Edition Details:
फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 235 | प्रकाशक: सृष्टि
पुस्तक लिंक: अमेज़न
कहानी
किरदार
मेरे विचार
नथिंग एल्स मैटर्स (Nothing Else Matters) लेखक विश धमीजा (Vish Dhamija) की पाँचवी किताब है। यह उपन्यास पहली बार 2016 में प्रकाशित हुआ था और अमेज़न की माने तो 28 दिसंबर 2016 को मैंने खरीदा था। अंग्रेजी में प्रकाशित यह उपन्यास एक रोमांच कथा है जिसकी कहानी तीन भागों में विभाजित है।
उपन्यास का पहला भाग लव सिंह की कहानी कहता है और यही उपन्यास का सबसे ज्यादा रोमांचक भाग है। इस भाग की कहानी दो काल खंडों में एक साथ चलती है।
एक काल खण्ड वर्तमान समय 2006 का है जहाँ लव सिंह को पता चलता है कि जिस व्यक्ति को उसे मारने है वह जोया का जानकार है और लव सिंह इस बात का पता लगाने का मन बना लेता है कि कौन उसे मारना चाहता है। इस कालखण्ड में लव सिंह को हम तहकीकात करते देखते हैं। इस काल खण्ड की कहानी प्रथम पुरुष में है जो कि हमें लव सिंह के नजरिए से दिखती है।
पहले भाग की दूसरी कहानी 1986 से 1989 की है। तृतीय पुरुष में लिखी गयी यह कहानी लव सिंह के एक आम निम्नमध्यम वर्गीय छात्र से एक कान्ट्रैक्ट किलर बनने के सफर को दर्शाती है।
अक्सर अखबारों में खबरे देखने को मिल जाती हैं कि कुछ छात्र अपने शौक को पूरा करने के चलते अपराध की दुनिया की तरफ बढ़ चलते हैं। लव भी एक ऐसा ही छात्र था। प्रेम में डूबा हुआ लव किस तरह प्रेम को पाने के चलते झूठ का सहारा लेता है और फिर आसानी से पैसे बनाने की इच्छा के कारण कैसे गैंगस्टर बन जाता है यह देखना रोचक रहता है।
झूठ ऐसी चीज है जिसे बनाए रखने के लिए कई बार हजारों झूठ बोलने पड़ जाते हैं। पढ़ते हुए यहअहसास हो ही जाता है। अगर लव सिंह अपने भाई कुश की तरह सच बताता तो शायद उसकी जिंदगी कुछ और ही होती।
1986 से 1989 की इस कहानी में ही हमें बाबा जी और भारतीय अंडरवर्ल्ड के कुछ हिस्से देखने को मिलते हैं जो कि भले ही फिल्मी हो लेकिन रोचक है। बाबाजी का किरदार और उनके काम करने का तरीका मुझे पसंद आया।
वहीं लव सिंह के अभिभावकों के लिए बुरा भी लगा। लव सिंह की कहानी के चलते हमें निम्न मध्यम वर्गीय परिवार के अभिभावकों के सपने, उनकी उम्मीदें, उनके त्याग देखने को मिलता है। चूँकि मैं खुद निम्नवर्गीय परिवार से हूँ तो लव के अभिभावकों में मुझे अपने अभिभावकों की झलक देखने को मिली। जो उनके साथ घटित हुआ वह दुखी कर देता है। कई बार अभिभावक अपने बच्चों के कारण काफी कुछ भुगतते हैं। यह बात इधर देखने को मिलती है।
2006 और 1986 से 1989 की कहानी चूँकि साथ साथ चलती हैं तो कथानक में रोमांच बना रहता है। एक तरफ यह राज है कि जोया के जानकार को कौन और क्यों मारना चाह रहा है वहीं दूसरी तरफ यह सवाल कि लव सिंह जैसा शरीफ सा लड़का कैसे अपराध की दलदल में फँस गया और खूँखार शूटर हीरा बन गया। यह दोनों ही बातें आपको पृष्ठ पलटने के लिए मजबूर कर देती हैं। वहीं हीरा बनने के बाद उसके द्वारा किए गए दो मिशनो का ब्योरा भी कहानी में रोमांच लाता है।
उपन्यास का दूसरा भाग जमशेद वाडिया की कहानी कहता है। जमशेद वाडिया जोया का पति है और वह जोया की जिंदगी में कैसे आया और वह असल में कैसा व्यक्ति है यह इस भाग से हमें पता चलता है। वहीं इस भाग को और लव सिंह वाले भाग को पढ़ते पढ़ते यह भी अंदाजा हो जाता है कि जमशेद को कौन मारना चाह रहा होगा। यह कहानी का बड़ा ट्विस्ट होना चाहिए था लेकिन चूँकि हल्का हल्का अंदाजा हो जाता है तो जब लेखक इस राज को फ़ाश करते हैं तो उसका उतना प्रभाव नहीं पड़ पाता है जितना की तब पड़ता जब पाठक को पहले से ही इसका अंदाजा न लग पाता।
उपन्यास के आखिरी भाग में जोया मर्चेन्ट की कहानी हमें पता चलती है। लव से उसके मिलने को हम उसके नजरिए से देखते हैं। वहीं लव के साथ जो हुआ उसका उसके जीवन पर क्या असर हुआ यह भी देखने को मिलता है। चूँकि जोया की कहानी का काफी भाग ऐसा है जो लव और जमशेद की कहानी पढ़कर आप अंदाजा लगा सकते हो तो इस भाग की कुछ चीजों में दोहराव सा लगता है। कहानी का यह भाग पचास पृष्ठ के करीब लिखा गया है जिसे काटकर थोड़ा कम किया जा सकता था।
अंत में यही कहूँगा कि मुझे नथिंग एल्स मैटर्स एक बार पढ़ा जा सकने वाला उपन्यास लगा। तीन भागों में विभाजित उपन्यास का पहला भाग सबसे बेहतरीन बन पड़ा है। कहानी अपेक्षित दिशा में जरूर दौड़ती है लेकिन फिर भी पाठक मंजिल तक पहुँचकर यह सुनिश्चित जरूर करना चाहेगा कि वह सही है या नहीं। हाँ, अगर आप रोमांचकथा में जटिल घुमावदार कथानक पसंद है तो शायद उपन्यास से निराशा हो। वहीं अगर आपको यथार्थवादी कथानक पसंद हैं तो हो सकता है कि उपन्यास के कुछ हिस्से आपको फिल्मी लगे। लेकिन अगर आप मेरी तरह हर तरह के कथानक का लुत्फ उसके हिसाब से ले सकते हैं तो उपन्यास आप एक बार पढ़ सकते हैं।
पुस्तक लिंक: अमेज़न
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (10-11-2021) को चर्चा मंच "छठी मइया-कुटुंब का मंगल करिये" (चर्चा अंक-4244) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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छठी मइया पर्व कीहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चाअंक में मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार…