अथर्व और मायालोक के लेखक मनीष पाण्डेय ‘रूद्र’ से एक छोटी सी बातचीत

अथर्व और मायालोक के लेखक मनीष पाण्डेय 'रूद्र' से एक छोटी सी बातचीत

अथर्व और मायालोक मनीष पाण्डेय ‘रूद्र’ का प्रथम उपन्यास है। यह एक ऐसे लड़के अथर्व की कहानी है जो अपने माता पिता की तलाश में एक ऐसी दुनिया में जा पहुँचता है जहाँ ऐसे जीव हैं जो कि अपनी इच्छानुसार खूँखार जानवरों में तब्दील हो सकते थे।
आज एक बुक जर्नल पर पढ़िये मनीष पांडेय ‘रुद्र’ से उनके उपन्यास पर केंद्रित एक छोटी सी बातचीत। उम्मीद है आपको यह बातचीत पसंद आएगी।
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प्रश्न: नमस्कार मनीष , एक बुक जर्नल में आपका स्वागत है। पहले तो आपको नवप्रकाशित उपन्यास के लिए हार्दिक बधाई। एक किताब का छपना हर लेखक का सपना होता है। वैसे तो आप प्रतिलिपि और कुकू एफ एम जैसे प्लेटफार्म पर प्रकाशित होते रहे हैं लेकिन किताब छपने का अनुभव कैसा है?

आपको अभी क्या अनुभव हो रहा है?

 उत्तर: धन्यवाद, विकास। आपने बिल्कुल ठीक कहा कि ‘अथर्व और मायालोक’ मेरा पहला उपन्यास है जो प्रकाशित हो रहा है और एक नव प्रकाशित युवा लेखक के तौर पर मैं इस फंतासी उपन्यास को लेकर पाठकों की राय जानने के लिए काफी ज्यादा उत्साहित हूँ।

दरअसल बचपन से ही यह मेरा सपना था कि एक दिन मेरा लिखा हुआ कोई उपन्यास भी प्रकाशित हो और ‘फ्लाईड्रीम्स पब्लिकेशन्स’ के जरिए आज मेरा यह सपना पूरा हो गया।

प्रश्न: अर्थव और मायालोक आपका पहला उपन्यास है। यह एक फंतासी उपन्यास है जो कि सबसे कठिन जॉनर में से एक है। इस उपन्यास को लिखने का ख्याल कब और कैसे आया? कोई विशेष घटना जिसने आपको प्रेरित किया हो?

उत्तर: जी हाँ! मेरा भी यही मानना है कि फंतासी लेखन काफी मुश्किल होता है मगर इतना भी नहीं कि कुछ लिखा ही न जा सके इसीलिए जब मैं यह देखता हूँ कि एक तरफ जहाँ विदेशी भाषाओं में इस जॉनर को खूब सराहा जाता है, वहीं हिंदी भाषा में इसका अकाल है।

मतलब आपसे यदि प्रश्न किया जाए कि आप हिंदी भाषा में लिखे गए कुछ अच्छे फंतासी उपन्यासों के नाम बताईए तो मुझे लगता है आप मुश्किल से भी दो-तीन नाम शायद ही बता पाये।

क्या इसका मतलब ये है कि हम हिंदी लेखकों में एक अच्छी फंतासी रचने का सामर्थ्य नहीं है?

ऐसा नहीं है बल्कि मुझे लगता है कभी किसी ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया जबकि ‘फ्लाईड्रीम्स पब्लिकेशन्स’ इस दिशा में बेहतरीन कार्य कर रही है।

मैं बचपन से फंतासी जॉनर के प्रति काफी आकर्षित रहा हूँ और इसीलिए मैंने शुरूआत ‘अथर्व और मायालोक’ के जरिए की।

प्रश्न: मायालोक ऐसा संसार है जहाँ पशु और मानवों के मिश्रण रहते हैं। ऐसे जीवों की कल्पना कई बार कई लेखकों के द्वारा की जाती रही है। उदाहरण के लिए: हैरी पॉटर, नार्निया, हमारे महाकाव्यों में भी ऐसे जीवों की कल्पना है। 

आपने जब इस संसार की कल्पना की तो इन्हें किस तरह जुदा रखा? या ऐसा कोई ख्याल आपके मन में नही था? 

उत्तर: जी आपने बिल्कुल सही कहा। मायालोक ऐसे ही इच्छाधारी नरपशुओं की दुनिया है जहाँ के लोग इंसान से पशु और पशु से इंसान में परिवर्तित हो सकते हैं और सच बताऊँ तो मुझे इसका आइडिया भगवान नरसिंह को देखकर आया था जो आधे नर और आधे सिंह के रूप में अवतरित हुए थे।

इसके अलावा बाकी जो कुछ भी मैंनें सोचा वह मेरी खुद की कल्पना की उपज है।

प्रश्न: आपने मायालोक के पशुमानवों के विशेषताओं को किस तरह रचा? किस पशुमानव की रचना करने में आपको सबसे ज्यादा परेशानी हुई?

उत्तर: पशुमानवों को रचते समय मैंनें इस बात का ध्यान रखा कि उनके गुण कैसे होंगे, उनका आकार क्या होगा और सबसे जरूरी उनकी शक्तियाँ क्या होंगी?

साथ ही अतिरिक्त शक्तियों के लिए मैंनें मायापाश की भी रचना की जो मायालोक का एक अभिन्न अंग है।

हाँ! सबसे ज्यादा परेशानी का सामना मुझे, उपन्यास के मुख्य किरदार अथर्व और मुख्य खलनायक के इच्छाधारी स्वरूपों को गढ़ने में करना पड़ा, लेकिन अंततः यह काफी अच्छा अनुभव रहा। 

प्रश्न: एक फंतासी उपन्यास लिखना काफी मुश्किल कार्य है। आपको अपनी कल्पना से ऐसी दुनिया बनानी पड़ती है जिस पर आप सभी को यकीन दिला सकें। आपको इस उपन्यास को लिखते हुए किन किन चीजों से जूझना पड़ा? आपके अनुसार उपन्यास का कौन सा हिस्सा ऐसा था जो लिखने में आपको सबसे मुश्किल लगा?

उत्तर: जी! फंतासी लिखना, लेखन विधा का सबसे मुश्किल कार्य है और मुझे लगता है इसी वजह से हमारे लेखक इससे दूर भागने की कोशिश करते हैं मगर मुझे खुशी है कि इस उपन्यास के जरिए मैंने हिन्दी साहित्य को एक नया आयाम देने की कोशिश की है, ताकि भविष्य में फंतासी जॉनर को बढ़ावा मिल सके।

साथ ही सबसे मुश्किल पार्ट था कहानी का वह हिस्सा जहाँ पर मायालोक के बारे में बताया गया है क्योंकि उसे इस तरह लिखना था कि जिससे पाठकों को भी मायालोक के अस्तित्व पर यकीन हो सके।

प्रश्न: मुख्य किरदार के अलावा इस उपन्यास में  आपका पसंदीदा किरदार कौन सा था? वहीं कौन सा किरदार ऐसा है जिसे लिखते हुए आपको सबसे ज्यादा परेशानी हुई?

उत्तर: मुख्य किरदार के अलावा उपन्यास में आपको कई ऐसे किरदार मिलेंगे जो आपको भरपूर आनंद देंगे और जहाँ तक मेरी बात है तो मुझे व्यक्तिगत तौर पर जैकब नाम का किरदार सबसे अधिक पसंद है मतलब एक ऐसा किरदार जो लोगों को हँसाता भी है और रुलाता भी है और मुझे पूरा यकीन है कि पाठक भी इस किरदार से एक खास जुड़ाव महसूस करेंगे।

प्रश्न:  अक्सर फंतासी उपन्यास श्रृंखलाओं में लिखा जाता है। क्या यह उपन्यास एकल (अपने आप में सम्पूर्ण) है या इसके और भी भाग होंगे?

उत्तर: जी अगर किरदार और कहानी अच्छी हो तो उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना और उनको ज्यादा से ज्यादा पढ़ना हमें अच्छा लगता है। इसीलिए अक्सर फंतासी उपन्यास श्रृंखला में ही लिखे जाते हैं जैसे – हैरी पॉटर, लॉर्ड ऑफ द रिंग्स इत्यादि। 

बहरहाल ‘अथर्व और मायालोक’ अपने आपमें पूर्ण उपन्यास है हाँ अगर पाठकों की डिमांड होगी तो इसे एक श्रृंखला का रूप अवश्य दूँगा, मगर यह पूर्णतः पाठकों पर निर्भर करता है।

प्रश्न: आपके अगले प्रोजेक्ट्स कौन कौन हैं? क्या आप पाठकों को इस विषय में बतायेंगे?

उत्तर: जी, मेरा अगला प्रोजेक्ट भी एक फंतासी उपन्यास ही है।

फिलहाल उपन्यास का शीर्षक तो तय नहीं किया है मगर काफी कुछ लिख चुका हूँ और उम्मीद है जल्दी ही यह उपन्यास भी पाठकों के सामने होगी।

प्रश्न:  आखिर में बातचीत का अंत करने से पहले क्या आप पाठकों को कुछ कहना चाहेंगे?

उत्तर:  जाते-जाते मैं इस साक्षात्कार के लिए आपको धन्यवाद देना चाहूँगा और पाठकों से बस इतना ही कहूँगा कि मैंनें अपना पहला उपन्यास ही हिन्दी साहित्य की नॉर्मल लीक से काफी हटकर लिखा है और मैं उम्मीद करता हूँ कि आप सभी मेरी इस कोशिश के लिए कम से कम मेरी सराहना अवश्य करेंगे।

अगर आपको हैरी पॉटर और नार्निया जैसी एक अनोखी कृति पढ़नी है तो बिना देर किए 400 पृष्ठों का यह उपन्यास ऑर्डर कीजिए और अथर्व के साथ मायालोक की सैर कीजिए।

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तो यह थी लेखक मनीष पाण्डेय ‘रूद्र’ से एक बुक जर्नल की बातचीत। उम्मीद है यह बातचीत आपको पसंद आयेगी। उपन्यास आप फ्लाई ड्रीम्स के फेसबुक पृष्ठ पर सम्पर्क स्थापित कर प्राप्त कर सकते हैं या सीधे अमेज़न से मँगवा सकते हैं:

फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन | अमेज़न


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About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

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8 Comments on “अथर्व और मायालोक के लेखक मनीष पाण्डेय ‘रूद्र’ से एक छोटी सी बातचीत”

  1. अच्छी बातचीत है। लेखक को शुभकामनाएं।

    1. बातचीत आपको पसन्द आयी यह जानकर अच्छा लगा। हार्दिक आभार।

  2. बहुत बहुत बधाई आपको और बातचीत अच्छी थी

  3. बहुत बढ़िया! रोचक साक्षात्कार। मनीष जी को बधाइयाँ व हार्दिकशुभकामनाएं

    1. बातचीत आपको पसंद आई जानकर अच्छा लगा.. आभार…

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