लेखिका मधु कांकरिया को वर्ष 2021 का बिहारी पुरस्कार

लेखिका मधु कांकरिया को मिलेगा 31वाँ बिहारी पुरस्कार

 

के के बिड़ला फाउंडेशन द्वारा वर्ष 2021 का बिहारी पुरस्कार लेखिका मधु कांकरिया को प्रदान करने की घोषणा की गई है। मधु कांकरिया को यह पुरस्कार उनके 2018 में प्रकाशित उनके उपन्यास ‘हम यहाँ थे के लिये प्रदान किया जाएगा। 

मधु कांकरिया का उपन्यास ‘हम यहां थे’ झारखंड के आदिवासियों के संघर्ष पर आधारित है। उपन्यास के केंद्र में दीपशिखा और जंगल कुमार नामक दो चरित्र हैं जिनकी कथा के माध्यम से लेखिका अपनी बात रखती हैं।  यह उपन्यास कोलकाता की संस्कृति, समाज और आर्थिक स्थितियों के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है। 

कोलकता में जन्मी मधु कांकरिया की शिक्षा दीक्षा भी कोलकता में ही हुई थी। वह उपन्यास, कहानियाँ, यात्रा वृत्तान्त लेखन करती हैं। ‘चिड़िया ऐसे मरती है‘, ‘काली चील’, ‘फाइल’, उसे ‘बुद्ध ने काटा’, ‘जल कुंभी’ इत्यादि उनके कहानी संग्रह हैं। ‘खुले गगन के लाल सितारे‘, ‘सूखते चिनार‘, ‘सलाम आखिरी‘, ‘सेज पर संस्कृत‘, ‘पत्ताखोर‘ इत्यादि उनके कुछ उपन्यास हैं। ‘बुद्ध’, ‘बारूद और पहाड़’, ‘शहर शहर जादू’, ‘बंजारा मन बाशिंदे’, ‘साना साना हाथ जोड़ी’ उनके लिखे हुए कुछ यात्रा वृत्तान्त हैं। 

इसके पूर्व मधु कांकरिया को कथकराम पुरस्कार, हेमचंद्र स्मृति साहित्य सम्मान, विजय वर्मा कथा सम्मान और प्रथम विद्या साहित्य सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।

ज्ञात हो बिहारी पुरस्कार 1991 में के के बिड़ला फाउंडेशन द्वारा स्थापित तीन पुरस्कारों में से एक है। प्रसिद्ध कवि बिहारी के नाम पर, राजस्थानी लेखकों को यह पुरस्कार प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है। पुरस्कार के विजेता को सम्मान स्वरूप 2.5 लाख रुपये, एक पट्टिका और एक प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। 

पुरस्कार पिछले दस वर्षों में हिंदी या राजस्थानी में किसी राजस्थानी लेखक द्वारा प्रकाशित उत्कृष्ट रचना को दिया जाता है। इस वर्ष पुरस्कार के विजेता का चुनाव ओम थानवी की अध्यक्षता वाली चयन समिति द्वारा किया गया। समिति के अन्य सदस्य थे हेमंत शेष, मुरलीधर वैष्णव, अलका सरावगी, हरिराम मीणा और डॉक्टर सुरेश रितुपर्णा। डॉक्टर सुरेश रितुपर्णा के के बिड़ला फाउंडेशन के निदेशक भी हैं।  

(अमर उजाला में प्रकाशित एक खबर पर आधारित)

FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *