किताब परिचय: आदी पादी दादी

 

पुस्तक परिचय

आदी पादी दादी लेखक समीर गांगुली का नवप्रकाशित बाल कथा संग्रह है। इस संग्रह में उनकी 11 कहानियों को संकलित किया गया है। इन कहानियों की खास बात यह है कि इन सभी कहानियों के केंद्र में लड़कियाँ हैं। वहीं इस संग्रह में हर तरह की कथा देने का प्रयास लेखक द्वारा किया गया है। कोई कहानी फंतासी  है, तो कोई विज्ञानगल्प, तो कोई रोमांचकथा है, तो कोई आपसी रिश्तों को दोबारा खोजने की कथा है। यह सभी कथाएँ रोचकता लिए हुए हैं और अंत में बाल पाठकों को कुछ न कुछ सीख दे जाती हैं। 
संग्रह में निम्न कहानियाँ मौजूद हैं: 
आदी पादी दादी, बुढ़िया की गुड़िया, किताबों की कैद से आजाद, एक लड़की मनीषा मोटी,
खबर यह है कि, समय के झूले में, असली चोर, आँखों देखी, कानों सुनी, फूलों की खोज, पालतू तितलियाँ, आपका पत्र मिला

पुस्तक अंश

किताब परिचय: आदी पादी दादी - समीर गांगुली

सभी खिलौने हैरान थे। आज से पहले उनमें से किसी ने भी रिकी को गुस्से में नहीं देखा था।
आज किटू खरगोश ने साफ देखा था कि रिकी का मुँह लाल हो गया था। माथे पर पसीना छलक आया था। उसने सभी खिलौनों को घूरते हुए आवारा कहा था और यह कहते हुए चली गई थी कि उसे चोरी करने वाले खिलौनों से नहीं खेलना।
रिकी का फैसला सुन नीली आँखों वाली शर्मीली गुड़िया तो रो ही पड़ी थी। तीन टाँगों वाला शेर भी लंगड़ाते हुए पलंग के नीचे मुँह छिपाने चला गया था।
खिलौने खुद भी परेशान थे। उनकी भी समझ में नहीं आ रहा था कि बिस्कुट और टॉफियों का असली चोर कौन है। दरअसल पिछले एक सप्ताह से कोई रोज रिकी के बिस्कुट और टॉफियों पर हाथ साफ कर रहा था।
बिस्कुट और टॉफियों की ये बर्बादी बर्दाश्त करना रिकी के बस की बात नहीं थी। उसका कहना भी सही था कि अगर किसी खिलौने की नीयत बिगड़ ही गयी है तो वह माँग कर क्यों नहीं खाता, चोरी क्यों करता है?
वैसे तो अपने सभी खिलौनों पर उसे थोड़ा-थोड़ा शक था। पर सबसे ज़्यादा शक था मगरू सुअर पर, जो हमेशा ही कुछ न कुछ खाता चबाता रहता था।
उस दिन रिकी ने सबकी तलाशी ली थी। डुगडुग भालू का फूला पेट दबा कर देखा था। टॉमी कुत्ते का मुँह  खोला था और वर्दी वाले सिपाही की सारी जेबों की तलाशी ली थी।
सुस्त कबूतरों का जोड़ा अलसाई आँखों से यह सब देखता रहा था और हमेशा ही झूठ बोलने वाले मटरू लोमड़ ने पूँछ हिलाकर कहा था- “मुझे मालूम है चोर कौन है।”
लेकिन रिकी ने जब आँख तरेर कर उसकी तरफ देखा तो उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई थी और वह तीन टाँगों वाले शेर के पीछे जा छिपा था। रिकी ने जब शर्मीली गुड़िया पर एक नजर डाली तो वह रो पड़ी थी। नीली आँखों वाली गुड़िया के लिए तो इतना ही डूब मरने को काफी था कि कोई उसे चोर समझे। सचमुच वह रिकी के खिलौनों में सबसे शरीफ थी।
रिकी जब चली गयी, तब सन्नाटे को तोड़ते हुए डप्पी गधे ने बेशर्मी से ‘ट्रा..ला..ला’ का गाना गाते हुए दोहराया था- “मुझे कोई परवाह नहीं, चाहे कोई गाली दे या डंडा मारे।”
– बाल कथा संग्रह आदी पादी दादी में मौजूद कहानी असली चोर से
*****

पुस्तक लिंक: अमेज़न | साहित्य विमर्श

लेखक परिचय

लेखक समीर गांगुली का जन्म 27 नवम्बर 1955 को देहरादून उत्तराखंड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) में हुआ था। देहरादून में ही उनकी शिक्षा दीक्षा हुई है। उन्होंने एमएससी (गणित) और एम ए (हिन्दी) की डिग्री हासिल की है। 
बाल साहित्य लेखन की शुरुआत अस्सी के दशक में हुई और वे उस वक्त की सब ही प्रमुख बाल पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हुए थे।
अब तक उनकी 600 से अधिक रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। अनेक कहानियाँ चर्चित व अन्य भाषाओं में रूपान्तरित की जा चुकी हैं। उन्होंने अनुवादों में भी हाथ आजमाया है। 
अब तक उनके दो बाल कथा संग्रह, एक बाल उपन्यास प्रकाशित हो चुका है। 
लेखक का विस्तृत परिचय निम्न लिंक पर जाकर पढ़ा जा सकता है:

नोट: ‘किताब परिचय’ एक बुक जर्नल की एक पहल है जिसके अंतर्गत हम नव प्रकाशित रोचक पुस्तकों से आपका परिचय करवाने का प्रयास करते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपकी पुस्तक को भी इस पहल के अंतर्गत फीचर किया जाए तो आप निम्न ईमेल आई डी के माध्यम से हमसे सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं:

contactekbookjournal@gmail.com


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About एक बुक जर्नल

एक बुक जर्नल साहित्य को समर्पित एक वेब पत्रिका है जिसका मकसद साहित्य की सभी विधाओं की रचनाओं का बिना किसी भेद भाव के प्रोत्साहन करना है। यह प्रोत्साहन उनके ऊपर पाठकीय टिप्पणी, उनकी जानकारी इत्यादि साझा कर किया जाता है। आप भी अपने लेख हमें भेज कर इसमें सहयोग दे सकते हैं।

View all posts by एक बुक जर्नल →

2 Comments on “किताब परिचय: आदी पादी दादी”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *