जादुई जंगल और सुनहरी किताब का रहस्य – स्नेहा सिंह

किताब मार्च 2 2019 को पढ़ी गई

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट:
पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 50 | प्रकाशक: फ्लाई ड्रीम्स | श्रृंखला: जादुई जगंल #1

जादुई जंगल और सुनहरी किताब का रहस्य - स्नेहा सिंह
जादुई जंगल और सुनहरी किताब का रहस्य – स्नेहा सिंह

पहला वाक्य:
एक बहुत पुरानी बात है।

उस दिन गाँव के सभी लोगों को  एक ही  सपना आया था। यह एक ऐसी घटना थी जिसने सबको चकित कर दिया था। किसी को इस अपने के पीछे का कारण समझ नहीं आ रहा था। जितने मुँह और उतनी बातें हो रही थी लेकिन ठोस नतीजे पर कोई नहीं पहुँच पा रहा था।

परी, जो कि एक सात साल की लड़की थी, को भी यह सपना आया था और वो भी इससे परेशान थी। जब उसकी दादी भी सपने का रहस्य न सुलझा पायी तो वो घर से किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश में निकल गई जो उसकी जिज्ञासा को शांत कर सके। वो अपने दोस्त बिरजू के साथ मिलकर  चल पड़े दमदमी माई के पास।

वो दमदमी माई जिसे परी आजतक पागल समझती  थी। बिरजू के अनुसार उन्हें इस विषय में सब पता था।

आखिर क्यों आया था सभी गाँव वालों को एक ही सपना? क्या था इस सपने का रहस्य? क्या वाकई दमदमी माई को इस सपने के रहस्य के विषय में पता था? आखिर कौन थी दमदमी माई?

मुख्य किरदार:
नलिन, नेहा, अमित – बच्चे जिन्हें कहानी सुनाई जा रही है
दादी – जो बच्चों को कहानी सुना रही है
परी – एक सात साल की छोटी लड़की
गोवर्धन काका – गाँव में मौजूद ग्वाले
बिरजू – गोवर्धन काका का पुत्र और परी का दोस्त
दमदमी माई- एक वृद्धा जो गाँव के बाहर रहती थी
अंगद और शीरा – अश्वमानव
सर्पांग – एक दुष्ट साँप जो कि पूरे जादुई जंगल पर कब्जा पाना चाहता था 

जादुई जंगल और सुनहरी किताब का रहस्य एक फंतासी कहानी है। 50 पृष्ठों में फैली यह उपन्यासिका (novelette) इस श्रृंखला का पहला भाग है। किताब छोटी है लेकिन रोचकता लिए हुए है। इसमें अश्वमानव हैं, बोलते जानवर हैं जादुई पेड़ हैं, खूँखार बौने हैं और बोलती मछलियाँ हैं। शुरुआत से लेकर अंत तक यह अपनी रोचकता बरकरार रखती है और एक ही बैठक में पढ़ी जा सकती है।

हाँ, चूँकि यह कहानी 50 पृष्ठ में खत्म हुई है तो ऐसा लगता है कि दुनिया के विषय में हमे उतनी जानकारी नहीं दी है। मैं और ज्यादा इसके विषय में जानना चाहता था।

कई चीजें करी जा सकती थीं। जैसे किताब में एक किरदार है सर्पांग। उसकी कहानी बेकफ़्लैश में पूरे विवरण के साथ सुनाई जा सकती थी। कहानी में अश्व मानवों द्वारा लड़े युद्ध का जिक्र भी है तो उसे भी दर्शा सकते थे। ऐसे में कहानी में रोचकता भी रहती और कहानी लंबी भी हो सकती थी।

जहाँ तक मुख्य किरदार इस कहानी के अंत में पहुँचे हैं उधर तक पहुँचने से पहले तक एक दो और मुसीबतों को लाया जा सकता था। ऐसे काम किये होते तो आसानी से कहानी 100 पृष्ठ हो सकती थी। और पाठक के तौर पर मुझे इस दुनिया को और करीब से जानने का मौक़ा मिल जाता।

अभी तो यही कहूँगा कि कहानी मुझे पसंद आई और अगले भाग का इन्तजार है। उम्मीद है वो थोड़ा बड़ा होगा।

मेरी रेटिंग : 3/5

अगर आपने इस किताब को पढ़ा है तो आपको यह कैसी लगी? अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा। अगर आपने इस किताब को नहीं पढ़ा है और पढ़ना चाहते हैं तो इसे निम्न लिंक से मँगवा सकते हैं:
पेपरबैक


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *