किताब परिचय: तलाश – विदेशी एवं आदिवासी संस्कृति के अनछुए दस्तावेज | विनय प्रकाश तिर्की

किताब परिचय: तलाश | विनय प्रकाश तिर्की

किताब परिचय

तलाश विनय प्रकाश तिर्की के 32 लेखों का संग्रह है। तीन खंडों में विभाजित इस पुस्तक में उनके यात्रा संस्मरण, जनजातीय संस्कृति से जुड़े आलेख और ईसाइयत से संबंधित उनके आलेख एकत्रित किये गए हैं। 

तलाश में एकत्रित किये गए यह आलेख समाज की गहराई से जुड़े हुए हैं। बहुआयामी भारतीय समाज से लेकर वैश्विक पटल पर समाज के ताने-बाने को रेखांकित करने वाले लेख और संस्मरण बहुत रोचक हैं। 

एक रचनात्मक, विचारक और प्रबुद्ध लेखक के रूप में, वह बोधगम्य वास्तविकता से अवगत कराते हैं और अपने विषयों की गहरी जड़ों को दृढ़ स्पष्टता और निष्पक्षता के साथ जाँचते हैं। पाठकों को पुस्तक बहुत आकर्षक लगेगी और उद्वेलित करेगी। लेख आश्चर्यजनक रूप से कई अपरिचित तथ्यों को सामने लाता है। यह भारत में आदिवासियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, ईसाई धर्म और यात्रा वृत्तान्त पर कई नई अंतदृष्टि और अनुभव साझा करती है।

पुस्तक लिंक: अमेज़न | साहित्य विमर्श

पुस्तक अंश

किताब परिचय: तलाश | विनय प्रकाश तिर्की

बदलाव के मुहाने पर मिस्र

किसी देश की यात्रा करनी हो तो सड़क मार्ग से अच्छा कुछ नहीं हो सकता। इससे वहाँ की भूमि की संरचना, जलवायु,  मानवीय बसाहटों आदि की नई-नई जानकारी मिलती है। खोजी प्रवृति के मानवीय मन को और क्या चाहिए। किसी भी बेहतर रचना को अंजाम देने के लिए,  अनुसंधान की प्रवृति,  रचना कौशल को भी और निखार देती है। लालसागर के किनारों से जाते हुए इजराएल से जैसे ही हम लोग मिस्र के ताबा बार्डर पहुँचे, गाइड हमारे दल का इंतजार कर रहा था। मिस्र का लगभग 94 प्रतिशत भू-भाग मरूस्थल है और जीविका का बहुत बड़ा स्त्रोत पर्यटन है, अतः मिस्रवासी बड़ी सहृदयता व गर्मजोशी से पर्यटकों का स्वागत करते हैं।
यह इलाका सिनाई प्रायद्वीप कहलाता है। 60,000 वर्ग किमी का यह विशाल इलाका मिस्र का इकलौता क्षेत्र है जो एशिया के महाद्वीप पर पड़ता है और शेष मिस्र , उत्तर अफ्रीकी महाद्वीप में। भौगोलिक दृष्टि से यह भू-भाग एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के बीच एक जमीनी पुल है। सिनाई प्रायद्वीप और मिस्र की मुख्य भूमि के बीच स्वेज नहर आती है, और यहीं से अफ्रीका महाद्वीप प्रारम्भ हो जाता है। पूर्व में सिनाई की जमीनी सरहद इजराएल से लगती है। इस क्षेत्र में यदा-कदा आतंकी घटनाएँ होती रहती हैं।
खानाबदोश विडविन समुदाय के लोग इस क्षेत्र में बसते हैं। यह भू-भाग पूरी तरह अनुपजाऊ व भयानक मरूस्थली होने के कारण मानव आबादी न के बराबर है। सैंकड़ों लाल पत्थरों के टीलों की श्रृंखलाओं के मध्य विडविन यहाँ-वहाँ बसे दिख जाते हैं। उनकी झोपड़ियाँ बांस, टिन के चादर व तिनकों से बने होते हैं।
विडविन अरब जनजाति के हैं जिनका मुख्य पेशा पशुपालन है। वर्तमान में कुछ विडविन मानवीय सभ्यता के मुख्य धारा में आकर गाईड, टैक्सी चालक आदि बन गए हैं, पर ये लोग बेरोजगारी का दंश भी झेल रहे हैं, और इन्हीं कारणों से मिस्र की सीमाओं में ये अनैतिक गतिविधियों जैसे ड्रग तस्करी, अवैध रूप से हथियार की खरीद फरोख्त में लिप्त भी हैं।
सिनाई पर्वत श्रृंखला के बीच एक छोटा कस्बा सेंट कैथरीन है। यहूदी,  ईसाई और इस्लाम धर्म की मान्यता है कि यहीं के सिनाई पर्वत पर ईश्वर से पैगम्बर मोजेस को दस धर्मादेश मिले थे। वर्तमान में सिनाई एक पर्यटन स्थल है। पर्वत की तलहटी में सेंट कैथरीन मठ दुनिया का सबसे प्राचीन ईसाई मठ है। इस मठ के भीतर काफी संख्या में आर्थोडॉक्स ईसाई मठवासी तपस्या में लीन मिलेंगे। ऊंची दीवारों से घिरे इस आर्थोडॉक्स मठ के अंदर मस्जिद भी हैं।
शिया पंथ के फातिमिद खलीफा ने मठ के अंदर मौजूद एक छोटे चर्च को 10वीं सदी में मस्जिद में परिवर्तित कर दिया, पर इस मस्जिद में विशेष अवसरों पर ही प्रार्थना की जाती है। यह मठ दुनियाँ के सबसे महत्वपूर्ण ईसाई स्थलों में से एक है। आतंकी गतिविधि के कारण मठ के प्रवेश द्वार के निकट सुरक्षा चौकी स्थापित की गई है, तथापि यहाँ इस्लामिक स्टेट के हमले हो चुके हैं। इस कस्बे की आबादी लगभग पांच हजार है जिसमें 20 प्रतिशत ईसाई आबादी है। सेंट कैथरीन यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है, जिसे आधिकारिक तौर पर सन् 2002 में घोषित किया गया।
सिनाई प्रायद्वीप क्षेत्रों में आतंकी गतिविधि के कारण पर्यटकों की सुरक्षा के लिए यहाँ से एक मार्शल (सुरक्षाकर्मी) हमारे बस में सवार हुआ। पर्यटकों की सभी बसों में एक सुरक्षाधिकारी साथ चलते हैं। पर्यटन यहाँ का मुख्य उद्योग होने के कारण यह आवश्यक भी है। पूरे मिस्र में एक अजीब स्थिति से सामना करना पड़ता है, किसी भी होटल या रेस्तराँ में पेयजल उपलब्ध नहीं कराया जाता।
रेगिस्तान में पानी की क्या कीमत होती है,  यहीं पता चलता है। दूर-दूर तक जल स्त्रोतों का अता-पता नहीं। ऐसी विषम स्थितियों में जीवन तब भी चलता है। इधर की जमीन रेतीली नहीं है पर पथरीली, जली हुई, जबकि खाड़ी देशों के अधिकांश भू-भाग पूरी तरह रेतीले हैं। सामान्य आदमी ऐसे भू-भागों में जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता। प्रकृति की मार से त्रासदीपूर्व जीवन जीना यहाँ की विवशता ही है।
मिस्र के पिरामिड को लेकर मुझे कोई रूचि नहीं थी, चूंकि इससे मैं पहले से वाकिफ हूँ। दल के सभी यात्री 8 लोगों को छोड़कर अपने वतन वापिस उड़ चुके थे। इस देश के अनछुए पहलुओं को जानने की इच्छा से मैंने गाईड को काहिरा शहर के मटारिया और जाबालिन चलने का आग्रह किया। मुस्लिमों और ईसाईयों के आपसी संबंधों को लेकर मेरी रूचि थी। मिस्र की आबादी में करीब 10 प्रतिशत कॉप्टिक ईसाई हैं, हालांकि कुछ इसे 15 से 20 प्रतिशत का आकलन करते हैं।
