साहित्यकार और रंगकर्मी महावीर रवांल्टा (Mahabeer Rawalta) की लघु कथा ‘तिरस्कार’ पर एक शॉर्ट फिल्म तिरस्कार बनकर रिलीज कर दी गई है। यह फिल्म ए पतंग फिल्म्स (A Patang Films) के बैनर तले बनी है।
फिल्म के माध्यम से एक ऐसे बुजुर्ग की कथा दर्शाई गई है जो अपने ही घर में उपेक्षित है। आजकल माँ बाप अपने जीवन को अपने बच्चों के पालन पोषण में खर्च कर देते हैं लेकिन जब वह बच्चे बढ़े हो जाते हैं तो यही बच्चे कई बार उन्हें नकार देते हैं। ऐसी ही स्थिति को इस फिल्म के माध्यम से दर्शाया गया है।
फिल्म का निर्देशन अभिनेता, लेखक और रंगकर्मी डॉक्टर अनिल पंतग (Dr Anil Patang) द्वारा किया गया है। डॉ अनिल पतंग कई नाटकों का लेखन और निर्देशन कर चुके हैं। उनके द्वारा निर्मित और निर्देशित फिल्म जट जाटिन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 70 से अधिक पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं।
फिल्म को यूट्यूब पर स्टॉप टीवी स्टूडियो (Stop TV Studio) द्वारा रिलीज किया गया है।
फिल्म के लिंक को लेखक महाबीर रवाल्टा अपने फेसबुक अकाउंट में पोस्ट करते हुए फिल्म के विषय में जानकारी दी और फिल्म को देखकर खुद को रोमांचित और अभिभूत बताया। उन्होंने लिखा:
सुखद:
‘स्टाप टीवी’ ने ‘ए पतंग फिल्म्स’ द्वारा निर्मित मेरी लघुकथा ‘तिरस्कार’ पर बनी लघु फिल्म को आज ही रिलीज किया। दीपक कुमार, प्रभा कुमारी, शौर्य मनवंश और अनिल पतंग के अभिनय से सुसज्जित इस लघु फिल्म में वस्त्र विन्यास,रुप सज्जा व कैमरा राकाश्री का है जबकि पटकथा व निर्देशन प्रख्यात अभिनेता व रंगकर्मी डा अनिल पतंग ने किया है।
डा अनिल पतंग दीवार, प्रजातंत्र,कीमत,जट-जटिन,सामा-चकेवा, डोमकछ,एक महर्षि का मूल्य,नागयज्ञ जैसे नाटक लिखने के साथ ही ‘प्रोफेसर सपना बाबू'(कहानी संग्रह) व ‘रंग संदर्भ’ पुस्तकों के लेखक भी हैं।लोक नाट्य के पुरोधा अनिल पतंग ‘रंगअभियान’ पत्रिका का संपादन भी करते आए हैं। इतना ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 70 से अधिक सम्मान अर्जित करने वाली फिल्म ‘जट जटिन’ का आपने लेखन व निर्माण किया है। प्रकाश झा प्रोडक्शन के दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक ‘विद्रोह’ में वे दयाल सिंह की भूमिका भी कर चुके हैं। इन दिनों आपने लघुकथाओं पर लघु फिल्में बनाने का बीड़ा उठा रखा है।अपनी लघुकथा ‘तिरस्कार’ का फिल्मांकन देखकर रोमांचित व अभिभूत हूं।इस प्रस्तुति के लिए आदरणीय डॉ अनिल पतंग जी, उनके दल और स्टाप टीवी का हार्दिक आभार।
कौन है महावीर रवांल्टा?
10 मई 1966 को रंवाई घाटी के कंडियाल गांव में जन्मे और पले बढ़े महावीर रवांल्टा 80 के दशक से साहित्य की विभिन्न विधाओं में रचनाकर्म करते आ रहे हैं। उपन्यास,कहानी, नाटक, कविता, लोक साहित्य, बाल साहित्य जैसी विधाओं में वो अब तक 38 से अधिक पुस्तकों की रचना कर चुके हैं। इसके अलावा वो रवाल्टी बोली पर भी काफी काम कर चुके हैं। महावीर रंवाल्टा को उनकी कृतियों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अनेकों मंचों पर सम्मानित करने के साथ कई पुरस्कारों से नवाजे गए हैं।
महावीर रवांल्टा जी एवं उनकी लधुकथा पर बनी 'तिरस्कार' शॉर्ट फिल्म तिरस्कार के बारे में जानकारी प्रस्तुति हेतु धन्यवाद आपका!
लेख आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा। आभार।