लेखिका नीरजा माधव राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के साथ |
8 मार्च 2022: अंतरर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध हासिल करने वाली नारियों को नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया गया। इसी अवसर पर साहित्यकार नीरजा माधव (Neerja Madhav) को ट्रांसजेंडर और तिब्बती शरणार्थियों पर किये गए लेखन कार्य के लिए सर्वोच्च महिला नागरिक सम्मान ‘नारी शक्ति पुरस्कार 2020-21’ प्रदान किया गया। यह पुरस्कार उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में प्रदान किया गया।
15 मार्च 1962 को ग्राम कोतवालपुर जौनपुर में जन्मी नीरजा माधव ने एम ए (अंग्रेजी), बी एड और पीएचडी किया है। वह फिलहाल आकाशवाणी गोरखपुर के केंद्र निदेशक के पद पर कार्यरत हैं।
वह कहानियाँ, उपन्यास, कवितयाएँ इत्यादि लिखती रही हैं। वह पहली लेखिका हैं जिन्होंने तिब्बती शरणार्थियों, उनकी अहिंसक मुक्ति साधना और भारत चीन सीमा विवाद को लेकर ‘गेशे जंपा‘ व ‘देनपा: तिब्बत की डायरी‘ नामक दो उपन्यास और ‘फ्री टीबेट’ नामक कविता लिखी है। इन दोनों ही उपन्यासों को उन्होंने तिब्बती बौद्ध गुरु दलाई लामा को समर्पित किया है। उनका उपन्यास ‘गेशे जंपा’ तिब्बती विश्वविद्यालय सारनाथ के पाठ्यक्रम में भी शामिल है। इस उपन्यास को मध्य प्रदेश सरकार और अन्य कई संस्थाओं की तरफ से अनेक पुरस्कार भी मिल चुके हैं। इसे केंद्र में रखकर एक वृतचित्र (डाक्यूमेंट्री) का निर्माण भी किया जा चुका है।
तृतीय लिंगियों के जीवन की दुश्वारियों को उन्होंने समाज के सामने दो पुस्तकों ‘यमदीप‘ व ‘किन्नर नहीं, हिजड़ा समुदाय‘ के माध्यम से रखा है। इसके साथ ही 2002 में उन्होंने तृतीय लिंगियों के लिए आरक्षण और मानवाधिकारों की माँग उठाई। इसके बाद पूरे देश में इसे लेकर एक विमर्श शुरू हुआ और वर्ष 2014 में उच्चतम न्यायालय ने थर्ड जेंडर को वे सभी मानवीय अधिकार प्रदान किए।
ज्ञात हो लेखिका नीरजा माधव को अब तक सर्जना पुरुस्कार (1997 उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ ), यशपाल पुरुस्कार(1998 उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ ), मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी पुरुस्कार(2006), भारतेन्दु प्रभा पुरुस्कार 2004, शांकराचार्य पुरुस्कार 2009, शैलेश मटियानी राष्ट्रीय कथा पुरुस्कार (2009), राष्ट्रीय साहित्य सर्जक सम्मान (2010), राष्ट्र धर्म गौरव सम्मान(2017) जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
क्या है नारी शक्ति सम्मान
‘नारी शक्ति सम्मान’ महिलाओं विशेषकर कमजोर और साधनविधीन महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा किये जा रहे उत्कृष्ट कार्यों को मान्यता देने हेतु महिला एंव बाल विकास मंत्रालय की पहल के तहत प्रदान किये जाते हैं। यह पुरस्कार उन महिलाओं को भी दिए जाते हैं जिन्होंने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किये हों। यह सम्मान अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रत्येक वर्ष नई दिल्ली में प्रदान किया जाता है। इस सम्मान की शुरुआत 1999 में की गई थी। पुरस्कार के विजेताओं को पुरस्कार स्वरूप एक प्रमाणपत्र और दो लाख रुपये की नगद राशि प्रदान की जाती है।