मिस्र में धार्मिक आधार पर जनगणना नहीं होती। यहाँ यह प्रासंगिक है कि मिस्र के कॉप्टिक ईसाई धार्मिक तौर पर रोमन कैथोलिकवाद और पूर्वी आर्थोडॉक्सी की तरह होते हैं। मृत्यु पश्चात् मोक्ष को लेकर इनकी कुछ अलग-अलग मान्यताएँ होती हैं, और इसके लिए वे मरणोपरांत अनुष्ठानों में यकीन करते हैं। कॉप्टिक का अर्थ है ’’ मिस्र’’। यहाँ के ईसाई मिस्र के मूल निवासी हैं और अपने को कॉप्टिक कहते हैं और अरबी मूल को नहीं मानते।
बाईबिल के चार गोस्पेल लेखकों में से एक लेखक सेंट मार्क, ईसा की मृत्यु के पश्चात् एलेक्जेन्ड्रिंया आये थे, जो कॉप्टिक चर्च के संस्थापक और पहले बिशप थे। इस्लामी चरमपंथियों द्वारा मिस्र के चर्चों और ईसाईयों पर छिटपुट लेकिन घातक हमले होते रहे हैं अतः मुस्लिम ब्रदरहुड समर्थित शासन के सत्ता के बाहर होने के बाद यहाँ हर छोटे-बड़े चर्चों में आग उगलती हथियारों से लैश सुरक्षाकर्मी तैनात हैं, जबकि पूर्व में ऐसा नजारा न था। बिना स्थानीय गाईड के किसी भी चर्च में प्रवेश करना नामुमकिन है।
काहिरा शहर के उपनगरीय क्षेत्र ’’जाबालीन विलेज” अपनी एक विशिष्टता लिए हुए है जो पर्यटकों को आकर्षित करती है, पर अधिकांशतः, पर्यटक यहाँ कभी आना पसंद नहीं करेंगे। जाबालीन विलेज का शाब्दिक अर्थ है – ’’कचरा बीनने वालों की बस्ती’’। सन 1970 में काहिरा नगर निगम ने गीजा क्षेत्र से उन्हें हटाकर मोकाटम पहाड़ियों के बीच में विस्थापित किया। इस इलाके में केवल कचरा बीनने वाले ही रहते हैं। पूरे शहर का कचरा बीनने वाले, कबाड़ी का धंधा करने वाले यहीं बसते हैं।
भारत के किसी महानगर के स्लम एरिया सा माहौल, पर केवल बहुमंजिला मकान जो आश्चर्य का विषय था। यहाँ आना मतलब, गंदगी से भरे, कचरों के ढ़ेर, बदबूदार सड़कों से रूबरू होना है। मिस्र मुस्लिम बाहुल्य देश है पर जाबालीन बस्ती की 60,000 आबादी में 90 प्रतिशत काप्टिक ईसाई रहते हैं। शेष आबादी वाहिया मुस्लिमों की है। मोकाटम पर्वत में काप्टिक संत सेंट सिमोन मोनेस्ट्री भी है। यहाँ पर्वतों को काटकर ईसाई धर्म से संबंधित मूर्तियाँ अजंता-एलोरा के तर्ज पर उकेरी गई हैं।
पर्वतों के मध्य गुफाओं में दो बड़े-बड़े चर्च हैं। पूरे मध्य पूर्व में  यह चर्च सबसे बड़ा चर्च है, जिसकी क्षमता 20,000 है। यहाँ के काप्टिक ईसाई अन्य क्षेत्रों में जाना नहीं चाहते। दरअसल वे अपने को धार्मिक रूप से ज्यादा सुरक्षित पाते हैं और उन्हें महसूस होता है कि वे स्वतंत्रतापूर्वक अपने आस्थानुरूप अपने धर्म का अनुशीलन कर सकते हैं। मोकाटम की पहाड़ियों से चट्टानें खिसकने से काफी जनहानि होने का भय हमेशा बना रहता है और कई बार चट्टानों के स्खलन से मौतें भी हुई हैं।
काहिरा शहर के ’’मटारिया’’ किसी आकर्षण से कम नहीं। उपनगरीय सीमा में बसा ’’मटारिया’’ एकदम भीड़-भाड़ वाला इलाका है, धूल-धूसरित सड़कें, बेतरतीब खड़ी वाहनों, और घनी बसाहट के कारण बड़ी वाहन गुजर नहीं सकती। यहीं ईसाईयों का धार्मिक स्थल, ’’मेरी वर्जिन ट्री’’ स्थित है, पर सुगम न होने के कारण अधिकांश पर्यटक इस ओर रूख नहीं करते। कॉप्टिक विवरण के अनुसार मिस्र प्रवास के दौरान बालक ईसा का परिवार यानी होली फामिली काहिरा के विभिन्न 28 स्थानों में 03 वर्ष 11 माह तक निवास किया।
कॉप्टिक परम्परा अनुसार बालक ईसा यहीं सिकामोर पेड़ की डालियों से खेलते थे। वर्तमान में यह पेड़ टूटकर गिरा पड़ा है। यूनेस्को की देखरेख में इसे संरक्षित करते हुए पेड़ की डालियों और तने को पारदर्शी प्लास्टिक से लपेट दिया गया है। इसी से लगता हुआ एक पुराना कुँआ है जहाँ से इस परिवार ने पानी का उपयोग किया। वहीं कुछ दूरी पर निर्मित चैपल में बालक ईसा के ’’क्रेडेल’’ यानी पालना (झूला) दीवार पर लोहे के दो हुक के सहारे रखे गये हैं, बड़ा आश्चर्य हुआ। इसकी जानकारी हमें यहीं आकर मिली। बाईबिल में इन सब घटनाओं का विवरण नहीं मिलता, न ही इसका उल्लेख है। पर यह सब  मिस्र के कॉप्टिक चर्च के विश्वास और परम्परा पर ही आधारित है।
मिस्र की प्राचीन सभ्यता नील नदी के किनारे विकसित हुई जो विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक थी। आधुनिक मिस्र संक्रमण काल से गुजर रहा है। पर्यटन मुख्य उद्योग होने के कारण यहाँ विभिन्न सभ्यताओं के सम्पर्क से काफी बदलाव देखने को मिलते हैं। यहाँ की प्राचीन संस्कृति को यूरोप, मध्य एशिया तथा अफ्रीका की परवर्ती संस्कृतियों ने प्रभावित किया।
नील नदी में क्रूज पर सवार होना भी एक अदभुत अनुभव है, मिस्र, की प्राचीन सभ्यता के छिपे रहस्यों के बीच लोक वाद्य और आधुनिक पश्चिमी संगीत के समिश्रण, बैले नृत्य, बालीवुड के गानों पर ठुमके यहीं सम्भव है। कोई भी चीज हमेशा स्थाई नहीं हो सकती। अन्य सभ्यताओं को प्रभावित करने वाली सभ्यता अब खुद एक बदलाव के मुहाने पर खड़ी है।
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लेखक परिचय

