एक कहानी सुनाते-सुनाते समाप्त की गई है जिसकी विषयवस्तु काल्पनिक न होकर तथ्यों पर आधारित है। आर्थिक विषय प्राय: बोझिल होते हैं। पर इस पुस्तक में पर्याप्त रोचकता के साथ शेयर अथवा स्टाक मार्केट की सम्पूर्ण गतिविधियों का सुरुचिपूर्ण ढंग से सरल एवं सुबोध भाषा में वर्णन किया गया है जो बाल पाठकों को अत्यन्त रुचिकर प्रतीत होगा। इस प्रकार का प्रस्तुतीकरण करके लेखक ने सराहनीय कार्य किया है। बाल साहित्य के क्षेत्र में यह पुस्तक लेखक का एक महत्वपूर्ण अवदान है।
पुस्तक विवरण:
पुस्तक: मायावन और् धन धना धन | लेखक: समीर गांगुली | पृष्ठ संख्या: 57 | प्रकाशक: प्रकाशन विभाग | पुस्तक लिंक: अमेज़न | पब्लिकेशन डिविजन (प्रकाशन विभाग)
टिप्पणीकार परिचय

डॉ. राकेश चंद्रा साहित्यिक अभिरूचि सम्पन्न सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी हैं। आपकी कविता के साथ ही ललित निबंधों में गहरी रूचि है। डॉ. चंद्रा की अब तक चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें कविता संग्रह ‘मेरे शहर में’ तथा ललित निबंध संग्रह ‘सुन भाई साधो’ प्रमुख हैं। आपको अनेक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत/सम्मानित किया जा चुका है।
डॉ. राकेश चंद्रा से निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है: rakeshchandra.81@gmail.com