आनन्द कुमार सिंह प्रभात खबर अखबार में सीनियर रिपोर्टर हैं। वह कोलकता में रहते हैं। उन्होंने अब तक दो किताबें : ‘हीरोइन की हत्या’ और ‘रुक जा ओ जाने वाली’ लिखी हैं। जहाँ ‘हीरोइन की हत्या’ एक रहस्यकथा है वहीं ‘रुक जा ओ जाने वाली’ एक रोमांटिक लघु-उपन्यास है। वह लेखक होने के साथ अच्छे अपराध साहित्य के मुरीद भी हैं। उन्होंने यह लेख अपनी पसंदीदा अपराध साहित्य श्रृंखला को लेकर लिखा है।
लाखों नॉवल्स की भीड़ में कुछ ही नॉवल्स होते हैं जो न केवल आपको सच्चाई के रूबरू कराते हैं बल्कि फुल इंटरटेनमेंट भी प्रदान करते हैं। एक ऐसा इंटरटेनमेंट जो आपने पहले कभी महसूस नहीं किया होगा। जिसमें पल-पल मौत का खौफ, अपराधियों के साम्राज्य का काला जाल और वायलेंस, बहादुरी, तीव्र मस्तिष्क की झलक, सबकुछ दिखाई देती है। इतना सबकुछ होने के बाद उपन्यास एक खालिस थ्रिलर का अहसास भी कराता है। यह सबकुछ डॉन विंस्लो की तिकड़ी, द पावर ऑफ द डॉग, द कार्टेल और द बॉर्डर में आप पा सकते हैं।
कहने को तो यह एक ही कहानी के तीन हिस्से हैं लेकिन इन्हें इस तरह से लिखा गया है कि यह बतौर स्टैंडअलोन भी पढ़े जा सकते हैं। यानी हर एक उपन्यास अपने आप में संपूर्ण कहानी बयां करता है।
मोटे तौर पर कहानी मेक्सिको के ड्रग साम्राज्य पर आधारित है। कहानी का नायक आर्ट केलर है जो डीइए एजेंट और बाद में इसका प्रमुख भी बनता है। आर्ट केलर और ड्रग साम्राज्य मुख्य रूप से एडन बरेरा के बीच होने वाली चूहे-बिल्ली की लड़ाई, कहानी का आधार है। कहानी का विस्तार, इसका कैनवस इतना विशाल है कि इसे चंद शब्दों में समेटना नामुमकिन है। कई कैरेक्टर, कई सब प्लॉट्स, विभिन्न कैरेक्टर्स की निजी कहानी, सबकुछ इसे एक महागाथा का रूप देते हैं। करीब 2000 पन्नों में तीनों उपन्यास फैले हैं (द पावर ऑफ द डॉग-542 पन्नें, द कार्टेल-616 पन्नें, द बॉर्डर-768 पन्नें)। मूल कहानी भले डीइए और मेक्सिकन ड्रग साम्राज्य के बीच की लड़ाई है लेकिन इसकी सबसे खास बात है कि आपको बोरियत का अहसास कहीं नहीं होगा। डॉन विंस्लो विश्व के अग्रणी लेखकों में से एक हैं। वह हरेक सीन में यह सुनिश्चित करते हैं कि पाठकों को इंटरटेनमेंट भरपूर मिले।
पावर ऑफ द डॉग में आर्ट केलर, मेक्सिकन ड्रग साम्राज्य, जिसका नेतृत्व एडन बरेरा कर रहा है, उसे जमींदोज करने पर आमादा है। जहां करोड़ों-अरबों डॉलरों की बात हो वहां ड्रग साम्राज्य को भी पूरी तरह निर्दयी दिखाया गया है। कहानी विभिन्न प्लॉट्स के जरिये आगे बढ़ती है। जिसकी शुरूआत एक शूटआउट के स्थल पर आर्ट केलर के पहुंचने से होती है। जिसके संबंध में लेखक कहीं कोई सफाई नहीं देता। लेकिन स्थल की भयावहता से पाठकों को रूबरू कराता है। बाद में, सैकड़ों पन्नों के बाद पाठकों को कहानी में उस हिस्से का महत्व समझ आता है।
द कार्टेल में आर्ट केलर को एक चर्च में गुमनामी का जीवन बिताते देखा जा सकता है। जहाँ डीइए उसकी तलाश करता है और वापस डीइए जॉयन करने के लिए कहता है। उसे बताया जाता है कि एडन बरेरा जेल से भाग गया है। अपने साथी की बर्बरतापूर्ण मौत के दोषी बरेरा को वापस पकड़ने के लिए आर्ट केलर फिर से डीइए में शामिल हो जाता है। इस नॉवल में आर्ट केलर की निजी लव लाइफ भी आगे बढ़ती है। इस नॉवल में ड्रग साम्राज्य के कई हिस्सों में बंटने और उन हिस्सों के भयावह रूप लेने को दिखाया गया है। हिंसा का ऐसा वीभत्स रूप कम ही उपन्यासों में दर्शाया गया है। आर्ट केलर अपने दुश्मन एडन बरेरा से बाकी अपराधियों का खात्मा करने के लिए हाथ मिलाता है। लेकिन यहां भी ट्विस्ट है।
तिकड़ी का आखिरी नॉवल, द बॉर्डर है। इसमें ड्रग्स की लड़ाई अमेरिका की धरती पर पहुंचती है। आर्ट केलर डीइए का प्रमुख बनता है। एक बार फिर कहानी, कई सब प्लॉट्स के जरिये आगे बढ़ती है। ड्रग्स और राजनीति का मेल भी इसमें दिखा गया है। हिंसा और इंटरटेनमेंट का सम्मिश्रण इसमें भी देखने को मिलता है। उपन्यासों को पढ़े बिना इसके स्वाद का अंदाजा बिल्कुल नहीं लगाया जा सकता।
कहते हैं एडन बरेरा का कैरेक्टर रियल लाइफ मेक्सिकन ड्रग लॉर्ड, जोआकिन गुजमैन लोएरा, पर आधारित है। यह और बात है कि डॉन विंस्लो इससे इन्कार करते हैं। लेकिन गुजमैन और बरेरा के बीच ऐसी कई समानताएं और घटनाएं हैं जो दोनों को एक बनाती हैं।
दोस्तों, डॉन विंस्लो के नॉवल यूं भी उनकी स्पीड, रियल लाइफ एज ऑफ द सीट एक्सपीरियेंस, थ्रिल, की वजह से पढ़े जा सकते हैं। लेकिन यह तिकड़ी, उनके मुकुट में जड़ा एक ऐसा हीरा है जिसकी पुनरावृत्ति मुश्किल है। हाइली रिकमेंडेड फॉर थ्रीलर फैन्स।
डॉन विंस्लो के पावर ऑफ द डॉग त्रेयी के उपन्यासों को आप अमेज़न से निम्न लिंक से प्राप्त कर सकते हैं:
पावर ऑफ द डॉग
द कार्टेल
द बॉर्डर
आनंद कुमार सिंह जी की भी दो पुस्तकें अमेज़न में उपलब्ध हैं। उन्हें आप निम्न लिंक पर जाकर प्राप्त कर सकते हैं:
‘हीरोइन की हत्या
रुक जा ओ जाने वाली
© आनंद कुमार सिंह
बहुत उम्दा समीक्षा। आपको साधुवाद।
जी आभार। समीक्षा आपको पसंद आई यह जानकर अच्छा लगा।