श्री विनय प्रकाश तिर्की, छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ शासकीय अधिकारी हैं । श्री तिर्की समसामयिक विषयों में गहरी पकड़ रखते हैं । देश-विदेश घूम कर संस्कृतियों के गहन अध्ययन, उनकी सामाजिक सोच, राजनैतिक स्थितियों, उनकी परंपराएं और उनके पीछे की वजहों को जानने की उत्कंठा से प्रेरित श्री तिर्की, साल के दो माह, अपनी छुट्टियों में यायावर हो जाते हैं । अपनी इसी यायावरी प्रवृत्ति से संचालित श्री तिर्की ने 20 से अधिक देशों की यात्राएं की हैं और अपने यात्रा संस्मरणों में इन्हें शामिल किया है । छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल जशपुर जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले श्री तिर्की ने जीवन में लम्बा सफर तय किया है, कड़े संघर्षों से तपकर उन्होंने वर्तमान सामाजिक स्वीकारोक्ति प्राप्त की है । श्री तिर्की ने शासकीय अधिकारी के रूप में लम्बे कार्यकाल में जो देखा, अपने आस-पास घटते घटनाक्रम से जो समझा, उन्हीं को शब्दों का रूप देने का प्रयास करते रहे, प्रारम्भ में शौकिया तौर पर किए जाने वाले इस कार्य को गंभीरता तब मिली जब 1994 में उनके द्वारा भेजा लेख “डोडो की तरह विलुप्त होती बिरहोर जनजाति” दैनिक नव भारत में प्रकाशित हुआ । इसके बाद तो श्री तिर्की लगातार देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते ही रहे । 

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4 Comments on “किताब परिचय: तलाश – विदेशी एवं आदिवासी संस्कृति के अनछुए दस्तावेज | विनय प्रकाश तिर्की”

  1. काफी अलग विषय पर किताब है। इसे जरूर मंगाऊँगा इस दिवाली सेल्स पे।

    1. जी प्रीऑर्डर में ज्यादा सस्ती मिलेगी। सेल्स में तो महंगी ही है। साहित्य विमर्श की वेबसाईट से मँगवा लीजिए।

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