वो भयानक रात – मिथलेश गुप्ता

रेटिंग : 3.5/5
उपन्यास 28 जुलाई 2017  से 29 जुलाई के बीच पढ़ा गया

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : 64
प्रकाशक : सूरज पॉकेट बुक्स
आईएसबीएन :9781944820213

पहला वाक्य:
अमावस की एक मनहूस काली रात।

राहुल उसकी पत्नी गीता और राहुल के माता पिता अर्चना और संग्राम सिंह एक विवाह समारोह से लौट रहे थे। ये अमावस्या की रात थी और अपने घर की तरफ जाते हुए वे एक जंगल से घिरी और सुनसान सड़क से गुजर रहे थे, जब कि कार ड्राइव करते हुए राहुल से गाडी का संतुलन बिगड़ा और गाडी एक पेड़ से टकराई। ये उनके साथ होने वाली दुर्घटनाओं की बस शुरुआत थी। आगे क्या हुआ ? क्या वे सुरक्षित उधर से निकल सकें ?
ये जानने के लिए आपको इस किताब को पढ़ना पढ़ेगा।


हिंदी में हॉरर श्रेणी में लिखी गयी कहानियाँ या उपन्यास वैसे भी कम मिलते हैं इसलिए जब भी मुझे इससे जुड़ा कुछ मिलता है तो मैं उसे लपक लेता हूँ। ‘सूरज पॉकेट बुक्स’ पॉकेट बुक्स की दुनिया में एक उभरता हुआ प्रकाशन है जिससे प्रकाशित कई पुस्तकें मैं पढ़ चुका हूँ  इसलिए जब पता लगा कि इससे हॉरर में भी एक किताब प्रकाशित हुई थी तो फट से उसे मैंने खरीद लिया था। अब खरीदा तो बहुत दिनों पहले था लेकिन इसे पढ़ना अब जाकर हुआ है।

‘वो भयानक रात’ एक रात की कहानी है जिसमे एक परिवार उत्सव से लौटते हुए फँस जाता है। उपन्यास में लेखक ने सफलतापूर्वक डर का वातावरण बनाकर रखा हुआ था। कहानी ने  अंत तक मुझे बाँध कर रखा और मैं इसे बिना रुके पढता ही चला गया।

कहानी के किरदार जीवंत हैं। अर्चना का व्यवहार और संग्राम सिंह की फब्तियां कहीं भी बनावटी नहीं लगती हैं और कहानी पढ़ते हुए लगता है कि आप किसी आम परिवार में होने वाले हादसे के विषय में पढ़ रहे हो। हाँ, अंत थोड़ा कंफ्यूज करता है। संग्राम सिंह के पलटने पर राहुल चौंकता क्यों है? ये बात मुझे अटपटी लगती है। क्या उसे सच्चाई का एहसास हो जाता है? लेकिन फिर संग्राम ही क्यों बाकियों को देखकर भी होना चाहिए था।

उम्मीद है लेखक हॉरर उपन्यास भी लिखेंगे जिसका कथानक वृद्ध हो यानी 200 पृष्ठों से ऊपर फैला हो। ऐसा होता है तो मैं जरूर उसे पढूँगा।

अगर आप हॉरर के शौक़ीन हैं तो एक बार किताब को पढ़ सकते हैं। उम्मीद है मेरी तरह आप भी निराश नहीं होगे।

अगर आपने इस लघु उपन्यास  को पढ़ा है तो इसके विषय में आप क्या सोचते हैं ये कमेंट में जरूर लिखियेगा।
अगर आपने नहीं पढ़ा तो आप इसे  kindle में निम्न लिंक से  खरीद कर पढ़ सकते हैं :
किंडल 


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

About विकास नैनवाल 'अंजान'

विकास नैनवाल को अलग अलग तरह के विषयों पर लिखना पसंद है। साहित्य में गहरी रूचि है। एक बुक जर्नल नाम से एक वेब पत्रिका और दुईबात नाम से वह अपनी व्यक्तिगत वेबसाईट का संचालन भी करते हैं।

View all posts by विकास नैनवाल 'अंजान' →

10 Comments on “वो भयानक रात – मिथलेश गुप्ता”

  1. काफी चर्चा में रहा है ये उपन्यास पर पढने का मौका नहीं मिला।
    आपने अच्छी समीक्षा लिखी है।
    धन्यवाद ।

    1. जी हॉरर कम ही आते हैं हिंदी में। मैंने भी खरीद कर रख दिया था। आजकल किताबें उलटी पलटी तो इससे पर नज़र पड़ी और सोचा कि खत्म कर दूँ वैसे भी ज्यादा बड़ा नहीं था।

    2. मुझे इंतेज़ार रहेगा । आप पढ़कर समीक्षा दीजियेगा। थंक्स 😊

  2. शुक्रिया विकास जी । मेरी किताब को पढ़ने और उसके लिए समीक्षा लिखने के लिए। अच्छा लगा जानकार की आपको किताब कैसी लगी। उम्मीद है जल्द निकट भविष्य में मेरे sci fy ओर हॉरर के प्रोजेक्ट्स भी आएंगे। मैं अपनी लेखनी को एक दायरे में नहीं रखना चाहता।

    1. जी इन्तजार रहेगा। ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया।

  3. मुझे हॉरर पढ़ने का बहुत शौक है पर मुझे कही मिलती ही नहीं है हॉरर स्टोरीज कुछ कॉमिक्स पढ़ी थी जिसमे से कुछ कॉमिक ही पसंद आई अब ये पढ़ के देखता हु कैसी है

  4. मुझे हॉरर पढ़ने का बहुत शौक है पर मुझे कही मिलती ही नहीं है हॉरर स्टोरीज कुछ कॉमिक्स पढ़ी थी जिसमे से कुछ कॉमिक ही पसंद आई अब ये पढ़ के देखता हु कैसी है

    1. पढ़कर बताइयेगा कि उपन्यास कैसा लगा आपको?

  5. आज ट्रेन के सफर के दौरान इस लघु उपन्यास को पढा। उपन्यास काफी रोचक है,पृष्ठ दर पृष्ठ रहस्य कायम है।

    1. जी, सही कहा। कहानी सचमुच रोमांचक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *