साभार: गूगल |
वरिष्ठ साहित्यकार एवं शायर शम्सुर्रहमान फारुकी का 25 दिसम्बर 2020 को 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे।
शम्सुर्रहमान फारुकी का जन्म 15 जनवरी 1935 को भारत में हुआ था। उन्होंने अंग्रेजी में एम ए की डिग्री इलाहबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त करी थी। पढ़ाई के बाद उन्होंने कई जगह नौकरी की। इसके बाद उन्होंने इलाहबाद में एक पत्रिका का सम्पादन भी किया था।
उर्दू साहित्य में आलोचक के रूप में उन्हें ख्याति प्राप्त हुई थी। उन्हें उर्दू साहित्य का टी एस ईलियट भी कहा जाता है। उन्होंने उर्दू में कई रचनाएँ भी लिखी।
शेर,ग़ैर शेर और नसर, कई चाँद थे सरे आसमां, द सीक्रेट मिरर, ग़ालिब अफसाने की हिमायत में,उर्दू का इब्तिदाई जमाना इत्यादि उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाएँ थीं।
उन्हें अपने जीवन काल में कई सम्मानों से भी नवाजा गया।
इनके द्वारा रचित समलोचना तनकीदी अफकार के लिए उन्हें 1988 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार (उर्दू) से भी सम्मानित किया जा चुका है। 1996 में उन्हें सरस्वती पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। 2009 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया।
– विकास नैनवाल ‘अंजान’