लेख: ज़ारी रहेगा लोकप्रिय लेखन लेकिन... - पराग डिमरी

लेख: ज़ारी रहेगा लोकप्रिय लेखन लेकिन… – पराग डिमरी

लेखक पराग डिमरी उस पीढ़ी के हैं जिन्होंने हिंदी लोकप्रिय साहित्य का स्वर्णिम काल देखा है। अपने इस लेख में वह न केवल उस स्वर्णिम काल का वर्णन कर रहें हैं बल्कि इस विधा के धीरे धीरे कम होने के कारणों पर रोशनी डालते हुए और मौजूदा स्थिति से भी पाठक को अवगत करा रहे हैं। आप भी पढ़ें:

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पुस्तक टिप्पणी: बेगमपुल से दरियागंज - यशवंत व्यास

बेगमपुल से दरियागंज: एक पुस्तक जो बेहतर से बेहतरीन बनते-बनते रह गयी

‘बेगमपुल से दरियागंज: देसी पल्प की दिलचस्प दास्तान’ हिंदी लोकप्रिय साहित्य पर यशवंत व्यास द्वारा लिखी पुस्तक है। इस पुस्तक पर लेखक पराग डिमरी ने यह संक्षिप्त टिप्पणी लिखी है। आप भी पढ़ें:

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पुस्तक टिप्पणी: एक म्युजिकल दस्तावेज है पराग डिमरी का 'श्रवण राठौड़: हाँ एक सनम चाहिए आशिकी के लिए'

पुस्तक टिप्पणी: एक म्युजिकल दस्तावेज है पराग डिमरी की पुस्तक ‘श्रवण राठौड़: हाँ एक सनम चाहिए आशिकी के लिए’

‘श्रवण राठौड़: हाँ एक सनम चाहिए आशिकी के लिए’ लेखक पराग डिमरी द्वारा संगीत निर्देशक श्रवण राठौर पर लिखी पुस्तक है। इस पुस्तक पर लेखक योगेश मित्तल ने टिप्पणी लिखी है। आप भी पढ़ें।

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साक्षात्कार: पराग डिमरी

साक्षात्कार: पराग डिमरी

‘एक बुक जर्नल’ की साक्षात्कार श्रृंखला में आज मैं आपके समक्ष पराग डिमरी से हुई बातचीत प्रस्तुत कर रहा हूँ। पराग डिमरी साहित्य और संगीत प्रेमी और लेखक हैं। उन्होंने ओ पी नैय्यर की जीवनी ‘दुनिया से निराला हूँ, जादूगर मतवाला हूँ!’ लिखी है। इसी पर हमने उनसे बातचीत की। आप भी पढ़ें:

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पुस्तक टिप्पणी: ओ पी नैय्यर: दुनिया से निराला हूँ, जादूगर मतवाला हूँ!

‘दुनिया से निराला हूँ, जादूगर मतवाला हूँ’: एक किताब, जिसे एकाग्र होकर पढ़ना है मुश्किल

ओंकार प्रसाद नय्यर (16 जनवरी 1926 – 27 जनवरी 2007), अपने नाम के संक्षिप्त रूप ओ॰ पी॰ नय्यर से लोकप्रिय हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध संगीतकार थे जो लाहौर में पैदा हुए थे तथा अपने चुलबुले संगीत के लिये जाने जाते थे। 2018 में पराग डिमरी जी द्वारा लिखित ओ पी नैय्यर जी की जीवनी दुनिया से निराला हूँ,जादूगर मतवाला हूँ प्रकाशित हुई थी।
‘दुनिया से निराला हूँ, जादूगर मतवाला हूँ’ के ऊपर राशीद शेख जी ने यह लेख लिखा है।

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