संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: पैपरबैक | पृष्ठ संख्या: 32 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | शृंखला: भेड़िया | कहानी एवं चित्रांकन: धीरज वर्मा | इंकिंग: राजेन्द्र सिंह धौनी
कहानी
एलफाण्टो नामक हाथी का गोंगु कबीले के वासियों का एकछत्र राज था। वह उसकी पूजा करते थे और उसे रोज भोजन प्रदान करते थे। लेकिन एक दिन वो उसे भोजन देना भूल गए और उन्हें उसके क्रोध का भाजन बनना पड़ा।
चूँकि कबीले वाले भेड़िया के जागृत होने की खुशी में एलफाण्टो को भोजन देना भूले थे तो उसने भेड़िया से लड़ने की ठान ली थी।
आखिर कौन था ये एलफाण्टो?
क्या वो भेड़िया से बदला लेने में कामयाब हो पाया?
भेड़िया और एलफाण्टो के बीच होने वाली लड़ाई का नतीजा क्या निकला?
मेरे विचार
‘एलफाण्टो’ भेड़िया शृंखला का तीसरा कॉमिक बुक है। इस कॉमिक की कहानी धीरज वर्मा द्वारा लिखी गई और उन्होंने ही इसका चित्रांकन किया है।
कॉमिक बुक की शुरुआत गोंगुवासियों द्वारा एलफाण्टो की अवहेलना से होती है जो कि एलफाण्टो और भेड़िया के टकराव की भूमिका रखता है। वहीं कॉमिक बुक में रॉबी और उसके बॉस का प्रवेश भी होता है। यह दोनों अपराधी हैं और पुलिस से बचकर भाग रहे हैं। जंगल में आकर वह भेड़िया और एलफाण्टो के टकराव में क्या भूमिका निभाते हैं और जंगल में रहकर जो दूसरे गुल खिलाते हैं वही कॉमिक का कथानक बनता है।
कॉमिक बुक के केंद्र में एलफाण्टो नामक किरदार है जो कि हाथी मानव है। भेड़िया के समान ही यह किरदार काफी शक्तिशाली है पर यह कौन है और कैसे असम के जंगलों में पहुँचा ये नहीं बताया गया है। वहीं कॉमिक बुक के शुरुआती पैनल में इस हाथी मानव को बोलते देख जिस तरह की प्रक्रिया गोंगुवासी देते हैं उससे यही देखने को मिलता है कि उनके लिए भी एलफाण्टो का यह नवीन रूप एक तरह से आश्चर्य में डालने वाला था। यह चीज कई प्रश्न पाठक के मन में छोड़ देता है जैसे कि क्या एलफाण्टो में ये बदलाव क्या अचनाक आया है? अगर हाँ तो इसका कारण क्या है? अगर नहीं तो यह जीव कौन है और कहाँ से आया है?
कॉमिक बुक में अन्य खलनायक के रूप में रॉबी और उसका बॉस हैं। यह दोनों फरार अपराधी हैं जो कि पुलिस की चंगुल से भागते हुए असम के जंगलों में आ जाते हैं। यह दोनों किरदार स्वार्थी हैं और अपने स्वार्थ के लिए किसी का भी प्रयोग करने से हिचकिचाते नहीं हैं। मानव किस तरह अपने स्वार्थ के लिए चीजों का दोहन करते हैं यह दोनों ही उसका प्रतिनिधित्व करते हैं। इनके विषय में भी कुछ प्रश्न पाठकों के मन में उपज सकते हैं। मसलन यह दोनों कौन हैं? यह पुलिस से क्यों भाग रहे हैं? इन्हें हेलीकोप्टर कैसे मिला और इसे लेकर ये असम के जंगलों में ही क्यों आए?
एलफाण्टो और भेड़िया का टकराव रोचक रहता है। भेड़िया आम मानवों पर तो भारी पड़ेगा लेकिन एलफाण्टो शक्ति में उसका मुकाबला करने में सक्षम है और इसलिए इनके बीच की लड़ाई देखने में मज़ा आता है। वहीं कॉमिक में तस्करी वाला प्रसंग भी है जो कि इस पर रोशनी डालता है कि मानव कैसे अपने स्वार्थ के लिए जंगल के संसाधनों का दोहन कर रहे हैं। चूँकि यह कॉमिक का पहला भाग ही है तो इस भाग में एक भूमिका लेखक द्वारा स्थापित की गई है। कई प्रश्न इसमें अनुत्तरित रह जाते हैं। अब देखना ये होगा कि इसके अगले भाग ‘ग्रीन गोल्ड’ में लेखक कहानी को किस तरफ ले जाते हैं और उसमें क्या-क्या नये राज उजागर होते हैं।
अगर कथानक में मौजूद कमी की बात करूँ तो क्योंकि इसमें एलफाण्टो और तस्करी का पहलू एक साथ आया है तो 32 पेज की कॉमिक के लिए इन दोनों कोणों को एक साथ लाना अखर सकता है। इससे होता ये है कि कॉमिक बुक में कई प्रश्न अनुत्तरित रह जाते हैं जिनमें से कुछ का उत्तर अगर इसी कॉमिक में मिल जाता तो शायद बेहतर होता।
कॉमिक बुक के आर्टवर्क की बात की जाए तो यह धीरज वर्मा द्वारा बनाया गया है जो कि कॉमिक के साथ न्याय करता है। हाँ, एलफाण्टो को जिस तरह से चित्रण किया गया है वह मुझे थोड़ा अटपटा लगा। एलफाण्टो हाथी से हाथीमानव बनता है लेकिन इस तब्दीली में उसकी सूंड उसकी पूँछ बन जाती है और उसके आगे के दांत गायब हो जाते हैं। चित्रकार ने ऐसा क्यों किया यह मुझे समझ नहीं आया। मुझे लगता है कि अगर उसकी सूंड और उसके दाँत सही जगह पर मौजूद रहते या उन्हें पूरी तरह से गायब ही कर दिया गया होता तो बेहतर रहता।
एलफाण्टो |
अंत में यही कहूँगा कि एलफाण्टो एक रोचक खलनायक है जिसका भेड़िये से हुआ टकराव देखना मुझे पसंद आया। एलफाण्टो और जंगल में होती तस्करी से भेड़िया किस तरह निपटता है यह जानने के लिए आप इस कॉमिक का अन्य भाग ग्रीन गोल्ड अवश्य पढ़ना चाहेंगे। उम्मीद है इस भाग में अनुत्तरित रहे प्रश्नों के उत्तर भी ग्रीन गोल्ड में मिलेंगे।