दिलेर मुजरिम – इब्ने सफी

रेटिंग:३/५
उपन्यास जून १३ से १८ मार्च के बीच पढ़ा गया


संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : ईबुक
प्रकाशक : न्यूज़हंट
सीरीज : जासूसी दुनिया #१,इंस्पेक्टर फरीदी #१

पहला वाक्य:
“मुझे जाना ही पड़ेगा मामी।” डॉक्टर शौकत ने कमरे में दाखिल होते हुए ओवरकोट की दूसरी आस्तीन में हाथ डालते हुए कहा।

सविता देवी ने डॉक्टर शौकत को पाल पोसकर बड़ा किया था।  शौकत सविता जी कि सहेली जाफ़री ख़ानम का बेटा था और शौकत को डॉक्टर बना कर उन्होंने अपनी सहेली को दिए हुए वचन को पूरा किया था। दोनों खुशहाल जीवन बिता रहे थे। लेकिन इनकी खुशाल दुनिया तब उजड़ गयी जब सविता देवी का किसी ने क़त्ल कर दिया। सविता देवी को उनकी नौकरानी ने एक संदिग्द्थ व्यक्ति के विषय में सावधान किया था और उसी से मौत कि एक रात पहले सविता कि बहस भी हुई थी। कौन था ये व्यक्ति ? जब सविता कि मौत हुई वो शौकत के बिस्तर पर  सर तक कम्बल लेकर सो रही थी। तो क्या सविता कि मौत एक हादसा थी और जिस खंजर से उनकी मौत हुई वो असल में शौकत के लिए था? इस केस को सुलझाने के लिए शौकत ने व्यक्तिगत तौर पर खुफिया विभाग के इंस्पेक्टर फरीदी से मदद माँगी थी। क्या फरीदी क़त्ल का कारण और कातिल का पता लगा पाया? ये सब जानने के लिए आपको इस उपन्यास को ही पढ़ना होगा।

दिलेर मुजरिम जासूसी  दुनिया श्रृंखला का पहला उपन्यास है।  इंस्पेक्टर फरीदी और उनके सहायक हमीद का इसमें पाठको के सम्मुख परिचय कराया गया है।कहानी की गति तेज है और जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती रहती है वैसे वैसे उपन्यास का कथानक रोचक होता जाता है। कहानी में काफी घुमाव है जो कि पाठक को अंत तक अपने बाँधे रखती हैं। इसके इलावा उपन्यास में हमीद और फरीदी के संवाद हास्य पैदा करते हैं। अगर आप एक रोमांचक उपन्यास पढ़ना चाहते हैं तो मुझे आशा है कि इब्ने सफी जी की यह कृति आपको निराश नहीं करेगी।

मुझे उपन्यास काफी पसंद आया और इंस्पेक्टर फरीदी के और कारनामे पढने की इस उपन्यास ने मुझे उत्सुकता जगाई है।
अगर आपने उपन्यास को पढ़ा है तो अपनी राय से मुझे अवगत कराना न भूलियेगा और अगर आपने उपन्यास को नहीं पढ़ा है तो निम्न लिंक्स से आप उपन्यास को प्राप्त कर सकते हैं:

अमेज़न
न्यूज़हंट


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

2 Comments on “दिलेर मुजरिम – इब्ने सफी”

    1. सही कहा। मुझे पसंद आई थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *