आज का उद्धरण

तो वक्त ही बदल दो….बदलने की ताकत सबमें नहीं होती…जिनमें होती है वे…वक्त को बदलते-बदलते खुद बदल जाते हैं….वे, जिनके पास यह शक्ति है, शायद वक्त को बदलना भी नहीं …

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आज का उद्धरण

शोक से भी बलवान है समय। शोक तट है तो समय सदा प्रवाहित होने वाली गंगा। समय शोक पर बार-बार मिट्टी की परत चढ़ाता जाता है। फिर एक दिन प्रकृति …

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आज का उद्धरण

बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में मनुष्य के पास समय ही कहाँ है! मनुष्य का आज का धर्म हो गया है- आगे बढ़ते चलो-सबको पीछे छोड़ते चलो-धक्का मारकर, चोट पहुँचाकर- किसी …

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