उपन्यास १७ जुलाई से १८ जुलाई २०१५ के बीच पढ़ा गया
संस्करण विवरण
फॉर्मेट : पेपरबैक | पृष्ठ संख्या : १६० | प्रकाशक : हिन्द पॉकेट बुक्स
पहला वाक्य:
लम्बे कद के अत्यन्त मजबूत शरीर वाले हेमन्तसिंह ने कलकत्ता सेन्ट्रल अस्पताल के सामने अपनी कार रोकी।
डिपार्टमेंट जेड फॉर नाइन एक खुफिया विभाग है और अरविन्द माली उसका एक बहुत काबिल सदस्य है। जब वो हॉस्पिटल में अपनी पुरानी चोट से उभरता है तो उसे उसका अफसर हेमन्तसिंह आकर बताता है की अस्पताल से छूटते ही उसे नये केस के लिए निकलना है।
कृश्ऩ चन्दर का इससे पहले मैंने एक गधे की आत्मकथा पढ़ी है। वो एक तरीके से समाज पे व्यंग करता उपन्यास था जो विधा के लहजे से इससे बिलकुल जुदा उपन्यास है। ये एक रोमांचक उपन्यास है और अरविन्द माली के विषय में ये साफ़ जाहिर है की वो जेम्स बांड सरीखा किरदार है। अरविन्द माली एक गोपनीय संस्था जेड फॉर नाइन का बहुत ही अच्छा एजेंट है। वो अपने काम में अव्वल है लेकिन केवल उसकी एक ही कमजोरी है ‘औरत’। औरत खासकर खूबसूरत औरत के आगे वो अपनी सुध बुध खो देता है।
‘औरत के विषय में सदा मैं अपनी निगाहों की परख का कायल रहा हूँ। इस समय उस बंगाली सुन्दरी को देखकर, मेरा मन उसके शरीर के हर जोड़ तोड़ के साथ डोलने लगा। दिल की हालत यदि यों न होती, यानी डावांडोल न होती तो मैं आज अपनी योग्यता के बल बूते पर इंस्पेक्टर जनरल पुलिस होता। किसी भी इन्सान की प्रगति और गिरावट के विषय में केवल उसके भाग्य का ही नहीं, उसकी कमियों का और कमजोरियों का भी हाथ होता है। मुझे अपनी कमियों का बहुत अच्छी तरह आभास है, मगर क्या करूँ, जीवन के जो क्षण औरतों की सुन्दर सुन्दर मूर्तियों के दिलदारी में बीतें हैं, इंस्पेक्टर जनरल की मेज से सुन्दर और बड़े ही सुन्दर दिखाई दिए हैं।’
तो ऐसे हैं हमारे अरविन्द साहब। अब वो कैसे वो अपनी इस कमी पर काबू पाते हैं या किस तरीके से से दुश्मन उनकी इस कमी को भुनाते हैं वो पढ़ने में मुझे आनंद आया। उपन्यास पठनीय है।
इस उपन्यास को पढने की इच्छा जागी।
अच्छी समीक्षा के लिए धन्यवाद
शुक्रिया। आपकी टिपण्णी मेरा भी उत्साह वर्धन करती है। पढ़कर बताइयेगा कि आपको उपन्यास कैसा लगा ?