राज कॉमिक्स में कॉमिक बुक स्क्रिप्ट लिखने से लेखन की शुरुआत करने वाले अनुराग कुमार सिंह अब तक कई कॉमिक्स बुक्स और तीन उपन्यास लिख चुके हैं। जल्द ही राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता द्वारा उनके द्वारा लिखित शुद्धिकरण शृंखला का अगला भाग महाभियोग प्रकाशित किया जाने वाला है। वह प्रतिलिपि के कॉमिक्स डिपार्टमेंट में भी कार्यरत हैं। हिंदी में सुपर हीरो विधा पर उपन्यास कम ही लिखें गए हैं। ऐसे में उनके द्वारा लिखे उपन्यास ‘मुखौटों का रहस्य‘, ‘अमोघ‘ और ‘रक्षपुत्र‘ अपनी एक अलग छाप पाठकों पर छोड़ते हैं। प्रचार प्रसार से दूर रहने वाले अनुराग कुमार सिंह को एक बुक जर्नल द्वारा पकड़ने में काफी पापड़ भी बेलने पड़े हैं। उम्मीद है यह साक्षात्कार आपको पसंद आएगा।
नमस्कार अनुराग जी, एक बुक जर्नल में आपका स्वागत है। कृपया पाठकों को अपने विषय में कुछ बताएँ।
मेरा नाम अनुराग कुमार सिंह है। मैं मूलतः किशनगंज, बिहार से हूँ। मेरी शिक्षा दीक्षा मेरे ननिहाल पूर्णिया में हुई है। अभी मैं किशनगंज में ही निवास कर रहा हूँ।
आपका साहित्य से जुड़ाव कैसे हुआ? वह कौन से लेखक या रचनाएँ थीं जिन्होंने पहले पहल आपको आकर्षित किया?
हमारे घर में पढ़ाई का माहौल सदा से रहा है। मेरे पापा खुद भी नोवल्स पढ़ने के बहुत शौकीन थे। कॉमिक्स आदि की लत भी मुझे उनसे ही मिली है। वो इंद्रजाल कॉमिक्स के बहुत बड़े फैन थे। मेरे ननिहाल में भी पढ़ने का माहौल रहा है। तो आप कह सकते हैं कि पढ़ने का शौक मुझे विरासत में मिला है। शुरुआत मैंने फैंटम, मेंड्रेक, ताऊ जी, चाचा चौधरी आदि से की थी। फिर धीरे धीरे मनोज तुलसी और राज कॉमिक्स से मेरा परिचय हुआ।
लिखने का ख्याल आपको कब आया? आपकी पहली लिखी रचना क्या थी? क्या आपको उसके विषय में कुछ याद है?
लिखने का ख्याल मुझे सबसे पहले छठी कक्षा से आया था जब मैं और मेरे कुछ दोस्त ने मिल कर अपने सुपरहीरो बनाने की कोशिश की थी।
आपकी वो कौन सी रचना था जो कि पहली बार प्रकाशित हुई थी? वो कहाँ प्रकाशित हुई थी?
मेरी पहली प्रकाशित रचना आहुति थी। वो भेड़िया की सीरीज थी जो राज कॉमिक्स से प्रकाशित हुई थी। हालाँकि मैं आया परमाणु लिखने था और मैंने 40 पेज की स्क्रिप्ट लिखी भी थी। पर वो अप्रूव हो नहीं पायी।
आप विभिन्न शहरों में रहे हैं। इन शहरों का आपके लेखन में क्या कोई प्रभाव पड़ा है? अगर हाँ, तो ये प्रभाव क्या था और लेखन के हिसाब से आपको कौन सा शहर अधिक भाया।
मुझे नहीं लगता कि शहर बदलने का कोई असर मेरे लेखन को प्रभावित कर पाया है। पर नए शहर जाकर कुछ न कुछ नया एक्सप्लोर करने का मौका मिलता है जिसका फायदा मेरे लेखन को होता है। और मुझे अब तक सभी शहर अच्छे लगे हैं।
अनुराग जी, आप मुख्यतः कॉमिक बुक्स लिखते हैं। कॉमिक बुक लेखन में आपका आना कैसे हुआ?
2006 में राज कॉमिक्स फोरम की शुरुआत हुई थी। और मुझे उससे जुडने का मौका मिला था। वो दूसरे फैंस के साथ डिस्कशन होते थे। संजय सर से बातें होती थी। वहाँ हम जैसे फैंस अपने हीरोज के ऊपर कहानी लिखते थे। उनको देख कर मेरे मन में भी लिखने का कीड़ा कुलबुलाने लगा और मैंने बहुत सारे फैन फिक्शन लिखा। बस इससे संजय जी की नज़र मुझ पर पड़ गई और उन्होने राज कॉमिक्स जॉइन करने का आमंत्रण दिया और बस मैं भी राज कॉमिक्स का हिस्सा बन गया।
अभी तक कौन कौन से कॉमिक बुक्स लिखे हैं। क्या पाठको को उसके विषय में बताना चाहेंगे?
मैंने भेड़िया सीरीज की आहुति, कीर्तिस्तम्भ, जलजीवनी, शुद्धिकरण सीरीज लिखी है। मैंने बाँकेलाल सीरीज की अप्पू अपहरणकर्ता, चंदुलाल, हम सब पागल हैं, दर्शन दो यमराज, बैल बुद्धि, बुधूर्त, पोपट में जान, तकबक, प्रेम परीक्षा आदि लिखी है। मैंने सर्वनायक विस्तार सीरीज की मौत का मैराथन, विषक्षेत्र संरक्षणम, विषपुत्रों का आगमन, प्रकोष्ठ के कैदी, रेत का शहँशाह आदि लिखे हैं। इसके अलावा मैंने बहुत सारी कॉमिक्स स्टोरी की परिकल्पना की है।
जैसा कि आपने बताया कि आपने कई किरदारों पर लिखा भी है और उनकी कहानी की परिकल्पना भी की है। ऐसे में वह कौन से किरदार हैं जिसको लिखना आपको सबसे अधिक पसंद है?
मुझे भेड़िया लिखना बहुत पसंद हैं। क्योंकि वो जंगल और प्रकृति से जुड़ा किरदार है और मेरे दिल के बेहद करीब है।
आपने अब तक जितने किरदारों पर लिखा है वो पहले से स्थापित रहे हैं। ऐसे में स्थापित किरदारों पर लिखने का क्या कोई दबाव होता है? आप किन किन बातों का ध्यान रखते हैं?
दबाव तो ऐसा कुछ नही होता है क्योंकि मैंने जिन किरदारों पर भी लिखा है वो बचपन से पढ़ा और जाना हुआ है। दिल में रचा बसा हुआ है। बस मैं लिखते समय ध्यान ये रखता हूँ कि जो किरदार के कैरिक्टरिस्टिक्स (विशेष गुण) हैं उसे कायम रखूँ।
क्या किसी नवीन किरदार पर भी आपके लिखने की योजना है? यह कब पूरी होगी?
जी हाँ, योजना तो है और जल्द ही पूरी होगी। बस थोड़ा इंतजार करें।
आपने अपनी शुरुआत कॉमिक बुक्स लिखने से की और फिर नोवेल्स की तरफ बढ़े? क्या उपन्यासों के क्षेत्र में जाना किसी विशेष कारण से हुआ था? अगर हाँ तो वो क्या था?
जी हाँ! दरअसल मैं बचपन में बाल उपन्यास का शौकीन रहा था इसलिए मैं चाहता था कि कॉमिक्स से जो कुछ मैंने ग्रहण किया था वो लौटा सकूँ।
आपको इन दोनों विधाओं में क्या फर्क महसूस हुआ? आप उपन्यास लेखन और कॉमिक बुक लेखन में से कौन सा अधिक पसंद करते हैं?
मुझे जो फर्क समझ आया वह ये है कि कॉमिक्स स्क्रिप्ट पैनल्स में बँटी होती है पर नॉवेल नहीं। कॉमिक्स में पेज की लिमिटेशन होती है नॉवेल में नहीं। और कॉमिक्स में सीन इमेजिनेशन की ज़िम्मेदारी रायटर और आर्टिस्ट की साझा होती है जबकि नॉवेल में रायटर ही जिम्मेदार होता है। मुझे दोनों ही विधा पसंद है।
अभी फिलहाल आपके तीन उपन्यास आए हैं। तीनों ही उपन्यासों में शृंखला बनने का गुण है? क्या ये जानबूझकर किया गया था?
जी हाँ ये जानबूझ कर किया था मैंने। चाहे त्रिमूर्ति सीरीज हो या रक्षापुत्र हो या फिर अमोघ सीरीज। मेरा मकसद कॉमिक्स के पात्रों को उपन्यास की दुनिया में लाना था।
इन उपन्यासों के अगले भाग का पाठकों को बेसब्री से प्रतीक्षा है। इनके अगले भाग कब तक प्रकाशित होने की संभावना है?
बहुत जल्द।
अनुराग जी आपकी लेखन प्रक्रिया क्या होती है? साथ ही लेखन के लिए क्या आपका क्या कोई तय रूटीन है?
बहुत नियमित तो नहीं होता। काफी कुछ मूड पर निर्भर करता है। कई बार जब दिमाग में आइडियाज़ आते हैं तो अच्छा काम होता है। मेरे साथ दिक्कत ये है कि मैं कभी जबरदस्ती काम नहीं कर पाता।
आज के समय में सोशल मीडिया लेखकों के लिए एक अच्छे प्लेटफॉर्म की तरह आया है। आपका इसके विषय में क्या सोचना है? क्या आप अपनी रचनाओं के प्रचार प्रसार हेतु सोशल मीडिया का प्रयोग करते हैं?
इस मामले में मैं थोड़ा शर्मिला हूँ। मुझे अपने काम का प्रचार प्रसार करना अच्छा नहीं लगता। मैं सोशल मीडिया में ज्यादा एक्टिव भी नहीं हूँ। पर ये प्लेटफॉर्म लोगों से जुडने का उनके विचार जानने का अच्छा तरीका है।
आप काफी समय से लेखन क्षेत्र में सक्रिय हैं। आप उभरते हुए लेखकों को क्या कुछ सलाह देना चाहेंगे?
आप एडिटिंग प्रोसेस से न घबराएँ। अपनी कहानी पर बार बार रिवर्क करें। ये मान कर मत बैठिए कि आपका लिखा शत प्रतिशत बढ़िया है।
अनुराग जी आपके हालिया प्रकाशित हुए प्रोजेक्ट कौन से थे? आपके आने वाले प्रोजेक्ट कौन से होने वाले हैं?
अभी हाल में ही मेरी नई कॉमिक्स कालांतर प्रकाशित हुई है जो पुनरोत्थान सीरीज का तीसरा और आखिरी भाग है। आगामी सीरीज की बात करें तो मेरी लिखी शुद्धिकरण सीरीज का अगला भाग महाभियोग प्रकाशित होने वाला है।
आखिर में बातचीत का पटाक्षेप करते हुए क्या आप पाठकों के लिए कोई संदेश देना चाहेंगे?
बस पढ़ते रहिए और जो भी अच्छा बुरा हो रिव्यू हमें देते रहिए। आपकी दी हुई तारीफ से हमारा हौसला बढ़ता है और आपकी आलोचना से हमें अपनी गलतियाँ समझने का मौका मिलता है।
तो यह थी अनुराग कुमार सिंह से हमारी छोटी सी बातचीत। यह बातचीत आपको कैसी लगी यह हमें कमेंट्स के माध्यम से जरूर बताइएगा।
अनुराग कुमार सिंह की पुस्तकें
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This is a very interesting conversation. Particularly because this is the first time I am reading an interview of an Indian comics script writer.
Yeah, they are an elusive bunch…. Will try to get more on this platform. Glad you liked the conversation.