संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : हार्डबैक
पृष्ठ संख्या : 196
प्रकाशक : किताबघर प्रकाशन
किताबघर प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में ममता कालिया के तीन लघु उपन्यासों को संग्रहित किया गया है । ये तीनो लघु उपन्यास अलग अलग वक़्त में लिखे गये हैं । और ममता जी तो भूमिका में इस संग्रह को इस तरह बताती हैं –
अक्सर आदमी और औरत का किसी एक वस्तु को देखने का नजरिया अलग अलग होता है और यही बात उनकी रचनाओं में भी झलकती है । एक ये भी कारण है जिसके लिए मैं महिला कथाकारों को पढ़ना पसंद करता हूँ । यही चीज़ ममता कालिया जी के इन तीन लघु उपन्यासों में भी दिखती हैं । तीनो ही रचनाएँ एक औरत के नज़रिए से लिखी गयी हैं और तीनो की विषय वस्तु एक दम भिन्न है ।
एक पत्नी के नोट्स २.५/५
पहला वाक्य :
जिन लोगों के जीवन में प्रेम और विवाह अकस्मात् , अनायास आते हैं उन्हें उसके निर्वाह में उतनी ही सायास मेहनत करनी पड़ती है, जितनी उन लोगों को जिनके विवाह अखबारों के इश्तहार तय करते हैं अथवा रिश्तेदार।
संदीप एक जाना माना आईएएस अफसर है । वो जिस काम को करता है बड़ी तलीनता के साथ करता है , जिसके कारण उसका वर्चस्व काफी फ़ैल चुका है । उसके पिताजी साहित्यकार थे इसलिए साहित्य में भी उसकी रुचि है और शहर के साहित्यिक महकमे में उसका नाम है । वहीँ दूसरी और कविता है एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की । उसका जीवन एक दम सरल है और वो कॉलेज में साहित्य दर्शन की छात्रा है । ऐसे में जब उसकी संदीप से मुलाकात होती है और उनकी आपस में घनिष्टता बढती है तो कविता अपने को खुशनसीब मानने लगती है । कविता के परिवार वाले भी इस रिश्ते से खुश हो जाते हैं और ऐसे रसूख वाले दामाद को ख़ुशी से स्वीकार कर देते हैं । उनकी शादी होती है और इधर कहानी शुरू होती है । हम कविता के दृष्टिकोण से इनकी शादी के बाद की ज़िन्दगी देखते हैं । वो दोनों एक दम भिन्न व्यक्ति हैं और इसी कारण उनके सोचने में अंतर है । ऊपर से कविता संदीप के ऐसे गुणों और अवगुणों से परिचित होती है कि कहानी के अंत तक वो ये रिश्ता तोड़ने का फैसला कर देती है ?? वो ऐसा क्यूँ करती है और क्या वो ऐसा कर पाती है ?? इसको जानने के लिए तो आपको कहानी पड़नी पड़ेगी ।
बहरहाल, मुझे इस कहानी को पढ़कर कैसा लगा ये कहना ज़रा मुश्किल काम है । कहानी एक दम्पति की है जिन्होंने प्रेम विवाह किया था । इसमें संदीप एक ऐसा व्यक्ति दिखाया गया है जो कविता को प्यार तो करता है लेकिन बाकि लोग अगर कविता की तारीफ करें तो ये उससे बर्दाश्त नहीं होता है । वो कहीं भी जाता है तो सबका ध्यान अपने ऊपर केन्द्रित करना चाहता है और अगर ये न हो तो खीज जाता है । वो रिश्ते को एक प्रतिस्पर्धा मानता है जिसमे वो अपने को ऊंचा और कविता को अपने से नीचा मानता है । इसी रिश्ते के बीच कविता जो की एक शांत चित लड़की है पिसती जाती है । अगर वो अपना दुःख अपने मायके में किसी को बताने की कोशिश करती है तो वे केवल उसके पति के रुतबे को देखकर उसे अपने पति के साथ निभाने की सलाह ही देते है । ये कहानी मूलतः तो संदीप और कविता के रिश्ते के ऊपर ही है , लेकिन ममता जी ने इसमें इसी बहाने अफसरी जीवन को भी दर्शाया है ।
लड़कियाँ ३/५
पहला वाक्य:
वह एक बहुत बड़ी इमारत थी, कावसजी मैंशन।
इस पुस्तक की दूसरी कहानी लड़कियाँ है । इस कहानी कि नायिका एक अविवाहित लड़की है जो कि एक विज्ञापन बनाने वाली कंपनी में काम करती है । उसका काम विभिन्न उत्पादों के विज्ञापन के लिए स्क्रिप्ट और जिंगल लिखना है । लड़की अविवाहित है और एक किराये के फ्लैट में अकेली रहती है। कहानी में हम उसी के दृष्टिकोण से उसके आस पास की दुनिया देखते हैं ।
‘लड़कियाँ’ में ममता जी ने मुंबई की बेहद व्यस्त ज़िन्दगी को दर्शाया है । मुंबई में जगह और वक़्त दोनों की ही अक्सर कमी रहती है इसलिए जब मेहमान आते हैं तो लोगों के क्या हाल होते हैं इसका बड़ा ही सजीव चित्रण किया है । क्यूंकि कहानी की नायिका एक विज्ञापन कंपनी में काम करती है तो उस पेशे से जुडी ज़िन्दगी को भी बड़े ही जीवंत तरीके से दर्शाया है । इस कहानी की नायिका उम्र में ३० वर्ष का पड़ाव पार कर चुकी है और अभी तक उसने शादी नहीं की है । वह शादी को ज़रूरी नहीं समझती और अपनी स्वाधीनता को ज्यादा महत्व देती है । कहानी के माध्यम से हम उसके विचारों से रूबरू होते हैं और पाठक उसके दृष्टिकोण से दुनिया को देखता है । कहानी जब आगे बड़ती है तो उसमे एक नया पात्र आता है । ये पात्र नायिका के बॉस हामिद की कजिन अफशाँ है । वो पकिस्तान की रहने वाली है और चूँकि हामिद की पत्नी को उसका उनके यहाँ रहना पसंद नहीं है तो हामिद की रिक्वेस्ट पर वो उसे अपने यहाँ रखने को तैयार हो जाती है । अफशाँ एक भोली लड़की है और मॉडलिंग करने मुंबई आई है । अफशाँ और नायिका में तो काफी पटती है लेकिन मॉडलिंग पेशे से जुड़े लोगों को फूटी आँख नहीं सुहाती है । आगे की कहानी इन्ही दोनों लड़कियों के इर्द गिर्द घूमती है । कहानी मुझे काफी अच्छी लगी ।
प्रेम कहानी ३/५
पहला वाक्य:
पदोन्नति के साथ-साथ पापा का तबादला इस छोटे-से शहर में हो गया।
यह इस पुस्तक में संकलित आखरी लघु उपन्यास है । जया के पिताजी का तबादला जब मुंबई से मथुरा हो जाता है, तो उसे ये बदलाव अच्छा नहीं लगता है । उसे मुंबई के बाद मथुरा एक काफी छोटा कस्बा लगता है । कुछ दिन उधर रहने के बाद जया की दोस्ती पड़ोस की यशा से हो जाती है । यशा दिल्ली में पढ़ती है और जया भी अपने अभिभावकों को दिल्ली में पढाई करने के लिए मना लेती है । दिल्ली में उसकी मुलाकात गिनेस से होती है , जो कि मॉरिशस से इधर डॉक्टर बनने आया है । और उनकी प्रेम कहानी शुरू हो जाती है । वहीँ दूसरी और यशा भी अपनी सहेली के भाई मुहम्मद से मोहब्बत करती है । इन प्रेम कहानियों का क्या अंजाम होता है ? ये तो आपको इस रचना को पढने के बाद ही पता चलेगा ।
बहरहाल, उपन्यास में प्रेम कहानी का हिस्सा काफी कम है । इस कहानी के मध्यम से ममता जी ने सरकारी अस्पतालों और डॉक्टरों के रवय्यों को बड़े विस्तृत तौर से बतया है । डॉक्टर लोग अक्सर सरकारी अस्पताल में नौकरी तो अवश्य करते हैं , लेकिन अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस को ज्यादा तवज्जो देते हैं । वे बस अपनी जेबे भरने की होड़ में लगे हैं । इसके इलावा क्यूंकि गिनेस मॉरिशस का रहने वाला है और उसके दादाजी गिरमिटीये थे तो उनके संघर्ष को भी इस कहानी में बहुत हलके ढंग से ही सही लेकिन दर्शाया गया है । कहानी मुझे काफी अच्छी लगी । आप भी पढ़िएगा ज़रूर।
इस रचना में संकलित तीनो उपन्यास एक नारी के इर्द गिर्द ही रचे गये हैं । तीनो महिलाएं एक दूसरे से भिन्न जीवन बिता रही हैं और उस जीवन के अनुसार उनकी इच्छाएं और दृष्टिकोण भी भिन्न हैं । लेकिन एक चीज़ जो भिन्न नहीं हैं वो अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करना । हम तीनो के माध्यम से तीन अलग अलग व्यक्तियों के चरित्रों से रूबरू होते हैं और ये चरित्र इतने जीवंत हैं कि पढ़ते पढ़ते ये सोचते हैं कि अरे ! ये वे लगती हैं । तीनो कहानियाँ मुझे काफी पसंद आयीं। आप लोगो को कैसी लगी ,बताना नहीं भूलियेगा ।
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