तारा की अनोखी यात्रा – सुमन बाजपेयी | फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन |

पुस्तक टिप्पणी: तारा की आनोखी यात्रा | सुमन बाजपेयी | फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन

संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 124 | प्रकाशक: फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन | चित्रांकन: पार्थ सेनगुप्ता

पुस्तक लिंक: अमेज़न

कहानी

बारह वर्षीय तारा को किताबें पढ़ने का शौक था। यही कारण था जब उसे नई किताबों की दुकान खुलने का इश्तिहार  दिखा तो वह खुद को वहां जाने से रोक नहीं पायी।

वह क्या जानती थी कि उसे न केवल उधर एक रोचक किताब मिलेगी बल्कि एक ऐसी दुनिया की यात्रा का मौका भी मिलेगा जिसकी उसकी कल्पना भी नहीं की थी।

आखिर कैसी थी ये किताब?

किस दुनिया की यात्रा पर तारा को जाने का मौका मिला?

इस यात्रा में उसके साथ क्या क्या हुआ?

मुख्य किरदार

तारा – एक बारह वर्षीय लड़की जो चांदीपुर में रहती थी
वंदना – तारा की माँ
शेखर – तारा के पिता जो कुछ समय पूर्व गायब हो गए थे
मोहित – तारा के पिता के दोस्त
जोजो – ड्रैगन
लूसी, रूबी,ओपल – संदेशवाहक बिल्ली
परबतिया – एक खानाबदोश जो भविष्य देख सकती थी
वॉल्ट – एक जादूगर बौना जो पांचों क्षेत्र पर अपने जादू के बल पर राज करता था और उन पर जुल्म करता था
मॉस – वॉल्ट का भाई
गेरू – एक विशालकाय व्यक्ति
बेली – आत्मा क्षेत्र की मुखिया
पोलो – ओपल का उड़ने वाला घोड़ा

विचार

फंतासी एक ऐसी विधा है जहाँ लेखकों को अपनी कल्पना के घोड़े दौड़ाकर एक नवीन दुनिया की रचना करने का मौका मिलता है। जो चीजें असल दुनिया में नामुमकिन नजर आती है वह फंतासी में संभव ही नहीं होती बल्कि कई बार जो आपने सोचा होता है उससे कई दूर की चीजें लेखक अपनी कल्पना के माध्यम से अपने पाठकों को परोस देता है। ऐसे में यथार्थवादी साहित्य की सीमाओं के न होने के चलते एक अत्यधिक रोमांचक कथानक आपको पढ़ने को मिल जाता है। शायद यही कारण है कि पाठकों फिर चाहे वह बच्चे हों या बड़े उन्हें फंतासी पढ़ना पसंद रहा है।  बच्चों को तो यह विधा काफी भाति है और काफी समय तक इस विधा को बच्चों की विधा की विधा ही माना जाता था। पर अफसोस की बात है कि हिंदी में फंतासी में ज्यादा कुछ आता नहीं है। न बच्चों के लिए और न वयस्कों के ले ही। ऐसे में कभी कभार फंतासी में कुछ आता है तो उसे लेकर उत्सुक होना लाजमी है। यही उत्सुकता मुझे ‘तारा की अनोखी यात्रा’ के लिए थी। उत्सुकता थी तो आते ही इसे ले लिया था लेकिन ये दीगर बात है कि पढ़ने का मौका अब लग रहा है।

‘तारा की अनोखी यात्रा’ लेखिका सुमन बाजपेयी द्वारा लिखित बाल फंतासी उपन्यास है। उपन्यास फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन द्वारा दिसंबर 2023 में प्रकाशित किया गया था।

उपन्यास के केंद्र में एक बारह वर्षीय लड़की तारा है। वह एक छोटे से शहर चाँदीपुर में अपनी माँ, वंदना, के साथ रहती हैं।  वह अपने पिता, शेखर,  की लाड़ली  थी और इसलिए उनके अचानक गायब होने से उनकी कमी उसे यदा कदा खलती रहती है। सभी को लगता है कि उसके पिताजी दुनिया में नहीं हैं लेकिन तारा को इस बात पर विश्वास नहीं है और उसकी दिली इच्छा अपने पिताजी को ढूँढकर लाने की है। तारा की ज़िंदगी में मोहित अंकल नामक एक किरदार भी है। मोहित उसके पिता का दोस्त था और अब उसके पिता के जाने के बाद उसकी माँ से नजदीकियाँ बढ़ाना चाहता है। तारा को इस कारण मोहित पसंद नहीं है। ऐसे में कैसे तारा एक विज्ञापन के चलते एक जादुई दुनिया में दाखिल होती है और उस दुनिया में उसके साथ क्या क्या होता है यही उपन्यास का कथानक बनता है।

उपन्यास छोटे छोटे अध्यायों में विभाजित है जो कि बच्चों को ध्यान में रखकर बने हैं।

किरदारों की बात करें तो तारा एक बारह वर्षीय लड़की है और उसके सोचने का तरीका वैसा ही है। तारा के अपने माँ और मोहित के बीच के रिश्तों को लेकर द्वंद को लेखिका ने बहुत अच्छे से दर्शाया है। हाँ, उपन्यास में मोहित का केवल जिक्र आता है। हमें ये बताया जाता है कि वह कैसा है और क्यों तारा को पसंद नहीं है। मोहित और तारा के बीच के रिश्ते को दर्शाता कोई दृश्य उपन्यास में नहीं है। अगर होता तो बेहतर होता।

124 पृष्ठ के उपन्यास में 34 पृष्ठ का कथानक चाँदीपुर में घटित होता है और बाकी कथानक उस नवीन दुनिया में घटित होता है जिसकी रचना लेखिका ने की है। यह एक जादुई दुनिया है जहाँ उड़ने वाले घोड़े हैं, ड्रैगन है, जादुई बौने हैं, विशालकाय कोमल हृदय मनुष्य, भविष्यवक्ता बंजारे हैं। यह दुनिया पाँच क्षेत्रों – जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी, आत्मा में विभाजित है और अपनी यात्रा में तारा इनमें से अधिकतर क्षेत्रों में जाती है। यहाँ उसे कुछ मुसीबतें मिलती हैं और कुछ मददगार भी मिलते हैं। साथ ही उसे अपने पिता के गायब होने के पीछे का रहस्य भी पता लगता है।  वह इस दुनिया में क्यों और कैसे आयी? और वह इस दुनिया से कैसे निकल पाएगी? यह प्रश्न पाठक को किताब के पृष्ठ पलटने के लिए विवश कर देते हैं।

जादुई दुनिया के किरदारों की बात करें तो गेरू, परबतिया, भेड़िया बच्चा मुझे पसंद आए और इनके बारे में अधिक पढ़ना चाहता था। रिक्की नामक बौने का जो विवरण लेखिका ने दिया वो मुझे रोचक लगा। तब मुझे लगा था कि कोई दृश्य उसके मजाकिया स्वभाव को दर्शाते हुए उन्होंने लिखा होता तो अच्छा रहता। उम्मीद है वो अगर इस दुनिया की कोई दूसरी कहानी लिखेंगे तो रिक्की का खाली विवरण ही पढ़ने को नहीं मिलेगा बल्कि दृश्यों के माध्यम से उसे देखने को भी मिलेगा।

मुझे इस जादुई दुनिया में तारा के साथ साथ चलना अच्छा लगा।

कथानक की कमी की बात करूँ तो मुख्य बात मुझे ये लगी कि तारा अपनी यात्रा के दौरान कई  मुसीबतों  में तो फँसती है लेकिन उनसे अपने बलबूते के निकलने के बजाए किसी न किसी की मदद से निकलती है। यह मदद उसे बिना हाथ पैर मारे जरा आसानी से मिल जाती है। अगर तारा अपने बलबूते पर मुसीबतों से निकलती तो कथानक बहुत रोमांचक हो सकता था। चूँकि यह एक जादुई दुनिया थी तो थोड़ा ऐसे किरदार भी होते जो जैसे दिखते हैं वैसे होते नहीं है और कुछ धोखे भी नायिका को मिलते तो अच्छा रहता। एक यात्रा से आप काफी कुछ सीखते हैं। लोगों के असल चरित्रों से वाकिफ होते हैं।  मुसीबतों से अपने बलबूते पर जूझना इसमें सर्वोपरि अनुभव करता है जो कि आपको बेहतर व्यक्ति बनाता है। उपन्यास पढ़ते हुए लगा जैसे तारा को ये मौके मिले तो सही लेकिन ऊपर मदद के चलते वह तारा के साथ से छीन लिए गए।

इसके अलावा फंतासी दुनिया में अधिकतर किरदार जो तारा को मिलते हैं वो अच्छे होते हैं। ये किरदार अपने रंग रूप और आकार में पाश्चात्य मिथकों से प्रेरित हैं। इसमें भारतीय मिथकों के किरदारों का छौंका भी लेखिका ने लगाया होता तो थोड़ा और मज़ा आ जाता है।  चूँकि किरदार अधिकतर अच्छे हैं तो एक फंतासी दुनिया में खतरे और अविश्वास का भाव जो पाठक के मन में पढ़ते हुए रहता है उसकी कमी थोड़ा इधर खलती है। थोड़ी कुटिल किरदार और अधिक होते तो व्यक्तिगत तौर पर मुझे मज़ा अधिक आता।

फिर उपन्यास के अंत में तारा को खलनायक के घर में जाकर एक महत्वपूर्ण चीज लानी पड़ती है। उधर भी वह उसकी राह काफी आसान कर दी गयी है। थोड़ा राह मुश्किलों भरी होती। कुछ असफलताएँ हाथ लगने के बाद सफलता हाथ लगती तो बेहतर होता। नायिका और खलनायक की भिड़ंत उसनी रोमांचक नहीं बन पायी है जितना  कि बन सकती थी। इसे थोड़ा और उभारा जा सकता था और इनके बीच की भिड़ंत को और रोमांचक बनाया जा सकता था।
लेखिका ने जिस दुनिया का निर्माण किया है उधर उनके पास काफी कुछ करने के लिए है। पर इस उपन्यास में अध्याय छोटे रखने के चक्कर में हमें उस दुनिया में उतना वक्त गुजारने का मौका नहीं मिल पाता है। मसलन, जब ट्री ऑफ लाइफ वाला प्रसंग आता है या फिर भेड़िया बच्चे वाला प्रसंग आता है तो पाठक के तौर पर मैं उनके बारे में अधिक जानना चाहता था। पर लेखिका विस्तृत विवरण से बची हैं। ऐसे में कई बार लगता है कि कोई जल्दी जल्दी आपको किसी खूबसूरत जगह से ले जाना चाहता है जबकि आप उधर ठहरकर उसके बारे में अधिक जानना चाहते हो। मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि कुछ कुछ जगहों पर थोड़ा अधिक समय बिताया जा सकता था। उस क्षेत्र, उस जीव या उस किरदार के इतिहास के विषय में कुछ और अधिक बताया जा सकता था। फंतासी पढ़ते हुए एक पाठक की यह उम्मीद रहती है इसलिए फंतासी  उपन्यास अपने कलेवर में काफी बढ़े होते हैं।
उपन्यास के अंत में तारा अपनी दुनिया में आती है उसके साथ कोई और भी होता है। पर अंत में हमें जो देखने को मिलता है वह पचाना थोड़ा मुश्किल होता है। ज्यादा कुछ कहना स्पॉइलर देना होगा लेकिन मैं इतना कहूँगा कि अगर मुझे किसी चीज या व्यक्ति को पाने की इच्छा है। और मैंने उसे पा लिया है तो मैंने बिना किसी सशक्त कारण के उसे इतनी आसानी से छोड़ूँगा नहीं।

संस्करण की बात की जाए तो यह एक अच्छी गुणवत्ता के कागज पर छपा संस्करण है। उपन्यास में प्रूफ की कुछ गलतियाँ हैं। कुछ पृष्ठों पर वर्तनी की गलती है और कुछ जगहों पर वाक्यों में से कुछ शब्द प्रिन्ट होने रह गए हैं। शुरुआत में एक जगह पूरा अनुच्छेद ही दोबारा प्रिन्ट हो गया है। उम्मीद है प्रकाशक अगले संस्करण में इन त्रुटियों को सुधार लेंगे।  इसके अलावा एक और चीज मुझे खली। उपन्यास में कुछ जगहों पर तो चंद्रबिंदु का प्रयोग किया गया है और कुछ पर नहीं है। मसलन ‘यहाँ’ ‘वहाँ’ पर चंद्रबिंदु है लेकिन ‘आँसुओं’, ‘मुस्कराएँगे’, ‘पाएँगे’ जैसे शब्दों में नहीं है। ऐसे में यह चीज अटपटी लगती है। अगर चंद्रबिंदु का प्रयोग करना है तो जहाँ जहाँ आता है वहाँ वहाँ किया जाए तो बेहतर रहता है।  वरना इससे बचा जा सकता है।

यह एक सचित्र उपन्यास है और उपन्यास में चित्रांकन पार्थ सेनगुप्ता द्वारा किया गया है। उनके चित्र कथानक पढ़ने के अनुभव को बढ़ा देते हैं।

अंत में यही कहूँगा कि फंतासी विधा में सुमन बाजपेयी की यह अच्छी कोशिश है। हिंदी में ऐसी कोशिशों की सराहना होनी चाहिए। वह एक नवीन दुनिया से पाठक का परिचय करवाने में सफल होती हैं। यह एक मजेदार दुनिया है। अभी चीजें थोड़ा तेज गति से चलती प्रतीत होती हैं और रोमांच का तत्व जितना इसमें हो सकता था उतना नहीं है तो इन बिंदुओं पर उन्हें ध्यान देने की आवश्यकता है। पर मैं एक वयस्क की नजर से देख रहा हूँ। एक बच्चे की नजर से देखूँ तो उन्हें यह पसंद आना चाहिए।

लेखिका इस दुनिया से जुड़ी असंख्य कहानियाँ पाठकों के लिए ला सकती हैं। उपन्यास के अंत में कुछ ऐसा घटित होता है जो कि अगले भाग के होने का अंदेशा भी देता है। मैं तो तारा के साथ लेखिका द्वारा रची गयी इस अनोखी दुनिया का सफर दोबारा करना चाहूँगा या तारा के बिना भी इधर जाना चाहूँगा। उम्मीद इस जादुई दुनिया की एक नवीन या पुरानी कहानी लेकर वो जल्द ही हमारे सामने प्रस्तुत होंगी और इस बार उपन्यास का कलेवर वृहद होगा ताकि पाठक के तौर पर व्यक्ति ज्यादा समय इस जादुई दुनिया में बिता पाए।

पुस्तक लिंक: अमेज़न


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर उन्हें लिखना पसंद है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *