गुरुग्राम में ठंड कुछ कम हुई थी लेकिन एक दो दिनों में उत्तराखंड में हुई बर्फ बारी के कारण इधर ठंड बढ़ गयी है। मैंने यह महसूस किया है कि जब भी मेरे घर (पौड़ी गढ़वाल) में ठंड बढती है तो इसका सीधा असर गुरुग्राम या दिल्ली में भी होता है। खैर, यह पोस्ट मैंने ठंड की चर्चा करने के लिए नहीं लिखी है। इस पोस्ट में दिसम्बर का हल्का सा ब्योरा आप सब लोगों को दूँगा।
दिसम्बर का महीना काफी रोमांचक रहा था। दिसम्बर में मैंने तीन यात्राएं (कौसानी, काणाताल, पराशर लेक) करीं। दो यात्राओं (काणाताल और पराशर ) में बर्फ में चलने का मौका मुझे मिला। आनंद आ गया। घूमने के लिहाज से यह महीना तो अच्छा रहा ही पढ़ने के लिहाज से भी यह महीना अच्छा गुजरा।
इस महीने मैंने निम्न किताबें पढ़ी।
दिसम्बर में पढ़ी गयी किताबें |
- बौगेंनविलिया की टहनी – जगदर्शन सिंह बिष्ट (उपन्यास )
- OMFG – D J Doyle (कहानी )
- Guns and Thighs by Ram Gopal Varma (संस्मरण)
- Ghost Stories of Shimla Hills by Minakshi Chaudhry (कहानी संग्रह )
- लाल घाट का प्रेत – राजभारती (उपन्यास )
- The Parasite by Arthur Conan Doyle (कहानी )
- रूहों का शिकंजा (कॉमिक बुक )
- Elevation – Stephen King (उपन्यास )
- जुआघर – अनिल मोहन (उपन्यास )
दिसम्बर के महीने में पढ़ी गयी किताबों में चार उपन्यास, एक कहानी संग्रह, एक संस्मरणों की किताब, दो कहानियाँ और एक कॉमिक बुक थी। पढ़ने के लिहाज से ज्यादा नहीं है लेकिन मैं संतुष्ट हूँ। मैंने रचनाओं का पूर्ण रसास्वादन लेते हुए बिना भागा दौड़ी किये इन्हें पढ़ा था।
वैसे जब 2019 शुरू हुआ था तो मैंने सोचा था कि मैं 120 के करीब किताबों को पढूँगा। अपनी साल भर की सूची को देखता हूँ तो पाता हूँ कि यह 117 तक ही पहुँची लेकिन मैं इससे संतुष्ट हूँ। हाँ, जो बात मुझे खली वो यह कि मैंने जितनी रचनाएँ पढ़ी उनमें से कुछ ही के विषय में अपने विचार रखे। अगले साल इस बात पर विशेष ध्यान देना है।
खैर, ये तो मेरी दिसम्बर में पढ़ी गयी रचनाओं की सूची थी। आपने दिसम्बर में क्या पढ़ा?
इधर एक खास बात यह थी कि दिसम्बर 31 मैंने जुआघर पढ़ते हुए बिताई थी। जुआघर का घटनाक्रम भी 31 दिसम्बर पर आकर ही खत्म होता है। यह एक अद्भुत संयोग था जो पहली बार मेरे साथ हुआ कि मैं वही उपन्यास पढ़ रहा हूँ जिसका घटनाक्रम उसी तारीक का है जिस तारीक में मैं उसे पढ़ रहा हूँ। कभी आपके साथ ऐसा हुआ है?
अभी की बात करूँ तो अभी मैं फिलहाल Dean Koontz की किताब Life expectancy पढ़ रहा हूँ। साथ ही प्रेमचंद जी की कहानियों के संग्रह मानसरोवर का पहला भाग पढ़ रहा हूँ। मानसरोवर के आठ भाग हैं और इस साल मैंने उन सभी को पढ़ने का विचार बनाया है। प्रेमचंद क्यों हिन्दी साहित्य के पर्याय बन गये हैं यह इन कहानियों को पढ़कर समझा जा सकता है।
आप लोग फिलहाल क्या पढ़ रहे हैं?
वर्ष 2020 की बात करूँ तो इस वर्ष मेरा कथेतर साहित्य (नॉन फिक्शन) अधिक पढ़ने का विचार है। क्या आप लोगों की ऐसी कोई योजना है? आप इस वर्ष क्या अधिक पढ़ना चाहते हैं? मुझे बताइयेगा।
© विकास नैनवाल ‘अंजान’
अभी मैं डॉन विंसलो की Border पढ़ रहा हूं। विंसलो के ड्रग कार्टेल सागा की यह आखिरी कड़ी है। कालजयी रचना है। विंसलो अपने पूरे जलाल पर दिखते हैं।
डॉन विंस्लो की कार्टेल श्रृंखला मुझे भी पढ़नी है। शायद इस साल पढ़ूँगा।
बहुत बढ़िया। आपकी डेडीकेशन को साधुवाद। मैं पाठक सर की लघु कथा संग्रह और साथ साथ शेरलॉक Holmes ki kahaniya padh rha hu.
जी आभार हितेश भाई। पाठक साहब की लघु कथा पढ़ना अपने आप में अच्छा अनुभव होगा। शर्लाक होल्म्स का तो कहना ही क्या? अपनी पसंदीदा कहानियों के नाम साझा कीजियेगा।
दिसंबर मे मैने करीब 5 पुस्तके पढ़ी थी, उनमे से 2 आप ही की थी।
ऐसे आपके कहानी संग्रह मे एक कहानी थी, जिसका नाम भी 'कहानी' ही था शायद।
उसका अंत या यूँ कहे वह पूरी कहानी मुझे समझी नही थी। कृपया क्या आप उसके बारे मे बता सकते है?
मुझे जब भी एक कहानी का प्लाट दिमाग में आता है तो एक अजीब सी ऊर्जा का संचार शरीर में होने लगता है। मेरा ध्येय उस वक्त केवल उस कहानी को कागज में उतारने का होता है। मैं कई बार चलते चलते ही कहानी को लिखने लगता हूँ। इस कहानी के पीछे यही विचार था। विचार की क्या हो अगर किसी लेखक को अपनी सबसे बेहतरीन कहानी का ख्याल आये और वो उसे लिखने की जल्दबाजी में उसके साथ कुछ हो जाये। उसके दिमाग में उस वक्त क्या चल रहा होगा। क्या उसका आखिरी ख्याल अपने जीवन की उस रचना का ही होगा। वही यह कहानी जीवन की क्षणभंगुरता को भी दर्शाता है तो आपके ऊपर है आप इसे कैसे देखें। यह एक satire भी है क्योंकि कई बार लेखक खुद को बहुत सीरियसली ले लेते हैं इसलिए कहानी में हॉर्न वाला प्रसंग है जो दर्शाता है कि हमे यह लगता जरूर है कि हम बहुत महत्वपूर्ण हैं लेकिन बाकि दुनिया की नज़र में हम कुछ नहीं हैं। इसलिए हमे खुद को सीरियसली लेना भी छोड़ना चाहिए। इन्ही दो चार बातों को इसमें दर्शाया गया है।
Oh God, 'Roohon Ka Shikanja'! I read it many years ago and I still remember the name of this comic book. I used to read Super Commando Dhruv and Nagraj comics.
I keep revisiting the comics and am surprised that i still enjoy reading them.